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मतांतरण में पैसे और छद्म लड़ाई का जोर, संघर्ष कर रहे हिंदू संगठन

झारखंड सहित पूरे देश में जिस रफ्तार से ईसाई मिशनरियां मतांतरण में लगी हुई हैं उससे यह स्पष्ट है कि हिंदू संगठन अपने समाज को टूटने से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन संगठनों की मानें तो ईसाई मिशनरियां पैसे और झूठ का सहारा लेकर लोगों को बरगलाती।

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 09:28 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 01:44 PM (IST)
मतांतरण में पैसे और छद्म लड़ाई का जोर, संघर्ष कर रहे हिंदू संगठन
मतांतरण में पैसे और छद्म लड़ाई का जोर, संघर्ष कर रहे हिंदू संगठन। जागरण

रांची [संजय कुमार] । झारखंड सहित पूरे देश में जिस रफ्तार से ईसाई मिशनरियां मतांतरण में लगी हुई हैं, उससे यह स्पष्ट है कि हिंदू संगठन अपने समाज को टूटने से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन संगठनों की मानें तो ईसाई मिशनरियां पैसे और झूठ का सहारा लेकर लोगों को बरगलाती हैं। उन्हें बेहतर जिंदगी के सपने दिखाए जाते हैं। आर्थिक मदद दी जाती है। इससे लोग उनके प्रभाव में आ जाते हैं।

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हालांकि चमकधमक कुछ ही दिनों के लिए होती है, मतांतरण के बाद ज्यादातर परिवार आज भी वैसी ही जिंदगी जी रहे यह भी सच है। हिंदू संगठन स्वीकारतेnहैं कि इन मिशनरियों से लोहा लेने के लिए और अधिक प्रयास की जरूरत है। जरूरतमंदों को आॢथक रूप से मदद के साथ ही सेवा कार्य बढ़ाने पर भी जोर देना होगा। विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे का कहना है कि 400 वर्षों से भारत में ईसाई मिशनरियां मतांतरण के काम में लगी हैं। पैसा के बल पर हजारों लोगों को उन्होंने इस काम में लगा रखा है।

मतांतरण के काम के लिए ही उनके पास विदेश से धन आता है। पूरे देश में ईसाई मिशनरियों से प्रभावित हजारों स्वयंसेवी संस्थाएं भी विदेशी पैसे के बल पर इस काम में लगी हैं। हमलोगों के पास उनके मुकाबले पैसे की कमी है। बावजूद यह भी सच है कि इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि भारत इस छद्म लड़ाई के खिलाफ संघर्ष कर रहा है, जबकि विश्व के 126 देश ईसाई बन गए।

जागरुकता से लड़नी होगी लड़ाई

परांडे ने कहा कि राम मंदिर निधि संग्रह अभियान के समय हमलोग देश के 5.50 लाख गांवों तक पहुंचे। वहां उत्साही लोगों को अपने साथ जोड़ा। अब गांवों में पादरियों का विरोध शुरू हुआ है, हम तक सूचना पहुंच रही है। छद्म लड़ाई में माहिर मिशनरियां अलर्ट हो गई हैं, अब वे गेरुआ वस्त्र धारण कर लोगों की आंखों में धूल झोंकते हैं। रूद्राक्ष की माला पहनकर उसमें क्रॉस लगाते हैं। लोग धीरे-धीरे अब इनकी धूर्तता को समझने लगे हैं। जर्मनी में तो दो लाख लोगों ने कैथोलिक चर्च को छोड़ दिया है।

अपने देश में भी जागरुकता फैल रही है, इसमें और तेजी लाने के लिए समाज को आगे आना होगा। हिंदू समाज का हर व्यक्ति अपने समाज को संगठित रखने के लिए सिपाही बन जाए। अगर उसके आसपास मतांतरण का खेल हो रहा है तो उसका विरोध करे। हम तक बात पहुंचाए। बस आंखें मूंद कर नहीं रहे। समझना होगा कि समाज कमजोर होगा, परिवार कमजोर होगा तो विदेशी ताकतें हावी हो जाएंगी।

केंद्र सरकार जल्द से जल्द बनाए कानून

हिंदू जागरण मंच के क्षेत्र संगठन मंत्री डा. सुमन कुमार कहते हैं, जब मतांतरित आदिवासियों को नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण का लाभ सहित अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा तब उनकी आंखें खुलेंगी। हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि मतांतरित आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के लिए जल्द से जल्द कानून बनाए। कानून नहीं बनने से ये लोग सरना आदिवासियों का हक मार रहे हैं। हालांकि माना कि कानून बनाना सरकार काम है, यह बनता रहेगा। परंतु हमें सुदूर ग्रामीण इलाकों में अपना काम तेजी से बढ़ाना होगा।


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