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झारखंड-छत्तीसगढ़ के जंगलों में नक्सलियों ने बिछा रखे हैं प्रेशर बम, सुरक्षा बल निशाने पर

झारखंड व छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जंगलों में नक्सलियों ने चप्पे-चप्पे पर प्रेशर बम व बारूदी सुरंग बिछा रखे हैैं। इसका खुलासा नक्सलियों के कब्जे में 13 दिनों तक रहने के बाद शुक्रवार को मुक्त होकर घर आए लातेहार के तीन माइंस कर्मियों ने किया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 07:32 AM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 07:33 AM (IST)
झारखंड-छत्तीसगढ़ के जंगलों में नक्सलियों ने बिछा रखे हैं प्रेशर बम, सुरक्षा बल निशाने पर
जंगलों में नक्सलियों ने चप्पे-चप्पे पर प्रेशर बम व बारूदी सुरंग बिछा रखे हैैं।

लातेहार, [उत्कर्ष पाण्डेय]। झारखंड व छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जंगलों में नक्सलियों ने चप्पे-चप्पे पर प्रेशर बम व बारूदी सुरंग बिछा रखे हैैं। इसका खुलासा नक्सलियों के कब्जे में 13 दिनों तक रहने के बाद शुक्रवार को मुक्त होकर घर आए लातेहार के तीन माइंस कर्मियों ने किया। माइंस कर्मियों ने बताया कि नक्सलियों ने उन्हें जंगल में मूवमेंट करने के लिए यह कहकर साफ मना किया था कि चारों तरफ प्रेशर बम लगाए गए हैं।

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माइंस कर्मियों ने बताया कि जमीन के अंदर कई स्थानों पर बम लगे होने की बात कहने से वे सहम गए थे। वहां नक्सली भी आने-जाने के लिए एक निश्चित लीक (पतला रास्ता)  का इस्तेमाल कर रहे थे। कोई भी कहीं ज्यादा मूवमेंट नहीं कर रहा था। नक्सली बार-बार कह रहे थे कि इधर-उधर जाओगे तो उड़ जाओगे। इस इलाके में नक्सली पहले भी लैैंडमाइन विस्फोट कर कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैैं। जमीन की भीतर बारूद बिछाकर विस्फोट करना नक्सलियों के हमले का पुराना तरीका रहा है।

आमतौर पर पुलिस को निशाना बनाने के लिए नक्सली यही तरीका आजमाते रहे हैैं। नक्सल विरोधी अभियान में पुलिस आए दिन केन बम, प्रेशर बम और लैैंडमाइन बरामद करती रही है।  कई बार जाने-अनजाने में आम लोग भी इसके शिकार हो जाते हैं। 10 माह पहले लातेहार के गारू से सटे जंगली इलाके में लकड़ी लाने गई एक वृद्धा का पैर प्रेशर बम पर पडऩे के कारण उड़ गया था। रांची रिम्स में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी।  

नक्सली करते हैं दो तकनीक के बमों का इस्तेमाल

बीते दो वर्षों में नक्सलियों ककेजो बम बरामद हुए हैैं वे दो तकनीक पर आधारित रहे हैं। पहला प्रेशर बम और दूसरा है बैटरी व तारों के माध्यम से दूर से विस्फोट की जाने वाली सुरंगें। दोनों ही बम स्टील के कंटेनर, टिफिन, कांच की बोतल या प्लास्टिक की बोतलों में रखे जाते हैं। इन्हें रास्तों के किनारे या नीचे जमीन के भीतर दबा दिया जाता है, जिन पर वजन पड़ते ही विस्फोट हो जाता है। दूसरे तरह के बारूदी सुरंगों में नक्सली दूर से ही तार व बैटरी के माध्यम से धमाका करा देते हैैं।

दुर्गम है झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमा का जंगल

झारखंड व छत्तीसढ़ की सीमा पर पूर्वी-दक्षिणी दिशा की ओर फैला जंगल काफी दुर्गम है। यहां तेज धूप रहने के बाद भी घनघोर जंगलों के कारण अंधेरा ही छाया रहता है। साथ ही कई स्थानों पर गहरी खाई और नदियां भी हैं।

एंटी नक्सल अभियान के दौरान बरतनी होगी सर्तकता

13 दिनों बाद नक्सलियों से मुक्त होकर लौटे माइंस कर्मियों की ओर से जंगल में बमों को लेकर किए गए खुलासे के बाद पुलिस भी अलर्ट मोड में आ गई है। पुलिस पदाधिकारियों ने इस बारे में टिप्पणी करने से मना किया। लेकिन इतना साफ है कि एंटी नक्सल अभियान के दौरान पुलिस को सतर्कता बरतनी होगी।


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