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Naxalites in Jharkhand: बूढ़ा पहाड़ पर फिर सक्रिय हुए नक्सली, कुख्यात रवींद्र गंझू भी दस्ता के साथ पहुंचा

Naxalites in Jharkhand पलामू गढ़वा व लातेहार जिले की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना रहा है। इस इलाके में शांत पड़ चुकी नक्सल गतिविधियां फिर शुरू हो चुकी हैं। सूचना है कि बूढ़ा पहाड़ पर एक बार फिर नक्सली सक्रिय होने लगे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 08:45 PM (IST)
Naxalites in Jharkhand: बूढ़ा पहाड़ पर फिर सक्रिय हुए नक्सली, कुख्यात रवींद्र गंझू भी दस्ता के साथ पहुंचा
Buddha Pahad: पलामू, गढ़वा व लातेहार जिले की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़।

रांची, राज्य ब्यूरो। Buddha Pahad पलामू, गढ़वा व लातेहार जिले की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित क्षेत्र रहा है। पूर्व में अभियान के दौरान इस इलाके में शांत पड़ चुकी नक्सल गतिविधियां फिर शुरू हो चुकी हैं। सूचना है कि बूढ़ा पहाड़ पर एक बार फिर नक्सली सक्रिय होने लगे हैं और यहां कुख्यात माओवादी रवींद्र गंझू का दस्ता भी पहुंच गया है। पुलिस को इससे संबंधित जानकारी मिली है, जिसके बाद पुलिस रवींद्र गंझू की तलाश में जुट गई है।

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रवींद्र गंझू माओवादियों का स्वयंभू रीजनल कमांडर है। उसपर सरकार ने 15 लाख रुपये का इनाम रखा है। हाल के दिनों के गंझू लातेहार व लोहरदगा में सक्रिय रहा है। पुलिस को सूचना है कि पूर्व में चंदवा में एक एएसआइ सहित चार पुलिसकर्मियों की हत्या, लोहरदगा में लेवी के लिए वाहन फूंकने व पुलिस पर हमले के आरोपी रहे रवींद्र गंझू की पुलिस ने जब तलाश में छापेमारी शुरू की तो उसने बूढ़ा पहाड़ के घोर जंगल में अपना ठिकाना बना लिया। बूढ़ा पहाड़ के जंगल का इलाका माओवादियों के लिए इसलिए भी सुरक्षित क्षेत्र है कि यहां दिन में भी पुलिस जाने से कतराती है। अगर पुलिस की दबिश बढ़ भी जाए तो घने जंगल का लाभ उठाकर माओवादी पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर जाते हैं।

पूर्व में एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद की यहीं हुई थी बीमारी से मौत

बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में ही एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद ने शरण लिया था, जिसकी करीब दो साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। इसके बाद एक करोड़ के इनामी नक्सली सुधाकर उर्फ सुधाकरण ने बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में अपना ठिकाना बनाया था। उसने क्षेत्र में काम करने वाले बीड़ी पत्ता कारोबारी सहित अन्य विकास कार्यों से लेवी की वसूली शुरू कर दी थी। तब बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र पर पुलिस की लगातार दबिश बढऩे लगी तो वह पत्नी सहित तेलंगाना भाग गया और वहां पत्नी सहित आत्मसमर्पण किया।


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