झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र में तीसरी बार आएगा मेडिकल प्रोटेक्शन बिल
प्लेसमेंट एजेंसियों पर शिकंजा कसने को प्रस्तावित झारखंड प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज एंड डोमेस्टिक वर्कर्स विधेयक भी मानसून सत्र में दूसरी बार रखा जाएगा।
रांची, नीरज अम्बष्ठ। झारखंड विधानसभा के 16 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में लगभग आधा दर्जन विधेयक लाने की तैयारी है। इनमें झारखंड चिकित्सा सेवा से संबंद्ध व्यक्तियों, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा व संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक भी शामिल है। यह विधेयक तीसरी बार विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग एक जिम्मेदार पदाधिकारी के अनुसार विभाग ने विधेयक और प्रवर समिति की रिपोर्ट दोनों विधानसभा सचिवालय को भेज दिया है। इसके अलावा इस सत्र में तीन निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से संबंधित विधेयक भी पटल पर रखे जाएंगे।
इसमें चौधरी चरण सिंह एजुकेशन सोसाइटी तथा रामकृष्ण धर्मार्थ फाउंडेशन (आयुष्मति एजुकेशन एंड सोशल सोसाइटी) द्वारा स्थापित किए जाने वाले विश्वविद्यालय शामिल हैं। राज्य मंत्रिपरिषद ने 19 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में दोनों विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए अध्यादेश की स्वीकृति दी थी, लेकिन विधानसभा के मानसून सत्र घोषित किए जाने के बाद अब इसे विधेयक के रूप में लाने की तैयारी चल रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के पलामू में प्रस्तावित विश्वविद्यालय को लेकर भी विधेयक इस सत्र में आ सकता है। इधर, प्लेसमेंट एजेंसियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रस्तावित झारखंड प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसीज एंड डोमेस्टिक वर्कर्स (रेगुलेशन) विधेयक भी मानसून सत्र में दूसरी बार रखा जा सकता है। पूर्व में भी इस विधेयक पर विधानसभा की स्वीकृति मिल गई थी, लेकिन राज्यपाल ने इसे कुछ संशोधन के साथ वापस लौटा दिया था।
बिना साक्ष्य नहीं होगी गिरफ्तारी
प्रवर समिति ने मेडिकल प्रोटेक्शन विधेयक में सजा के प्रावधानों को कम कर दिया है। चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों से मारपीट करना तथा चिकित्सा संस्थानों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अब गैर जमानतीय अपराध नहीं होगा। समिति ने 'गैर जमानतीय' के स्थान पर 'दंड प्रक्रिया संहिता के नियम 41 ए के प्रावधानों का अनुपालन किया जाएगा' जोड़ने की अनुशंसा की है। इसके तहत, आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसे लिखित नोटिस दी जाएगी। साथ ही, आरोपित का पक्ष सुने बिना उसकी गिरफ्तारी नहीं होगी।
अधिकतम 18 माह की सजा
समिति ने आरोप सिद्ध होने पर दोषी व्यक्तियों को नुकसान हुई संपत्ति की दोगुनी राशि चुकानी होगी के प्रावधान से 'दोगुनी' शब्द को हटाने की अनुशंसा की है। इससे अब नुकसान हुई संपत्ति की ही भरपाई करनी होगी। वहीं, दोषी करार दिये जाने पर तीन साल की सजा के प्रावधान को घटाकर 18 माह कर दिया गया है। इसमें 50 हजार रुपये जुर्माने केप्रावधान को बरकरार रखा गया है।