प्रसिद्ध छठ गीत गायिका मेघा श्रीराम डाल्टन ने कहा छठ गीत बताते हैं श्रद्धा की गहराई
प्रसिद्ध गायिका मेघा श्री राम डाल्टन का कहना है कि बिना छठ गीतों के पर्व फीका सा लगता है। अब छठ गीत पर्व का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।
छठ प्रकृति का सबसे बड़ा पर्व है जो कि संगीतमय पर्व है, जिसका कोई रस्म बिना संगीत के पूरा नहीं होता है। पूरा का पूरा शहर-गाव निकलकर नदी-सूरज को पूजने एकसाथ इकट्ठा हो जाता है। पर यहा तक पहुंचने से पहले बहुत तैयारी करनी पड़ती है। छठ पूजा से जुड़कर चाहे आप कुछ भी कर रहे हों, हर पूजा में आप गीत गाते हैं। हर रस में, हर भाव में आप गीत गाते हैं। कायदे से इस पर्व का नाम छठ-गीत-पर्व होना चाहिए, क्योंकि छठ के दौरान होने वाले तमाम रस्म के दौरान हम गाना गाते हैं। गीत गाए बिना कोई भी काम नहीं हो पाता है।
यह पर्व इतना कठिन पर्व है कि अगर गाना न गाया जाए तो बड़ा बोझिल और कठिन लगेगा। दो से ढाई दिन तक उपवास रखना पड़ता है। इसमें साफ-सफाई का ध्यान रखना पड़ता है। किसी तरह की कोई गलती न हो इसका ध्यान रखना पड़ता है। तो इन सब कामों को करने के लिए आपका लय में होना जरूरी है।
इसलिए हम हर्ष में गाते होंगे शायद। जहा तक मेरा सवाल है छठ पूजा को लेकर मैं यही कहूंगी कि मेरे गाने की शुरुआत मरबो रे सुगवा सुनकर हुई थी। गीत की पहाड़ी धुन इतनी मार्मिक थी, इतने दिल के करीब थी, ट्यून इतना बढि़या लगता था कि इंतजार करती थी कि छठ का पर्व कब आएगा। उसके गाने कब गाऊंगी! और तब लिरिक्स याद नहीं हो पाता था लेकिन धुन तो दिल में बस गया था और देखिए मैं यह भी कहूंगी कि ये एक ऐसा पर्व है जहा पर आप अकेले नहीं कर सकते हैं। ये सामूहिकता का पर्व है।
जब किसी को पता चलता था कि हमारे घर पर पर्व है तो अगल-बगल समेत नाते-रिश्तेदार सभी आते थे, क्योंकि सबको पता है सूरज बाबा की महिमा क्या है, छठी मा का आशीर्वाद क्या होता है।
कहीं रास्ते की साफ-सफाई चल रही है तो कहीं गन्ने बंट रहे हैं, कोई दूध बाट रहा है. बहुत उत्साह होता है।
काफी समय से मैं छठ का गीत गाना चाहती थी। पिछले साल मेरी धिया-पुता शॉर्ट फिल्म आई थी, जिसके लिए गाया था। जो कि काफी पसंद किया गया था और इस साल भी मैंने दो और गीत गाए हैं। कुल मिलाकर कहें तो मेरे हिस्से में चार छठ गीत आए हैं। मुझे भी इस वर्ष छठ करना था पर सारेगामापा लिटिल चैंप्स बिग गंगा की शूटिंग के कारण नहीं आ पाई। पर मन में एक संतोष है कि मैं न सही मेरा छठ गीत मेरे गाव-घर में, घाट पर बजेगा तो घर नहीं होने का एहसास कम रहेगा।