अवैध कोयला खनन में संलिप्त बच्चों के मामले में आयोग ने मांगी रिपोर्ट
Jharkhand. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव से मांगी रिपोर्ट। कहा कि अवैध खनन में न तो मुआवजा मिलता है न ही दुर्घटना में मौत का डाटाबेस तैयार होता है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कोयले के अवैध खनन में बच्चों की संलिप्तता के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूरी रिपोर्ट मांगी है, ताकि उसपर आगे कोई निर्णय लिया जा सके। अवैध खनन के मामले में न तो मुआवजा मिलता है और न ही सरकार के पास मृतकों का कोई आंकड़ा रहता है। आयोग के पत्र में हजारीबाग की एक खदान का भी जिक्र है। आयोग की चिट्ठी के आधार पर गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय से इस बिंदु पर रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने 23 दिसंबर 2019 को इस मामले में सुनवाई की थी। इसमें यह तथ्य सामने आया कि जीवन-यापन के लिए कोयला क्षेत्र के 14 साल से कम उम्र के बच्चे अवैध कोयला उत्खनन करते हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी चलती है। इतना ही नहीं, ऐसे अवैध खनन के दौरान जब दुर्घटनाएं होती हैं तो उसमें मृतक के आश्रित को मुआवजा भी नहीं मिलता है। मौत का आंकड़ा भी नहीं रखा जाता है।
ऐसे इलाकों के लोगों के लिए न तो पीने के पानी की व्यवस्था होती है और न ही स्वास्थ्य संबंधित कोई सुविधा ही बहाल की जाती है। पूर्व में भी आयोग ने अवैध कोयला खदानों पर एक रिपोर्ट मांगी थी। इसमें रामगढ़ के डीसी व एसपी ने रिपोर्ट दी थी। बताया था कि सीसीएल ने 15-20 साल पहले बंद खदानों को बिना पूरी तरह बंद किए, जस का तस छोड़ दिया है। ऐसे ही खदान खतरनाक बने हुए हैं और इन्हीं खदानों में कोयला चोरी के उद्देश्य से अवैध खनन हो रहा है।
2012 में हुई थी पांच लोगों की मौत, नहीं मिला मुआवजा
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक केस का जिक्र किया है, जिसके पांचों मृतकों के आश्रित को अब तक मुआवजा नहीं मिला। सरकार का तर्क है कि अवैध खनन के दौरान दुर्घटना में अगर किसी की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को मुआवजा नहीं मिलता है। रामगढ़ के मांडू थाना क्षेत्र के कुजू में 2012 में हुए एक हादसे का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि कांड संख्या 25/2012 में एक क्रिमिनल केस हुआ था।
तब पांच लोगों की अवैध खदान धंसने से मौत हो गई थी। मृतकों में गोविंद रविदास, फुगनू उर्फ सूरज रविदास, शादिया देवी, बंधन करमाली व दीपक उरांव शामिल थे। मृतकों में एक बच्चा भी शामिल था। आयोग ने सरकार से पूछा है कि इन्हें मुआवजा भुगतान किया गया कि नहीं, पूरी रिपोर्ट दें।