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99 लाख के सपने देख रहे नेताजी, मगर गिनती ही पूरी नहीं हुई... पढ़ें सेहत के संसार का हाल

Jharkhand Government News. मंत्रीजी ने पूरी प्रक्रिया पर खुद ही रोक लगा दी। अब इन्हें गड़बड़ी दिख गई। दो अधिकारियों की लड़ाई में इन फ्रंटलाइन वर्करों की जिंदगी झूल रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 01:03 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 04:52 PM (IST)
99 लाख के सपने देख रहे नेताजी, मगर गिनती ही पूरी नहीं हुई... पढ़ें सेहत के संसार का हाल
99 लाख के सपने देख रहे नेताजी, मगर गिनती ही पूरी नहीं हुई... पढ़ें सेहत के संसार का हाल

रांची, [अमन मिश्रा]। पद मिलते ही अच्छे-अच्छों की गणित मजबूत हो जाती है। मगर जबतक बात पैसों की होती है सिर्फ तब तक ही मजबूत रहती है। इन दिनों स्थायी नौकरी के लिए कुछ चिकित्सकों के भरोसे ऊंचे पद पर विराजमान एक नेताजी अपनी गणित को स्ट्रांग बनाना चाहते हैं। वो भी पैसों की गिनती से। हवा में काफी दिनों से बात चल रही है कि नेताजी ने 33 गुणे 3 लाख के कैलकुलेशन के हिसाब से 99 लाख की गिनती भी शुरू कर दी है। 33 उम्मीदवारों की जिंदगी दावं पर लगी है। एक उम्‍मीदवार ने बताया कि उसके पास बेचने के लिए भी कुछ नहीं है, न ही जमापूंजी है। मेरिट के आधार पर चयन हुआ, अब नियुक्ति पत्र के लिए पैसे कहां से लाएं। लोगों ने जब इंकार किया तब पूरी प्रक्रिया रोक दी। समय है, संभल जाएं वरना शर्मिंदगी अलग होगी और पद जाएगा सो अलग।

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भरोसा देना और तोड़ देना

मंत्रीजी हमारी नियुक्ति प्रक्रिया कब तक पूरी होगी। 48 घंटे में हो जाएगी। 48 घंटे बाद और कितना समय लगेगा मंत्रीजी। प्रक्रिया हो चुकी है, मैंने मंजूरी दे दी है, दो से तीन दिनों में नियुक्ति पत्र मिल जाएगी। ये बातचीत स्वास्थ्य विभाग के मंत्रीजी और रिम्स के लैब टेक्नीशियनों के बीच की है। न सिर्फ इन्हें भरोसा दिलाया गया बल्कि खूब मीडियाबाजी भी हुई। मंत्रीजी जहां जाते, बगैर सवाल किए खुद बयान दे देते। अब दो महीने से अधिक बीत गए। मंत्रीजी ने पूरी प्रक्रिया पर खुद ही रोक लगा दी। अब इन्हें गड़बड़ी दिखाई दे रहा है। दरअसल, गड़बड़ी कुछ नहीं, बस दो अधिकारियों की लड़ाई में इन फ्रंटलाइन वर्करों की जिंदगी झूल रही है। इसका मंत्रीजी को कोई पछतावा नहीं है। कुछ ने तो मंत्रीजी के बदलते तेवर देखकर 6 हजार की जो नौकरी चल रही थी, उससे भी इस्तीफा दे दिया।

103 रुपये में कोरोना फ्री

खबर खूब चर्चा में है, 103 रुपये में कोरोना से छुटकारा। नई दवा बाजार में आ चुकी है जो कोरोना को जड़ से मिटा देगी। लोग सुनते ही टेंशन फ्री हो चुके हैं। पहले कोरोना का डर सता रहा था, हाथ मिलाना तो दूर इंसान को दूसरे से बात 2 मीटर दूर से करनी पड़ रही थी। लोग घरों से कम निकल रहे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में फिर भी ठीक, शहर के बड़े अधिकारी ज्यादा बेचैन थे। जैसे ही खबर मिली कोरोना को खत्म करने की दवा आ गई है। सरकार के स्तर से मान्यता भी मिल गई है, दो दिनों से सिर्फ यहीं बातें सोशल मीडिया में फैली हुई है। हालांकि दवा आएगी कब,  क्या फायदे हैं, क्या सही में खत्म होगी यह बातें अभी हवा में चल रही है। लेकिन लोग हैं जो अभी से मास्क, सैनिटाइजर छोडऩा शुरू कर दे रहे हैं।

तकरार बरकरार

अधूरा ज्ञान हमेशा से ही खतरनाक रहा है। इसी अधूरे ज्ञान के बल पर मंत्रीजी लोगों से बैर करते जा रहे हैं। राज्य के सबसे बड़े सेहत संस्थान को इन्होंने दो गुटों में बांट दिया है। किसी को पद का लालच देकर अपनी ओर कर लिया है तो किसी को पद से हटाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हालांकि अब तक सफलता नहीं मिली। इसी को लेकर अब मंत्रीजी और संस्थान के बड़े अधिकारी के बीच जंग छिड़ चुका है। दोनों ओर से मजबूती से पलटवार शुरू हो गया है। मंत्री जी ठहरे माननीय उन्होंने तीन दिन पूर्व एक आदेश जारी कर संस्थान के सभी टेंडर, नियुक्ति, प्रोन्नति पर रोक लगा दी। सोचा कि सब अब अपने हाथ में, लेकिन हो गया उलटा। बोर्ड के सदस्यों ने उन्हें कांटे की चुनौती दे दी और कह दिया कि कोई प्रक्रिया नही रुकेगी। अब मंत्रीजी क्या करें।


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