Terror Funding Case: माओवादियों को छह लाख रुपये देते समय NIA के हत्थे चढ़ा रामकृपाल कंस्टक्शन का कर्मी
Terror Funding Case एनआइए की छानबीन से खुलासा हुआ है कि कर्मी मनोज माओवादियों के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनियों से लेवी वसूलता था।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के अनुसंधान में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी का माओवादी कनेक्शन सामने आया है। कंपनी के कर्मी गिरिडीह के सरिया थाना क्षेत्र के केशरवानी गांव निवासी मनोज कुमार की गिरफ्तारी के बाद छानबीन में कंपनी की गतिविधियां भी जांच के घेरे में आई। टेरर फंडिंग में कंपनी का कनेक्शन मिलने के बाद ही मंगलवार को एनआइए की टीम रांची में कचहरी रोड के पंचवटी प्लाजा स्थित रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के दफ्तर में पहुंची थी। एनआइए ने छापेमारी के दूसरे दिन जारी बयान में बताया कि छापेमारी के दौरान कंपनी के दफ्तर से बहुत से संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। इनमें कैश बुक, कई बैंक खाते भी शामिल हैं।
21 जनवरी 2018 को गिरफ्तार किया गया था रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी का कर्मी मनोज
एनआइए ने जारी बयान में बताया है कि गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र से 21 जनवरी 2018 को मनोज कुमार को छह लाख रुपये व संदिग्ध दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में डुमरी थाने में 22 जनवरी 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब झारखंड पुलिस को छानबीन में पता चला था कि मनोज कुमार के पास से बरामद उक्त राशि ठेकेदारों से माओवादियों के नाम पर उठाए गए लेवी से संबंधित थी। मनोज ने स्वीकारा था कि वह माओवादियों का रिजनल कमेटी सदस्य कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा उर्फ अविनाश दा के लिए लेवी वसूलता है।
एनआइए ने जुलाई 2018 में केस को किया था टेकओवर
एनआइए ने गिरिडीह के डुमरी थाने में 22 जनवरी को दर्ज टेरर फंडिंग के उक्त मामले को उसी वर्ष 09 जुलाई 2018 को टेकओवर करते हुए केस रजिस्टर्ड किया। इसमें मनोज कुमार के अलावा माओवादी कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा को भी आरोपित बनाया और फिर शुरू किया अनुसंधान।
एनआइए के अब तक के अनुसंधान में जो निकला
एनआइए के अनुसंधान में यह खुलासा हुआ कि मनोज कुमार रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेरू कंपनी का कर्मचारी था। उसका मूल काम माओवादियों व ठेकेदारों के बीच में सेतु का काम करना था। वह माओवादियों के रिजनल कमांडर कृष्णा दा के लिए ठेकेदारों से लेवी वसूलता था। इस बात का खुलासा हुआ है कि उसके पास से बरामद छह लाख रुपये लेवी के थे, जिसे वह माओवादियों को पहुंचाने जा रहा था।
यह भी जानकारी मिली है कि माओवादी लेवी के रुपयों से हथियार व कारतूस तथा विस्फोटक खरीदते रहे हैं और इसी राशि से अपने संगठन का विस्तार तथा नए कैडर को बहाल करते रहे हैं। यह कृत्य भारत की सुरक्षा, संप्रभुता व गरीमा को ठेस पहुंचाने वाला है। इस खुलासे के बाद ही मंगलवार को राम कृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन कंपनी के कचहरी रोड के पंचवटी प्लाजा स्थित दफ्तर में छापेमारी हुई, जहां से कई कैश बुक, कई बैंक खाते व संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं। एनआइए का अनुसंधान अभी जारी है।