रांची: यहां पुलिसकर्मियों की कमी दूर होने से अपराध में आएगी कमी
इसका कारण है प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी होना। प्रशिक्षण के नाम पर आइटीएस (इंवेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल) खानापूर्ति कर रहा है। साइबर थाने में सुधार करने की जरूरत है।
रांची प्राकृतिक रूप से अद्भुत है, लेकिन अपराध बढ़ने से शहर को परेशानी भी झेलनी पड़ रही है। झारखंड के अन्य जिलों की अपेक्षा रांची में अपराध की घटनाएं अधिक है। यहां हत्या, लूट, डकैती, छिनैती और चोरी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। वहीं राजधानी होने के कारण बंद, प्रदर्शन जैसी घटनाएं भी सामने आती हैं। रांची पुलिसकर्मियों की कमी झेल रही है। यहां हर स्तर पर पुलिसकर्मी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की कमी है।
इन सबके बावजूद पुलिसिंग को बेहतर करने की भी कोशिश हुई है। मौजूदा समय में 30 पीसीआर, 15 हाइवे पेट्रोल मुस्तैद हैं। 50 मोटरसाइकिल पर 100 टाइगर के मोबाइल सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं। 20 स्कूटी पर 40 शक्ति कमांडो मिली हैं। 47 बीट के अफसर मिले हैं। आठ एंबुलेंस आर्मर के रूप में मिला है। इससे काफी हद तक अपराध की घटनाओं में कमी आई है।
पुलिस विभाग मानव संसाधनों की कमी को दूर करने में जुटा है। हाल में विभागीय सीमित परीक्षा से करीब ढाई हजार दारोगा बनकर आए हैं। नए दारोगा की भी नियुक्ति की प्रकिया चल रही है। इनके आ जाने से काफी हद तक पुलिस विभाग को बल मिलेगा साथ ही अपराध में भी कमी आयेगी।
दुरुस्त हो साइबर थाने की व्यवस्था, तभी रुकेगी ऑनलाइन ठगी
रांची के लोग आए दिन साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं। रांची साइबर थाना साइबर अपराधियों को पकड़ने में जूझ रहा है। इसका कारण है प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी होना। प्रशिक्षण के नाम पर आइटीएस (इंवेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल) खानापूर्ति कर रहा है। साइबर थाने में सुधार करने की जरूरत है। साइबर अपराध के मामले पिछले दो वर्ष में 790 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
नाइट पेट्रोलिंग में सुधार की रांची को जरूरत
रांची में शाम ढलते ही सन्नाटा पसर जाता है। मेन रोड की दुकानें और मॉल रात के नौ बजे के बाद बंद होने शुरू हो जाते हैं। शाम को लोग चोरी, छिनतई, छेड़खानी जैसे अपराध के कारण बाहर नहीं निकलते हैं, उन्हें अपराधियों का शिकार भी होना पड़ा है। बेटियां असुरक्षित महसूस करने की वजह से शाम के बाद काम नहीं कर पाती। भय के कारण शाम में गहने पहनकर नहीं निकलती हैं। रांची में नाइट पेट्रोलिंग की जरूरत है।
एक लाख वाहनों के लिए चौराहे पर छह पुलिसकर्मी
राजधानी रांची की संकरी सड़कों पर चलने वाले एक लाख वाहनों के लिए प्रत्येक पोस्ट पर महज छह पुलिसकर्मी ड्यूटी दे रहे हैं। जबकि शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर हर घंटे दस हजार वाहन गुजरते हैं। यह आंकड़ा ट्रैफिक पुलिस की ओर से हुए सर्वे का है।
इस आंकड़े के अनुसार सुबह दस बजे से रात के आठ बजे तक चलने वाले वाहनों की संख्या एक लाख पहुंचती है। लेकिन यातायात को सुचारू रूप से चलाने के
लिए प्रमुख चौक-चौराहों पर महज पांच सिपाही और एक सफाईकर्मी की तैनाती रहती है। ऐसे में जाम से निजात दिलाना मुश्किल साबित हो रहा है।
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की स्वीकृत संख्या 790 है, लेकिन महज 292 पुलिसकर्मियों के बीच ही ट्रैफिक व्यवस्था चल रही है। इस हिसाब से 498 पुलिसकर्मियों की कमी है।
रांची की यातायात पुलिस पर एक नजर
पद चाहिए वर्तमान
एसपी 01 01
डीएसपी 02 02
सार्जेंट मेजर 02 00
इंस्पेक्टर 04 04
सार्जेंट 06 00
दारोगा 20 02
सफाईकर्मी 100 65
सिविल जमादार 12 00
हवलदार 122 21
सिपाही 517 159
चालक पुलिस 07 05
रांची पुलिस पर एक नजर
1.सिपाही : 3000
2. हवलदार : 827
3. एएसआइ : 260
4. एसआइ : 215
5. पुलिस निरीक्षक : 32
6. डीएसपी : 10
7. एसपी : तीन
8. एसएसपी : एक
9. पीसीआर : 30
10. हाइवे पेट्रोल 15
11. टाइगर जवान : 100
12. शक्ति कमांडो : 40
13. बीट जवान : 47
14. आर्मर : 8