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रांची में इन विभागों में ठीक से काम नहीं कर रहा सिंगल विंडो सिस्‍टम, यहां सुधार की जरूरत

झारखंड को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा सकता है। इको-टूरिज्म के विकास से विभिन्न क्षेत्रों जैसे होटल, ट्रैवल एजेंसी, परिवहन सहित अन्य को बल मिलेगा।

By Krishan KumarEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 06:00 AM (IST)
रांची में इन विभागों में ठीक से काम नहीं कर रहा सिंगल विंडो सिस्‍टम, यहां सुधार की जरूरत

राज्य में सुगम व्यवसाय के लिए सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी जिडको झारखंड सिंगल विंडो क्लियरेंस एक्ट के दिशा-निर्देश के अनुरूप कार्यरत है। सिंगल विंडो के तहत होने वाले एनओसी, निबंधन, शुल्क भुगतान, अंतर्विभागीय मामलों का त्वरित निपटारा आदि के मामलों का निरीक्षण एजेंसी का मूल दायित्व है।

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इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों की जांच प्रक्रिया के समन्वय के लिए जहां ऑनलाइन सिस्टम, वहीं समय-समय पर आधारभूत संरचनाओं के निर्माण से संबंधित गतिविधियों को भी विभाग के परामर्श से संपादित कर रहा है। हालांकि सिंगल विंडो अपने उद्देश्य के अनुरूप काम नहीं कर रहा है। परिवहन विभाग, विद्युत विभाग, रांची नगर निगम से संबंधित कार्य, भू राजस्व विभाग के कार्य अभी भी सिंगल विंडो सिस्टम प्रक्रिया से काफी  दूर हैं।

 

इच्छा शक्ति की जरूरत
वर्तमान परिवेश में निवेश को लेकर हर राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। किसी भी राज्य के विकास में मुख्यत: मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। अन्य पड़ोसी राज्यों के औद्योगिक क्षेत्रों में सरकार रेडी टू शिफ्ट के आधार पर उद्यमियों को भूमि आवंटन कर रही है, झारखंड में भी इसी व्यवस्था को अपनाना होगा।

राज्य को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा सकता है। कार्य योजनाएं कई बनाई गई लेकिन मूर्तरूप नहीं दिया गया। इको-टूरिज्म के विकास से विभिन्न क्षेत्रों जैसे होटल, ट्रैवल एजेंसी, परिवहन सहित अन्य को बल मिलेगा। झारखंड में खनिज, संपदा के अलावा सभी कुछ उपलब्ध है, सिर्फ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।

हर दिन नए नियमों से हो रही परेशानी

वर्तमान में कुछ विभागों द्वारा दिन-प्रतिदिन नये कानून/नियमों के लागू करने से व्यापार जगत के समक्ष परेशानियां होती रही हैं। बैक डेट से नियमों/शुल्क को प्रभावी बनाने की प्रवृत्ति में अब तक सुधार संभव नहीं हुआ है, जिससे परेशानी होती है। व्यापार-उद्योग के विकास के लिए राज्य सरकार नियमित रूप से कानूनी जटिलताओं के सरलीकरण के लिए प्रयासरत है जिसका लाभ राज्य के राजस्व संग्रह पर भी देखने को मिला है। रांची राज्य की राजधानी होने के बावजूद भी कुछ कमियों से ग्रसित है।

उदाहरण के तौर पर फूटपाथ, पार्किंग, फ्लाईओवर की कमी, सफाई व्यवस्था, सड़कों की कनेक्टिविटी की अनुपलब्धता, सड़कों पर अतिक्रमण सहित अन्य मुख्य समस्याएं हैं। अंचल कार्यालय में म्युटेशन और रसीद कटाने जैसे कार्यों में काफी अनियमितताएं हैं, जिस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है। सरकारी कार्य निश्चित समय-सीमा में पूर्ण हो, इस हेतु सरकार ने प्रत्येक कार्यों में समय निर्धारित किया है, किंतु कार्य समय पूर्ण नहीं होते हैं।

विद्युत की अनुपलब्धता से व्यापार जगत प्रभावित है। निर्बाध विद्युत आपूर्ति के कई प्रयासों के बाद भी झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम असफल रहा है। सरकार को निजी एजेंसियों के हाथों में विद्युत व्यवस्था को सौंपने पर विचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने पूर्व में ही कहा है कि उनकी सरकार राज्य में आधारभूत संरचना का विकास कर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में पूरी दुनिया से निवेश लाएगी, जिससे झारखंड को भारत का ही नहीं अपितु दुनिया का अग्रणी राज्य बनाया जा सकेगा।

मोमेंटम झारखंड इसी अभियान का एक पर्याप्त उदाहरण है। चार वर्ष की अवधि में राज्य सरकार ने कई नई नीतियां बनाई हैं जिस कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निवेशकों को निवेश के पर्याप्त अवसर प्राप्त हो रहे हैं। राज्य में सड़कों, रेलवे, जलमार्गों, उर्जा संयंत्रों, इस्पात कारखानों के साथ खाद्य प्रसंस्करण, कृषि आदि के क्षेत्र में भी राज्य सरकार आधारभूत सरंचनाओं का निर्माण कर रही है, जिससे आने वाले समय में झारखंड और तेजी से विकास करेगा।

राज्य सरकार अधिकाधिक ऐसे उद्योगों में निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रही है, जिनमें अधिक श्रम का उपयोग हो और लोगों को अधिक रोजगार मिल सके। हालांकि पर्याप्त बिजली के अभाव में उद्योग धंधे त्रस्त हैं, जिसपर त्वरित चिंतन की आवश्यकता है।

अच्छी नीति के कारण बना पहली पसंद
अच्छी नीति के कारण आज झारखंड निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। निवेशकों को बेहतर सड़क, बिजली, पेयजल, के साथ-साथ अन्य आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेवारी है। स्टार्ट अप के माध्यम से असंख्य रूप में युवा उद्यमी अपनी प्रतिभा कौशल का परिचय दे रहे हैं।

हालांकि लाइसेंसिंग प्रणाली की व्यवस्था और प्रदूषण क्लियरेंस के अभाव में उद्यमियों की कठिनाइयां अभी भी पूर्व की भांति यथावत हैं, जिसमें सुधार की आवश्यकता है। राज्य में रोजगार आधारित स्कील डेवलपमेंट प्रशिक्षण की सुविधा पर कार्य करना होगा अन्यथा कौशल प्रशिक्षण के मायने सफलीभूत नहीं होंगे।

रेलवे की बढ़ाई जाए सुविधा
ट्रांसपोर्ट नगर किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी के लिए मूलभूत आवश्यकता है। ट्रांसपोर्ट नगर और अंतर्राष्ट्रीय बस टर्मिनल के निर्माण को गति देने का प्रयास आरम्भ करना चाहिए। रेलवे में हमारे राज्य के एक रेलमंडल से ही 20 हजार करोड़ का राजस्व रेलवे को प्राप्त होता है, लेकिन आज भी राज्य के कई शहर रेल सुविधाओं से वंचित हैं, जिस पर सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता है।

टैक्स भुगतान में विलंब होने पर व्यापारी को अर्थदंड लगाया जाता है, जो आज के परिवेश में विचारणीय है। क्यों नहीं सरकारी पदाधिकारियों पर भी कार्य में विलंब होने पर यह दंड प्रभावी बनाया जाता? सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए। इससे जनता के बीच सरकार की साकारात्मक छवि का प्रदर्शन होगा।

एक आम नागरिक होने के नाते हमारा भी कर्तव्य है कि हम भी अपने मूल दायित्वों का निर्वहन करें। यदि प्रत्येक व्यक्ति किसी भी एक क्षेत्र में अपना एक फीसदी भी ईमानदारीपूर्वक योगदान दे तब हमारी राजधानी अन्य विकसित शहरों की भांति प्रगति की दिशा में अग्रसर होगी और इससे प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के प्रयासों को गति मिलेगी। सरकार कितने भी प्रयास कर ले, यदि राज्यवासियों की भूमिका नगण्य होगी, तब हमारे प्रदेश की स्थिति नहीं सुधरेगी।

अतिक्रमण हटाना जरूरी
सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में फूटपाथ दुकानदारों को अन्यत्र स्थानांतरित करने का प्रयास शीघ्र आरम्भ करना चाहिए। यदि फिर भी सड़क पर अतिक्रमण हो, तब अर्थदंड का प्रावधान लाना चाहिए। लाइसेंसिंग व्यवस्था को सीमित करना, समयबद्ध तरीके से कार्यों का निष्पादन होना, सरकारी कार्यों के भुगतान समय पूर्ण होना, सरकारी निविदाओं में स्थानीयता को प्रमुखता देना, व्यापारिक/औद्योगिक निर्णयों में स्थानीय स्टेकहोल्डर्स को सम्मिलित करना और सरकार द्वारा जनकल्याण के लिए क्रियान्वित योजनाओं की प्रॉपर मॉनिटरिंग करने पर राज्य सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता है।

इसी प्रकार विकास के लिए महत्वपूर्ण शहर की कानून व्यवस्था है जिसका निष्पादन समयबद्ध तरीके से करना हितकर होगा। नए बजट में स्मार्ट सिटी और कोर कैपिटल के लिए राशि का प्रावधान किया गया है। इससे लग रहा है कि सभी बड़े सरकारी संस्थान और कार्यालय स्मार्ट सिटी के हिस्से हो जाएंगे। कोर कैपिटल भी इसी का हिस्सा होगा। इस योजना के क्रियान्वित होने के बाद राजधानी रांची काफी हद तक बदली-बदली सी नजर आएगी। स्मॉर्ट सिटी की योजना तो सरकार ने बना दी है, किंतु इसके उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें भी स्मॉर्ट बनने की जरूरत है।

- कुणाल अजमानी 

(चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव हैं) 

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