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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः रांची को विकसित शहरों में शुमार कराने का लें संकल्प

स्वच्छता सर्वेक्षण में रांची को देश में 21वां स्थान प्राप्त हुआ है। ऐसा यहां के नागरिकों के फीडबैक की बदौलत हो सका है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 06:00 AM (IST)

दैनिक जागरण, फेसबुक और रेडियो सिटी के सौजन्य से देश के 10 चुनिंदा शहरों में चलाए जा रहे माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत शनिवार को कोलाब्रेशन राउंड टेबल काफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें शामिल हुए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने शहर के विकास को लेकर अपनी उम्मीदों, सुझाव और अड़चनों पर जमकर चर्चा की। दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद व अन्य विकसित शहरों की व्यवस्था और सुविधाओं से रांची का तुलनात्मक अध्ययन भी हुआ।

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पिछले पांच हफ्तों में शहर के पांच अलग-अलग पिलर - शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचना और सुरक्षा पर लगातार हुए राउंड टेबल में जो बातें उभरकर सामने आई थीं उन्हें कैसे नतीजे तक पहुंचाया जाय, इसकी संभावनाओं पर भी सबने अपने विचार रखे। अबतक आए 35 सुझावों के आधार पर 11 कंक्रीट प्लान बनाने और सरकार और उसकी विभिन्न एजेंसियों से इसपर काम कराने को लेकर भी रणनीति बनी। कार्यक्रम का संचालन रेडियो सिटी की आरजे स्तुति ने किया।

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चर्चा का सिलसिला आगे बढ़ा तो शहर की बिजली, पानी, सड़क और ट्रैफिक जाम से लेकर पार्क, फुटपाथ, स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई, शहर की सफाई व स्वास्थ्य
व्यवस्था से लेकर अनुबंध पर नियुक्ति की विसंगतियों तक का मामला उठा। चर्चा में मौजूद शहर की मेयर आशा लकड़ा ने कई समस्याओं को दूर करने को लेकर बनाई जा चुकी और बनाई जा रही योजनाओं पर चर्चा की तो सदर डीएसपी दीपक कुमार पांडेय ने ने शहर की कानून-व्यवस्था सुदृढ़ करने को लेकर लगातार उठाए जा रहे कदम की चर्चा की।

उन्होंने मेयर से आग्रह किया कि नगर निगम की ओर से चौक-चौराहों पर लगाए जा रहे सिग्नल को सीसीटीवी कैमरों के सिस्टम से जोड़कर संयुक्त मॉनेटरिंग की व्यवस्था बनाई जाए, ताकि नियंत्रण ज्यादा प्रभावी और लाभप्रद हो। मेयर ने आश्वासन दिया और बताया कि इसकी कोशिश चल रही है। इस दौरान शहर के मास्टर प्लान पर भी चर्चा हुई। वाटर हार्वेस्टिंग का सवाल उठा तो प्लानिंग के पहले ही हर बिंदु पर विचार कर लेने की अनिवार्यता पर भी बात हुई। सभी विभागों के स्तर पर व्यवस्था को और भी सुदृढ़ व दोषरहित बनाने की उम्मीद भी जताई गई।

चैंबर अध्यक्ष रंजीत कुमार गाड़ोदिया सरकारी विभागों के साथ मिलकर एडवाइजरी कमेटी बनाने और सुझावों पर प्रभावी तरीके से काम कराने पर जोर दिया। वहीं टाउन प्लानर गजानन राम ने योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए संसाधनों और स्किल्ड मैन पावर बढ़ाने की जरूरत बताई। उन्होंने सक्षम इंफोर्समेंट टीम का उपलब्ध होना भी जरूरी बताया।

डॉ. शेखर चौधरी और डॉ. विजय मिश्रा ने रिम्स समेत राजधानी के सभी अस्पतालों और आसपास के शहरों के भी चिकित्सा केंद्रों को सुविधायुक्त बनाने पर जोर दिया। गंदी नालियों से लेकर अतिक्रमण तक के भी सवाल उठे। प्रोफेसर दिलीप साहू ने नियोजित विकास और स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया वहीं डॉ. ज्योति प्रकाश, डॉ. जीसी बास्के ने स्कूल-कॉलेजों व अस्पतालों में अनुबंध पर नियुक्ति की व्यवस्था को बदलने की जरूरत बताई।

साथ ही नियुक्तियों के लिए जेपीएससी और एसएससी पर ही निर्भर रहने की बजाय अलग-अलग विभागों में नियुक्ति के लिए अलग-अलग एजेंसी होने की वकालत की। वहीं छात्र प्रशांत ने प्रतिभाओं को अवसर उपलब्ध कराने का सवाल उठाया। इस मौके पर पीके पाठक, डॉ. अनुराग त्रिपाठी, संदीप झा, संदीप खन्ना, सुमित घोष, विकास विजयवर्गीय आदि ने भी विचार रखे।

राउंड टेबल कॉन्फ्रेंसः प्रतिक्रिया
स्वच्छता सर्वेक्षण में रांची को देश में 21वां स्थान प्राप्त हुआ है। ऐसा यहां के नागरिकों के फीडबैक की बदौलत हो सका है। जागरूकता का स्तर बढ़ा है और लोग अब फोन कर अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। हालांकि शहर में अभी और भी कई प्रकार के सुधार की आवश्यकता है, जिनपर काम चल रहा है। राजधानी को बेहतर स्वरूप देने के लिए मास्टर प्लान बन चुका है। शहर की सड़कों से गाडिय़ों का बोझ कम करने के लिए एक इनर रिंग रोड का भी निर्माण होना है। चौक-चौराहों पर जल्द ही सिग्नल बनने हैं। साथ ही कई नए बस स्टैंड और ट्रांसपोर्ट नगर बनने के काम में तेजी आई है।
- आशा लकड़ा, मेयर, रांची नगर निगम।

शहर में सुरक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए शहर में ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एडवांस करने की आवश्यकता है। इनमें हर प्रकार की सुविधा हो और उसे मॉनिटर किया जाए ताकि अगर एक सिग्नल में तोड़कर कोई भागे तो उसे दूसरे सिग्नल पर पकड़ा जा सके। रांची में जगह-जगह कैमरे लगाने का काम चल रहा है। इससे निश्चित रूप से अपराध नियंत्रण और कानून पालन में मदद मिलेगी, सुरक्षा व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। नगर निगम की ओर से लगाए जा रहे सिग्नल को सीसीटीवी कैमरे से जोड़े जाने की जरूरत है। अन्य विकसित शहरों में भी ऐसी ही व्यवस्था है।
- दीपक कुमार पांडे, सदर डीएसपी

शहर में जल्द ही सी-फोर व्यवस्था लागू होने वाली है। इसमें कमांड-कंट्रोल-सेंटर की तर्ज पर काम होगा। फिर एक-एक गतिविधि का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा, ट्रैकिंग भी की जा सकेगी। स्किल्ड मैन पावर और बेहतर संसाधनों का होना जरूरी है। हम चाहते हैं कि हमारा शहर स्मार्ट सिटी बने इसके लिए हमें सबसे पहले शहर में आधारभूत सुविधाओं को बेहतर करना होगा। विकसित शहरों की तर्ज पर रांची को विकसित बनाने पर काम चल रहा है। यह सुखद है।
- गजानंद राम, नगर निवेशक

सरकार को शहर में विकास के लिए व्यवसायिक संस्थाओं की तरह एडवाइजरी कमेटी गठित करनी चाहिए। इससे यह फायदा होगा कि शहर में विकास के लिए लोगों द्वारा सुझाव आते रहेंगे। इससे समस्याओं का समाधान होगा और सरकारी कर्मचारी भी समयानुसार काम करेंगे। इस कमेटी की बैठक से उनके मन में यह बात भी होगी कि उन्हें यह काम करना है और अगर वह पूरा नही हुआ तो जनता को जवाब देना है।
- रंजीत गाड़ोदिया, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स

शहर के विकास के लिए हर वर्ष नए स्कीम बनती है, लेकिन उनमें गिनी-चुनी योजनाओं पर ही काम हो पाता है। सभी योजनाओं का हर वर्ष आकलन होना चाहिए। पेपर पर योजनाओं के होने से कोई फर्क नहीं पड़ता जबतक कि उनका क्रियान्वयन ना हो। योजनाओं के आकलन के लिए अलग से टीम का गठन होना चाहिए।
- संदीप झा, आर्किटेक्ट।

विकास के लिए शहर का विस्तार आवश्यक है। और विस्तार के लिए जरूरी है कि बस स्टैंड को शहर के बाहरी हिस्सों में रखा जाए, लेकिन राजधानी में इसके
विपरीत हो रहा है। शहर के बीचो-बीच बस स्टैंड के निर्माण से हम कभी भी यातायात की समस्या से उबर नहीं पाएंगे। इसपर गंभीरता से विचार करना होगा।
कंक्रीट की नालियों और अन्य निर्माण में वाटर हार्वेस्टिंग का भी ध्यान रखना चाहिए।
- डॉ. ज्योति प्रकाश, रांची विवि

शिक्षकों की नियुक्ति कांट्रैक्ट के आधार पर नहीं होनी चाहिए। कॉलेजों में पद रिक्त होने के बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होती है। रिक्त पदों का पहले आकलन हो और उसके बाद सीधे तौर पर उनकी नियुक्ति की जानी चाहिए। इसके अलावा अलग-अलग विभागों और संस्थानों में नियुक्ति के लिए अलग-अलग एजेंसियों को जिम्मेदारी दी जाए। इससे काम बेहतर तरीके से होगा। अभी सभी तरह की नियुक्तियों के लिए हम केवल जेपीएससी और एसएससी पर निर्भर हैं।
- डॉ. गणेश चंद्र बास्के, डीएसपीएम विवि

कॉलेजों में शिक्षक नियुक्त करने के लिए सबसे पहले छात्र-शिक्षक के अनुपात का सही आकलन होना चाहिए। सभी कॉलेजों में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन उस अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही है। इसका असर हो रहा है कि कॉलेजों को कॉन्ट्रैक्ट पर शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए।
- डॉ. अनुराग त्रिपाठी, डीएसपीएम, विवि।

शहर में चलने वाली बसें व्यवस्थित नहीं है। उनका ना तो कोई नंबर है और ना ही कोई समय सारणी। ऐसे में लोग बसों से आना-जाना पसंद नहीं करते और सड़क पर भीड़ ज्यादा रहती है। बेहतर ट्रैफिक के लिए शहर में बसों की स्थिति को ठीक करना बेहद आवश्यक है। जाम की समस्या का भी स्थायी हल निकालना होगा।
- प्रो. दिलीप कुमार साहू, गोस्सनर कॉलेज।

शिक्षा पूरी करने के बाद भी राजधानी के छात्रों को नौकरी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। अन्य शहर और राज्यों में यहां से बेहतर विकल्प हैं।
ऐसे में राज्य से प्रतिभाओं का पलायन स्वाभाविक है। अच्छे संसाधन और अवसर प्रदान कर हमें यहां के छात्रों को रोकने का प्रयास करना चाहिए।
- प्रशांत भगत, छात्र, गोस्सनर कॉलेज।

रिम्स में डॉक्टरों की 40 प्रतिशत सीटें खाली हैं। इसके अलावा प्राथमिक उपचार सेवाएं ठप हैं। ऐसे में छोटी से बड़ी परेशानियों को ले कर लोग रिम्स की ओर रुख करते हैं और वहां के डॉक्टरों पर बोझ बढ़ता है। जब तक पूरे राज्य के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सुविधाओं से युक्त नहीं बनाया जाएगा तब तक स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं सुधर सकती।
- डॉ. शेखर चौधरी , पूर्व प्रदेश सचिव, आइएमए।

हम अपने शहर में कई बदलाव देखना चाहते है। परंतु इसके लिए कोई प्रयास नहीं करते। हम अपने शहर की खामियां गिनाते हैं, लेकिन उनको दूर करने का प्रयास नहीं करते। एक ऐसी एजेंसी होनी चाहिए जो आम लोगों की बात सुनकर सरकार तक बात पहुंचाए। बेहतर प्लानिंग और सफल क्रियान्वयन से ही शहर सुंदर बनेगा।
- संदीप खन्ना, एक्सटीरियर डिजाइनर, ट्रबिल्डन।

शहर को बेहतर प्लानिंग की जरूरत है। नगर निगम को ऐसे लोग रखने चाहिए जो लोगों के बीच जाकर समय समय पर उनसे समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा करें। हमारे शहर में वे सभी सुविधाएं होनी चाहिए जो स्मार्ट सिटी के लिए आवश्यक है। अगर लोगों को कोई परेशानी हो तो उन्हे दूर करने के लिए लोग सीधे संबंधित लोगों से बात कर सके। हम जब तक पहल नही करेंगे तब तक बदलाव आना कठिन है। जो खामियां किसी प्लान के शुरू होने के बाद सामने आती है, उन पर प्लान बनाने से पहले विचार कर लेने की जरूरत है।
- विकास विजयवर्गीय, व्यवसायी।

सरकार को लोगों के बीच जा उनसे समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा करना चाहिए। हमारे शहर में वे सभी सुविधाएं होनी चाहिए जो स्मार्ट सिटी के लिए
आवश्यक है। तभी हम अपने शहर को किसी दूसरे शहर से तुलना कर सकते हैं। रांची काफी हद तक रहने के लिए बहुत अच्छी जगह है।
- सुजीत कुमार, इंटीरियर डिजाइनर।

शहर को व्यवस्थित करने में जितना योगदान प्रशासन और निगम का है उतना यहां के नागरिकों का भी है। हमें भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। जिस प्रकार आपके घर का साफ रहना जरूरी है, ठीक वैसे ही सड़कों और पार्कों का भी साफ रहना जरूरी है।
- सुमित घोष, एक्सटीरियर डिजाइनर।

अन्य राज्यों के तर्ज पर झारखंड में भी सौर ऊर्जा की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सरकार सौर प्लेट्स के लिए लोगों में जागरुकता
फैलाने का काम करे। साथ पानी को बचाने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। वाटर हार्वेस्टिंग पर भी सबको ध्यान देना चाहिए।
- शुभम अग्रवाल, बिल्डर।

रांची की खूबसूरती और परेशानियां दोनों ही हम सबकी हैं। हम सब मिलकर एक ऐसा शहर बनाएं जिस पर हम गर्व कर सकें। सभी सुझावों पर काम करने की जरूरत है। जागरूकता भी एक बड़ा पक्ष है। अपनी शिकायतें संबंधित अधिकारी तक पहुंचाएं और अपने कर्तव्य का बखूबी पालन करें।
- स्तुति, आरजे, रेडियो सिटी, रांची।

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