महेंद्र सिंह धौनी के झारखंड क्रिकेट में राजनीति का खेल, होनहार हो रहे डिरेल
Mahendra Singh Dhoni. झारखंड क्रिकेट संघ के सदस्यों के चलते एसोसिएशन का हाल बेहाल हो गया है। धौनी जैसे खिलाड़ी देश को देने के बावजूद चयन में जमकर राजनीति हो रही है।
रांची, जासं। महेंद्र सिंह धौनी जैसे होनहार खिलाड़ी देने वाला झारखंड क्रिकेट पिछले पांव पर खड़ा है। अच्छे खिलाड़ी मौका नहीं मिलने से पलायन को विवश हैं। एकीकृत बिहार में रांची जिला क्रिकेट संघ अपने प्रदर्शन के दम पर अपनी पहचान कायम किए हुए था। इसमें जिला लीग खेलने वाली मुहल्लों की टीमों के साथ कंपनी की टीमों का बड़ा योगदान था। मुख्यत: मेकन, उषा मार्टिन, सेरसा, सीएमपीडीआई, सीसीएल, आरएनडी सेल की टीमें थीं। एचईसी, एसबीआई की टीम भी लीग खेला करती थी।
सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अलग राज्य बनने के बाद सत्ता हासिल करने और संघ पर साम्राज्य स्थापित करने के गंदे खेल ने रांची जिला क्रिकेट एसोसिएशन (आरडीसीए) को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है। चारों तरफ अंतराष्ट्रीय स्टेडियम निर्माण के दंभ पर क्रिकेट के विकास का झूठा प्रपंच रचा गया, लेकिन जिला संघ का क्या हाल है किसी से छुपा नहीं है?
झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के नये आजीवन सदस्यों और तत्कालीन जेएससीए पदाधिकारियों ने मिलकर एकीकृत बिहार के सबसे पुराने जिला संघ आरडीसीए (स्थापना 1961-62) का बेड़ा गर्क करके रख दिया। शुरुआत में ये पदाधिकारी बेहतर क्रिकेट का आश्र्वासन तो दे रहे थे लेकिन जिला संघ के कई वषरें के अंतर जिला में प्रदर्शन ने इनकी पोल खोलकर रख दी।
प्रखंड स्तर तक होने वाले मैच शहरों तक सिमटे : पूर्व सचिव को राज्य क्रिकेट संघ का चुनाव लड़ने के कारण हजारीबाग एसजीएम में जनवरी 2014 को सदस्यता के साथ-साथ आरडीसीए सचिव पद से बर्खास्त कर दिया गया। उस समय क्रिकेट रांची जिला के चारों तरफ आयोजित होता था। मुख्यत: 10 मैदानों का इस्तेमाल और लीग खेलने वाली 150 से अधिक टीमें थीं। स्कूल टूर्नामेंट दो आयु वर्ग अंडर 14/16 आयोजित होता था, जिसमें 48 स्कूली टीमें दोनों प्रतियोगिता में शामिल होती थीं। आज अंतर स्कूल टूर्नामेंट में कोचिंग सेंटर की टीमों को भी शामिल कर खेलाया जाता है। प्रखंड स्तर तक आयोजित होने वाला क्रिकेट शहर तक सिमट कर रह गया है।
कई खिलाड़ी दिए हैं रांची ने : रणजी ट्रॉफी टीम में स्थानीय जिला के जहां कई खिलाडि़यों ने उपस्थिति दर्ज की मसलन महेन्द्र सिंह धौनी, स्वर्गीय संतोष लाल, अंशुमन राज, सुब्रतो घोष, सिद्धार्थ राज सिन्हा, राजेश झा, सचिन प्रसाद, शब्बीर हुसैन, शिव प्रकाश गौतम, कौशल सिंह, मोनू सिंह,पप्पू सिंह, प्रकाश मुंडा, अरूण, देवेश एवं विभिन्न आयु वर्ग में सैकड़ों खिलाडि़यों ने जिला की ओर से राज्य का प्रतिनिधित्व किया लेकिन अभी मात्र दो खिलाड़ी नाजिम सिद्दकी और अजय यादव टीम में हैं। जाहिर है प्रतिभा का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा।
कई खिताब जीते इस बार फाइनल में भी नहीं पहुंचे : सत्र 2018-19 का अंतर जिला टूर्नामेंट का फाइनल मैच होने वाला है लेकिन इसमें रांची का नाम ही नहीं। पिछले तीन सत्रों का प्रदर्शन देखें तो रांची जिला की टीम इंटर डिस्टि्रक्ट टूर्नामेंट में 4 में विजेता और 2 में उपविजेता रही है। अभी 2018-19 का सत्र जारी है जिसमें एक भी टूर्नामेंट में टीम फाइनल मैच तक नहीं पहुंच पाई है। वष 2001-14 तक रांची जिला की टीम 10 में विजेता और 4 में उपविजेता रह चुकी है। पहले रांची जिला क्रिकेट संघ महिला टूर्नामेंट का भी आयोजन करता था। पुरानी कमिटी के कार्यकाल में सीनियर महिला टीम हमेशा विजेता रही है, जो अब नहीं है।
पलायन कर गए खिलाड़ी : पुरानी कमिटी के भंग किये जाने के बाद एक वर्ष तक वही खिलाड़ी निबंधन कराकर खेल रहे थे, उसके बाद धीरे-धीरे कुछ खिलाड़ी दूसरे जिला संघ पलायन कर गये। किसी तरह क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है। टीमों की संख्या घटाकर इंट्री फीस तीन गुणा बढ़ाकर मनपसंद टीमों का निबंधन कराया जाता है जिससे कमिटी के संचालन में व्यवधान न उत्पन्न होने पाए।-सुनील कुमार सिंह, पूर्व सचिव आरडीसीए।