रांची, राज्य ब्यूरो: सहिबगंज के राजमहल पहाड़ियों को अवैध खनन और उससे होने वाले वायु एवं जल प्रदूषण को लेकर एनजीटी में सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान राज्य के पर्यावरण सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एनजीटी की कार्रवाई में शामिल हुए। एनजीटी ने छह सालों में राज्य में होने वाले अवैध खनन और प्रदूषण को लेकर जारी आदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन नहीं किया गया है।

एनजीटी ने अपने आदेश में सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य में कानून का शासन होने के बाद ऐसी अराजकता कैसे हो सकती है। पर्यावरण की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है।

हम उम्मीद करते हैं कि स्थिति में सुधार होगा, लेकिन हमें खेद है कि राज्य सरकार अवैध खनन की अराजकता को रोकने में पूरी तरह से विफल रही है। जब एनजीटी ने पिछले छह सालों से कई निर्देश जारी किए थे, तो उस पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई है।

अवैध खनन की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ट्रिब्यूनल के स्पष्ट निर्देश दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसा किसी अधिकारी की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता है।

इससे प्रतीत हो सकता है कि राज्य सरकार ऐसे लोगों को बचा रही है। एनजीटी ने इसकी पूरी जानकारी पर्यावरण सचिव को देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अवैध खनन को रोकने और मिलीभगत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एनजीटी ने अवैध खनन को लेकर की जा रही सभी कार्रवाई की जानकारी मांगी है, ताकि उनपर जवाबदेही तय की जा सके। एनजीटी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि माह में एक बार आदेश के अनुपालन की निगरानी करें।

बता दें कि इसको लेकर एनजीटी में कई याचिकाएं दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि पहाड़ों का अवैध खनन हो रहा है। इसमें पर्यावरण के मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है, जिससे उस क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ रहा है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

Edited By: Prateek Jain