विधायकों के खाते में यूं ही पड़े हैं अरबों रुपये
एमएलए फंड से क्षेत्रीय विकास की योजनाओं को गति देने के लिए प्रति विधायक प्रति वर्ष च
रांची : एमएलए फंड से क्षेत्रीय विकास की योजनाओं को गति देने के लिए प्रति विधायक प्रति वर्ष चार करोड़ रुपये दिए जाने का प्रावधान झारखंड सरकार ने कर रखा है। कहने को पिछले वित्तीय वर्ष में इस मद में जारी राशि का कम से कम 66 फीसद तथा उसके पिछले वित्तीय वर्ष के 100 फीसद राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही अगले वित्तीय वर्ष में इस मद की राशि निकाली जा सकती है, परंतु झारखंड के लिए यह सब कागजी बातें हैं। योजना एवं वित्त विभाग हर साल इससे संबंधित सख्त आदेश जारी करता है, फिर विधायकों के दबाव में सारे आदेशों को शिथिल करते हुए राशि की एकमुश्त निकासी का आदेश जारी कर दिया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। चार करोड़ रुपये के हिसाब से 328 करोड़ की निकासी के आदेश जारी कर दिए गए, परंतु इस मद के अरबों रुपये यूं ही पड़े हैं। अबतक सिर्फ देवघर, जामताड़ा और सिमडेगा में 19 करोड़ 44 लाख रुपये की निकासी हुई है। संबंधित जिलों के कोषागारों से ग्रामीण विकास विभाग तक पहुंची रिपोर्ट इसकी बानगी है। और तो और राज्य गठन के बाद से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 तक इस मद में जारी 2284.97 करोड़ रुपये में से 799.03 करोड़ रुपये का हिसाब (उपयोगिता प्रमाणपत्र) विभाग को नहीं मिल सका है।
फैक्ट फाइल
- झारखंड गठन के बाद से लेकर वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीच विधायक योजना मद में जारी हुए 1738.09 करोड़। इनमें से 672.42 करोड़ रुपये का नहीं मिला उपयोगिता प्रमाणपत्र।
- मुख्यमंत्री विकास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2000 से 2017 के बीच जारी हुए 546.88 करोड़। इनमें से 126.61 करोड़ रुपये का नहीं मिला हिसाब।
- 2016-17 से विधायक योजना और मुख्यमंत्री विकास योजना को एक कर विधायक योजना कर दिया गया।
- 2017-18 से हर विधायक को शौचालयों के निर्माण पर 50 लाख रुपये तथा सोलर लाइट पर 20 लाख रुपये खर्च करने का निर्देश सरकार ने दे रखा था।
- राज्य का वह इलाका जो 75 फीसद खुले में शौचालय से मुक्त (ओडीएफ) हो चुका है, वहां 50 लाख रुपये खर्च करने की बाध्यता खत्म करने की सिफारिश विधायकों ने कर रखा है।
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