अब भी डर के साये में नौकरी करती है महिला पुलिस
रांची : पूरे देश में महिला पुलिस अब भी डर के साये में नौकरी करती हैं। डर परिवार से जुड़ा होता है। यह स्थिति बदली जानी चाहिए।
रांची : पूरे देश में महिला पुलिस अब भी डर के साये में नौकरी करती हैं। डर परिवार से जुड़ा होता है। बच्चों की परवरिश का भय, जिसको किसी के भरोसे छोड़कर वह ड्यूटी पर आई हैं, उनके पास बच्चे सुरक्षित तो होंगे न, उसका भय हरदम उन्हें सताता है। वह डर के साथ सुबह नौकरी पर जाती है और डर के साथ ही घर लौटती है। इसका ठोस समाधान निकलना जरूरी है। यह बातें झारखंड पुलिस व राष्ट्रीय अनुसंधान विकास ब्यूरो के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय आठवां राष्ट्रीय महिला पुलिस सम्मेलन 2018 का सोमवार को शुभारंभ के दौरान सामने आई।
महिला पुलिस से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियों का हल खोजने के लिए देशभर के 149 डेलिगेट्स सोमवार को रांची के धुर्वा स्थित ज्यूडिशियल एकेडमी के सभागार में पहुंचे थे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि नारी शक्तिके बिना विकास की परिकल्पना नहीं हो सकती है। 19 नवंबर को महिला शक्तिको स्थापित करने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी और स्वतंत्रता की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली रानी लक्ष्मी बाई की जयंती है। इस मौके पर होने वाला यह सम्मेलन भी सार्थक परिणाम लाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां नारी शक्तिकी पूजा होती है। यहां की महिलाओं को जब-जब मौका मिला है, तब-तब झारखंड ही नहीं पूरे देश का नाम रौशन हुआ है। इनमें झारखंड की बेटी अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज दीपिका व पर्वतारोही प्रेमलता इसका जीवंत उदाहरण हैं। महिलाओं के विशेष योगदान को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने पुलिस बहाली में 33 फीसद आरक्षण महिलाओं के लिए किया है। इसके साथ ही अलग बटालियन का गठन किया गया है। महिला पुलिस को सुविधा देने के लिए आधारभूत संरचना पर भी काफी काम किया गया है। वर्तमान समय में अपराध का स्वरूप बदला है। नए-नए प्रकार के अपराध हो रहे हैं, इसे चुनौती के रूप में लेना है और पुलिसकर्मियों को हर प्रकार से दक्ष बनाना है। महिलाओं की दक्षता पर भरोसा करके ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्रालय का प्रभार निर्मला सीतारमण व विदेश मंत्रालय सुषमा स्वराज को सौंपा है। प्रधानमंत्री की सोच है कि महिला शक्ति को कम न आंकें।
इससे पूर्व डीजीपी डीके पांडेय ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार राज्य में महिलाओं के प्रति संवेदनशील है। झारखंड में 44 महिला थाना का सृजन हुआ, दो महिला बटालियन बने, राज्य के थानों में 300 प्रशिक्षित महिला सिपाही मुंशी के रूप में कार्य कर रही हैं। पुलिस लाइन व थानों में महिला बैरक के बाद अब महिला हॉस्टल की अवधारणा को धरातल पर उतारने की तैयारी है और इसकी शुरूआत मुसाबनी से होने जा रही है।
समारोह में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक एपी माहेश्वरी, सम्मेलन की अध्यक्ष केरला कैडर की एडीजी बीपीआरएंडी पी. सांध्या, सम्मेलन सचिव आइजी बीपीआरएंडडी संपत मीणा, आयोजन सचिव आइजी प्रशिक्षण प्रिया दुबे के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे प्रतिनिधि, झारखंड पुलिस के एडीजी, आइजी, डीआइजी, एसपी आदि मौजूद थे।
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किस राज्य के कितने प्रतिभागी हुए शामिल
राजस्थान (सात), एसवीपी एकेडमी हैदराबाद (पांच), मेघालय (चार), आरपीएफ (सात), नेपा मेघालय (दो), मणिपुर (दो), पश्चिम बंगाल (आठ), उत्तराखंड (छह), आइटीबीपी (तीन), आइटीबीपी एकेडमी (पांच), सीआइएसएफ (तीन), केरल (चार), बीएसएफ (छह), नारकोटिक्स ब्यूरो (तीन), बिहार (पांच), सीआरपीएफ (पांच), जम्मू काश्मीर (छह), एनडीआरएफ (चार), असम (पांच), हरियाणा (तीन), गुजरात (पांच), तेलंगाना (एक), एसएसबी (चार), कर्नाटक (11), तमिलनाडु (छह), उत्तर प्रदेश (दो), त्रिपुरा (एक), एनएसजी (एक), बीपीआरएंडडी (दो), असम राइफल्स (छह), महाराष्ट्र (पांच), पंजाब (छह) व ओडिशा (छह)।
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आज राज्यपाल करेंगी सम्मेलन का समापन
मंगलवार को इस दो दिवसीय सम्मेलन का समापन हो जाएगा। समापन समारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू होंगी।
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अब तक सात सम्मेलन हो चुके हैं
-बीपीआरएंडडी दिल्ली में सबसे पहले पहली बार राष्ट्रीय महिला पुलिस सम्मेलन हुआ था, जिसमें कई मुद्दे निकलकर सामने आए थे। इसके बाद दूसरा सम्मेलन उत्तराखंड (2005), तीसरा सम्मेलन हरियाणा (2009), चौथा सम्मेलन ओडिशा (2010), पांचवा सम्मेलन केरल (2012), छठा सम्मेलन असम (2014) व सातवां सम्मेलन नई दिल्ली में (2016) में हुआ था।
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