हरियाणा में झारखंड के खिलाड़ी प्रताड़ित, मैच हारने का बनाया दबाव-दी गलत जानकारी
नेशनल स्कूल गेम्स फेडरेशन अंडर-14 बालिका फुटबॉल टूर्नामेंट के आयोजकों पर साजिश प्रताडऩा व पक्षपात का आरोप। झारखंड की टीम ने एक बार मैदान छोड़ा तो कार्रवाई की दी गई धमकी।
रांची, [संजीव रंजन]। नेशनल स्कूल गेम्स फेडरेशन (एसजीएफआइ) अंडर-14 बालिका फुटबॉल टूर्नामेंट खेलने गई झारखंड टीम को कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में आयोजकों की साजिश, पक्षपात और प्रताडऩा का शिकार होना पड़ा। पहले जहां गलत जानकारी देकर टीम की खिलाडिय़ों को आयोजन स्थल ले जाने की बजाय इधर-उधर भटकाया गया, वहीं फाइनल मैच के दौरान खिलाडिय़ों पर मैच हारने के लिए दबाव बना गया। इससे पहले टीम मैनेजर पर दबाव गया कि वह लिखकर दें कि उनकी टीम में दो लड़कियां अधिक उम्र की हैं।
मैच के दौरान रेफरी ने भी पक्षपात करते हुए मेजबान टीम को पेनाल्टी का लाभ दे दिया। इन सबकी शिकायत करने पर बार-बार झारखंड की टीम को ही गलत ठहराया गया। कार्रवाई की भी धमकी दी गई। अंतत: झारखंड की टीम 1-0 से हार गई। झारखंड की खिलाडिय़ों और टीम मैनेजर का कहना है कि इस घटना से वे आहत हुए हैं। खेल में अच्छा प्रदर्शन करने की बजाय साजिश और षडयंत्र रचकर किसी टीम को हराने की परंपरा खेल के भविष्य के लिए घातक है।
इस तरह के माहौल और मंशा वाली टीमों और आयोजकों के साथ भविष्य में हम कभी नहीं खेलना चाहेंगे। झारखंड के टीम मैनेजर का कहना है कि आयोजकों की मंशा पूरे टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर फाइनल में पहुंचने वाली झारखंड की टीम को येन-केन प्रकारेण गलत हथकंडे अपनाकर पराजित करने की थी। शनिवार को फाइनल मैच हरियाणा के साथ था। फाइनल मैच शुरू होने से कई घंटे पहले से ही आयोजकों ने झारखंड की टीम को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया था। मैच के दौरान रेफरी ने भी जमकर मेजबान टीम का साथ दिया और गलत पेनाल्टी देकर कुरुक्षेत्र टीम को जीत भी दिला दी।
खिलाडिय़ों को तीन मैदानों के लगवाए चक्कर
बताया जाता है कि झारखंड की टीम कुरुक्षेत्र आवासीय विद्यालय में ठहरी थी। फाइनल मैच साढ़े नौ बजे से शुरू होना था। सुबह 7:30 बजे आयोजक ने झारखंड के टीम के मैनेजर सुरेश को बताया कि आयोजन का स्थान बदल गया है, इसलिए आप लोग अभी चलें। मैनेजर ने मैच का स्थल बदले जाने का कारण पूछा तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। झारखंड की टीम को बस में बैठाकर एक-एक कर दो मैदानों के चक्कर लगवाए गए। पहले एक मैदान में ले जाकर कहा- मैच यहां होगा। बस से उतरकर खिलाड़ी वार्म करने लगे तब कुछ देर बाद बताया गया कि दूसरे ग्राउंड में जाना है।
वहां भी यही कहानी हुई। इसके बाद टीम को मुख्य आयोजन स्थल गुरुकुल ग्राउंड ले जाया गया। अंतत: फाइनल मैच पहले से तय मैदान में 11:30 बजे शुरू हुआ। झारखंड की खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर सकें, इस मंशा से उन्हें तीन घंटे तक इधर-उधर घुमाया गया। मैच शुरू होने से पहले आयोजकों ने मैनेजर से कहा कि लिखकर हमें दो कि झारखंड टीम में अधिक उम्र की खिलाड़ी शामिल हैं। जब सुरेश ने लिख कर नहीं दिया तो खिलाडिय़ों पर मैच हारने का दबाव बनाया गया। इसमें भी सफल नहीं हुए तो रेफरी ने पक्षपात कर हरा दिया।
रेफरी ने गलत तरीके से पेनाल्टी दी तो झारखंड की खिलाडिय़ों ने छोड़ दिया मैदान...
झारखंड की खिलाडिय़ों के अनुसार मैच शुरू हुआ रेफरी ने गलत निर्णय देकर मेजबान टीम को लाभ कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले हाफ में मेजबान टीम इतना समर्थन मिलने के बाद भी गोल नहीं कर पाई। दूसरे हाफ में एक खिलाड़ी द्वारा छाती से गेंद रोकने पर रेफरी ने मेजबान टीम को पेनाल्टी का लाभ दे दिया। जब झारखंड के खिलाडिय़ों ने इसका विरोध किया तो उन्हें रेड कार्ड दिखाया गया। विरोध में झारखंड की टीम ने मैदान छोड़ दिया। इसके बाद आयोजकों द्वारा कड़ी कारवाई करने की धमकी दी गई। मैच में झारखंड की टीम 1-0 से हार गई।
'आयोजकों ने झारखंड टीम के खिलाडिय़ों के साथ गलत व्यवहार किया और टीम पर हारने के लिए दबाब बनाया। मझे कागज पर यह लिखकर देने को कहा गया कि टीम में 14 साल से अधिक उम्र की दो लड़कियां शामिल हैं। मैंने मना किया तो मुझ पर दबाव बनाया गया। हमने जब इसकी शिकायत पर्यवेक्षक से की तो हमें ही गलत ठहराया गया। पूरे टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन कर फाइनल में पहुंचने वाली झारखंड की टीम इतना दबाव के बाद भी फाइनल में अच्छा खेली। इसके बाद रेफरी ने पक्षपात कर दिया।' -सुरेश कुमार, टीम मैनेजर, झारखंड।
'कुरुक्षेत्र में झारखंड टीम के साथ हुआ व्यवहार निंदनीय है। झारखंड की बालिकाओं को धमकाना और हारने के लिए कहना खेल भावना के खिलाफ है। पिछले साल भी हॉकी में झारखंड के खिलाडिय़ों के साथ ऐसा ही हुआ था। इस तरह के माहौल में झारखंड की टीम भविष्य में भाग नहीं लेगी।' -उमा जायसवाल, खेल समन्वयक, खेल विभाग, झारखंड।