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घोटालेबाजों पर मेहरबानी: जानिए कैसे अफसर बचाते हैं मातहतों को

Electricity Scam in Jharkhand. नौ साल पुराने मामले में पहले अफसरों ने दिया केस का आदेश अब फिर से जांच कराने की तैयारी हो रही है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 03:51 PM (IST)
घोटालेबाजों पर मेहरबानी: जानिए कैसे अफसर बचाते हैं मातहतों को
घोटालेबाजों पर मेहरबानी: जानिए कैसे अफसर बचाते हैं मातहतों को

रांची, [प्रदीप सिंह]। यह किसी घोटाले में फंसे पदाधिकारियों को बचाने की कवायद का नायाब नमूना है। बिजली महकमे के जिन नौ पदाधिकारियों के खिलाफ बीते 25 फरवरी को बिजली वितरण निगम के बोर्ड आॅफ डायरेक्टर ने केस (अभियोजन) दर्ज कराने की अनुमति दी थी उनके खिलाफ फिर से नए सिरे से जांच की तैयारी है। यह भी उल्लेखनीय है कि पदाधिकारियों के खिलाफ चला आ रहा यह मामला नौ साल से लटका था। इस बाबत जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना में एफआइआर भी दर्ज है।

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मामले की पूरी तफ्तीश के बाद बिजली महकमे के अधिकारियों ने सत्य पाया था। विधि सलाहकार ने भी इसपर आपत्ति जताते हुए कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की। इसपर बोर्ड आफ डायरेक्टर ने भी सहमति दी। लेकिन मामला अधर में लटक गया। अभियोजन की अनुमति के बाद इस मामले की फिर से जांच कराने की कोशिशें तेज है। इस बाबत अनुशंसा भी की गई है। इसमें ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी की अनुमति का इंतजार है। गौरतलब है कि इस घोटाले में शामिल अफसर फिलहाल उच्च पदों पर बैठे हैं। एक आरोपित संजय कुमार फिलहाल रांची एरिया बोर्ड के महाप्रबंधक हैं। 

हाइलाइट्स
-बीते 25 फरवरी को नौ पदाधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की दी गई थी अनुमति
-मामला दबाने को कुछ दिन छुट्टी पर रहे पदाधिकारी, अब बढ़ाई गई फिर से जांच कराने की फाइल
-नौ साल पहले साढ़े तीन करोड़ ज्यादा दिया गया था बिजली कंपनियों को
-आरोपितों में रांची एरिया बोर्ड के महाप्रबंधक समेत कई वरीय अधिकारी भी 
-जमशेदपुर, आदित्यपुर और घाटशिला में बिलिंग कंपनियों को किया था अधिक भुगतान 

यह है मामला
मामला विद्युत आपूर्ति प्रमंडल आदित्यपुर, जमशेदपुर और घाटशिला का है। इसमें बिलिंग एजेंसी को अत्यधिक भुगतान करने का आरोप है। इस संबंध में जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाना में 12 सितंबर 2011 को केस (कांड संख्या 150/11) दर्ज कराया गया था। इससे पूर्व तत्कालीन झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड ने पांच जून 2010 को मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। 

इन अधिकारियों पर है ज्यादा भुगतान का आरोप
1. एचके सिंह, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता - जमशेदपुर
-मेसर्स क्रिस्टल, मेसर्स प्रकृति इंटरप्राइजेज को कुल मिलाकर 1,55,08, 800 रुपये का किया ज्यादा भुगतान।

2. धनेश झा - तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, आदित्यपुर
 - मेसर्स इंफोस्टेट डाटा को 49,28,319 रुपये का किया ज्यादा भुगतान।

3. प्रतोष कुमार -  तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, आदित्यपुर इंफोस्टेट डाटा को 19,62,863 रुपये का किया अधिक भुगतान।
4. सुकरू खडिय़ा -  तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, घाटशिला 73,79,360 करोड़ का ज्यादा किया भुगतान।
5. गोपाल मांझी - तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, जमशेदपुर 4,80,252 रुपये का ज्यादा भुगतान किया।
6. मुकुल गरवारे -  तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, सरायकेला 1,34,502 रुपये का किया अधिक भुगतान।

7. संजय कुमार -  तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, चाईबासा 5,87,052 रुपये का अत्यधिक भुगतान किया।
8. अजीत कुमार -  तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, चक्रधरपुर कुल 49,19,567 रुपये का ज्यादा किया भुगतान।
9. ओपी अंबष्ठ - तत्कालीन अधीक्षण अभियंता सभी बिल पर इन्होंने अपना प्रति हस्ताक्षर किया।


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