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मुनिया पूछ रहीं सवाल, कानूनी हक मिलने के बाद भी हमें क्‍यों नहीं मिल रहा अधिकार?

नेशनल लॉ विश्वविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि सामाजिक दबाव के चलते अब भी भेदभाव जारी है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 08:19 AM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 08:19 AM (IST)
मुनिया पूछ रहीं सवाल, कानूनी हक मिलने के बाद भी हमें क्‍यों नहीं मिल रहा अधिकार?
मुनिया पूछ रहीं सवाल, कानूनी हक मिलने के बाद भी हमें क्‍यों नहीं मिल रहा अधिकार?

रांची, राज्य ब्यूरो। नेशनल लॉ विश्वविद्यालय में आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्यवक्ता डॉ. माया शंकर ने कहा कि हमारे समाज में अभी भी लड़की और लड़कों में भेदभाव किया जाता है। पिता की संपत्ति में समान अधिकार का कानूनी हक तो लड़कियों को मिल गया है, लेकिन समाजिक दबाव के चलते उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह अन्य मामलों में उन्हें कानूनी रूप से सशक्त बनाया गया, लेकिन पुरुष प्रधान समाज में उनका हक नहीं मिला पा रहा है।

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उन्होंने कहा कि अगर एक लड़के को अच्छी शिक्षा दी जाती है, तो इससे सिर्फ एक परिवार का ही विकास होता है, लेकिन अगर एक लड़की को अच्छी शिक्षा दी जाती है, तो इससे एक समृद्ध समाज का निर्माण होता है। डॉ. माया शंकर नेशनल लॉ विश्वविद्यालय में 'जेंडर सेंसिटिव एजुकेशन ए नेसेसिटी टू इरैडिकैट जेंडर डिसक्रिमिनेशन इन इंडिया' विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं। 

दुष्कर्म की वजह पोर्न साइट व मोबाइल

वर्तमान परिपेक्ष्य की चर्चा करते हुए डॉ. माया शंकर ने कहा कि दुष्कर्म जैसी घटनाओं के पीछे मोबाइल और पोर्न फिल्म का ज्यादा योगदान है। अभिभावक अपने बच्चों को आधुनिक बनाने के लिए मोबाइल तो देते हैैं, लेकिन वे चेक नहीं कर पाते हैैं कि उनका बच्चा मोबाइल का उपयोग किन-किन चीजों के लिए कर रहा है। इस हालात में अब अभिभावकों को इस बारे में विचार करना होगा और मोबाइल देने के बाद समय-समय पर उसे चेक करने से इस तरह की गतिविधि पर थोड़ी लगाम जरूर लगेगी। इसमें अभिभावक के अलावा शिक्षक और समाज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैैं।

लड़के व लड़कियों में भेदभाव नहीं हो

पटना के चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की कुलपति जस्टिस मृदुला मिश्रा ने महिलाओं को कानून में मिले अधिकारों के बारे में जानकारी दी। नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशव राव वुरकुला ने कहा कि समाज में लड़के व लड़कियों में भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर महिलाओं को अच्छी शिक्षा और आर्थिक रूप से मजबूत कर दिया जाए, तो उनका अपने आप सशक्तिकरण हो जाएगा।

मानसिकता बदलने की जरूरत

जामिया मिलिया इस्लामिया की पूर्व डीन डॉ. नुजहत परवीन खान ने कहा कि समाज के भेदभाव को समाप्त करने के लिए पहले हमें अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। इसके बाद ही एक समृद्ध समाज का निर्माण कर पाएंगे। इस सेमिनार का आयोजन विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सबाल्टर्न स्टडीज के सहयोग से किया गया। इसमें फैकल्टी संयोजक डॉ. सुबीर कुमार और डॉ. गुंजन सहित अन्य ने सहयोग किया।


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