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Lockdown: इस गांव में हर तीसरे घर के सामने खड़ी है काली-पीली कार, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी

हजारीबाग के नवादा गांव में मुंबई में दौड़ने वाली टैक्सियां थोक में पहुंची हैं। महामारी के खौफ के चलते लॉकडाउन के दौरान से चालक इन्हें वापस लेकर आ गए हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 12:17 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 06:08 AM (IST)
Lockdown: इस गांव में हर तीसरे घर के सामने खड़ी है काली-पीली कार, जानें इसके पीछे की पूरी कहानी

हजारीबाग, [विकास कुमार]। हजारीबाग स्थित विष्णुगढ़ के नवादा गांव का नजारा बदला-बदला है। हर तीसरे-चौथे मकान के बाहर यहां खड़ी काले और पीले रंग में रंगी टैक्सियां बरबस ध्यान खींचती हैं। इस छोटे से गांव में एक-दो नहीं बल्कि ऐसी 50 टैक्सियां हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की सड़कों पर राज करने वाली ये टैक्सियां लॉकडाउन या उसके बाद यहां पहुंचीं हैं।

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गांव में टैक्सी लेकर पहुंचे मो. तस्लीम अंसारी बताते हैं कि करीब 15 साल से वे मुंबई में काम कर रहे थे। टैक्सी की कमाई से ही उनके घर का खर्च चलता है। लेकिन वहां महामारी का जैसा आलम है, अपने घर ही पहुंचना बेहतर समझा। टैक्सी लेकर यहीं आ गया हूं। जान है तो जहान है। देखते हैं बीमारी का कहर थोड़ा थमे तो फिर जाने की सोचेंगे। अभी कुछ दिन यहीं रहेंगे लेकिन जाना तो मजबूरी है। टैक्सी ही रोजी का साधन है।   

सिर्फ नवादा गांव में पहुंची हैं 50 से अधिक टैक्सियां

नवादा गांव के ग्रामीण बताते हैं कि यहां पर बड़ी संख्या में लोग मुंबई में टैक्सी का परिचालन करते हैं। यही उनके रोजगार का साधन भी है। सिर्फ लॉक डाउन के दौरान नवादा पंचायत के नवादा, नवादा पगार, कुसुंभा गांव के 50 से अधिक टैक्सी चालक अपनी टैक्सियों को लेकर पहुंचे हैं। इसके अलावा टेकवाडीह गैड़ा, बेड़ाहरियारा, अलपीटो, बरायं आदि गांवों को जोड़ दिया जाए तो इनकी संख्या 100 से अधिक है। हालांकि, ये अब काम के लिए वापस भी जाना चाहते हैं और स्थिति सामान्य होने की राह देख रहे हैं। 

लोगों की मदद में आ रही काम

गांव पहुंची ये टैक्सियां अब लोगों की मदद के भी काम आ रही हैं। हालांकि, परमिट नहीं होने की वजह से ज्यादा दूरी तक लोग इसका संचालन नहीं कर पाते। लेकिन अस्पताल जाने, हजारीबाग में स्थानीय क्षेत्रों में जाने में लोगों की मदद में इन टैक्सियों का इस्तेमाल हो रहा है। नवाडीह के नीलकंठ साव बताते हैं कि मुंबई में रहकर ऑटो चलाते थे। लेकिन, लॉकडाउन के बाद अपनी ही गाड़ी से चार साथियों के साथ लौट आए। अब कभी कोई मदद मांगता है तो उसे अस्पताल आदि पहुंचा देता हूं। इस बीच लोग खुशी से कुछ दे देते हैं तो ठीक है।


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