Move to Jagran APP

स्थायीकरण पर कैसे बने नियमावली, 2022 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म करने का है प्रावधान

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में प्रावधान किया गया है कि 2022 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी। इधर नियमावली नहीं बनने से पारा शिक्षक उग्र आंदोलन के मूड में हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 09:39 AM (IST)
स्थायीकरण पर कैसे बने नियमावली, 2022 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म करने का है प्रावधान
स्थायीकरण पर कैसे बने नियमावली, 2022 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म करने का है प्रावधान

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में कार्यरत लगभग 63 हजार पारा शिक्षकों के स्थायीकरण में अब प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पेच फंस गया है। इस नीति के ड्राफ्ट में प्रावधान किया गया है कि वर्ष 2022 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी। पारा शिक्षकों के स्थायीकरण को लेकर नियमावली गठित कर रही राज्य सरकार के समक्ष यह नया विषय आ गया है। इधर, आश्वासन के बावजूद नियमावली गठित होने में देरी पर पारा शिक्षकों ने एक बार फिर आंदोलन की घोषणा कर दी है।

loksabha election banner

स्कूली शिक्षा एवं प्रधान सचिव एपी सिंह ने कहा है कि पारा शिक्षकों के लिए नियमावली गठित करने को लेकर विभिन्न राज्यों के प्रावधान तो मंगा लिए गए हैं। इसपर कमेटी काम भी कर रही है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तो वर्ष 2022 तक पारा शिक्षकों की व्यवस्था ही खत्म करने की बात कही गई है। ऐसे में तीन साल के लिए कौन सी नियमावली बनेगी? उन्होंने कहा है कि स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही कोई नियमावली बन सकती है।

इधर, एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता संजय दूबे का कहना है कि विभागीय मंत्री नीरा यादव ने 15 अगस्त तक पारा शिक्षकों को तोहफा देने की बात कही थी। यह तिथि बीत चुकी, लेकिन पारा शिक्षकों को कोई तोहफा नहीं मिला। ऐसे में उनके समक्ष आंदोलन का ही रास्ता बचा। उनके अनुसार, पारा शिक्षक 25 अगस्त को सभी जिलों में न्याय यात्रा निकालेंगे। पांच सितंबर शिक्षक दिवस तक नियमावली गठित करने की दिशा में प्रयास नहीं होता है तो वे उग्र आंदोलन की घोषणा करेंगे।

आचार संहिता लागू होने तक बढ़ाएंगे दबाव

पारा शिक्षक विधानसभा चुनाव से पहले नियमावली गठित कराना चाहते हैं। इसे लेकर वे आचार संहिता लागू होने तक सरकार पर दबाव बढ़ाने के प्रयास में हैं। उन्हें पता है कि चुनाव की घोषणा तक उनके स्थायीकरण का निर्णय नहीं होता है तो यह मामला बाद में फंस जाएगा।

तीन माह का नहीं मिला मानदेय

पारा शिक्षकों को अभी तक फरवरी तथा मार्च का बकाया मानदेय भुगतान नहीं हुआ है। वहीं, जुलाई का भी मानदेय नहीं मिला है। इसे लेकर भी पारा शिक्षकों में असंतोष है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.