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रांचीः जीएसटी के चलते टैक्स चोरी या कानूनी दांव-पेंच की गुंजाइश नहीं

पिछले वर्ष के मुख्य संशोधनों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म, टीडीएस/टीसीएस, एडवांस पेमेंट ऑफ टैक्स रहा है। इन्हें शिथिल करने से व्यवसायियों को काफी राहत मिली है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 06:00 AM (IST)

जीएसटी के आरम्भ काल से एक वर्ष पूरे होने में नियमित उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। इस दौरान जीएसटी कई संशोधनों और बदलावों के दौर से गुजरा। तमाम बदलावों के बाद जीएसटी का जो मौजूदा स्वरूप हमारे सामने है, उसमें अब भी बदलाव की काफी गुंजाइश है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत सरकार बड़ी तत्परता से इनसे निपटती रही।

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जीएसटी सिस्टम में परिवर्तन किये गये, नई तकनीक अपनाई गई और अलग-अलग सेक्टर की चिंतायें दूर की गईं। साथ ही अधिसूचनाएं, सर्कुलर, स्पष्टीकरण, उद्योग और व्यापार जगत से परस्पर संपर्क कार्यक्रम किये गये और इनमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों ने सहयोग किया।

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शुरुआती दौर में व्यापार और उद्योग जगत के बीच जीएसटी को लेकर काफी असमंजसताएं थीं, जिसे विभाग और चैंबर के आपसी सामंजस्य से नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सलाहकार समिति की बैठकों के माध्यम से सारी भ्रांतियों का समयवार समाधान किया गया। अब लोगों को जीएसटी की प्रक्रिया समझ आने लगी है। झारखण्ड सरकार के राजस्व प्राप्ति के आंकड़ों की बात करें तो टैक्स कलेक्शन और टैक्स कंप्लांएस भी बढ़े हैं, जो राज्य के लिए सुखद अनुभूति है।

भारत में कर का काम आमतौर पर मैन्युअली होता रहा है। जीएसटी आने के बाद तकनीक अपनाना अनिवार्य हो गया है। आज एसएमई हो, एमएसएमई या बड़ा उद्यम सभी के लिए समान कर के स्लैब निर्धारित किये गये हैं, जिनका अनुपालन करना अनिवार्य है। कर चोरी करने या कानूनी दांव-पेंच से कर बचाने की गुंजाइश नहीं है। इस तरह कारोबार करना सचमुच आसान हो गया है। कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा।

पिछले वर्ष के मुख्य संशोधनों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म, टीडीएस/टीसीएस, एडवांस पेमेंट ऑफ टैक्स रहा है। इन्हें शिथिल करने से व्यवसायियों को काफी राहत मिली है। रिटर्न फाइलिंग को भी सरल बनाया गया है। इसी प्रकार पोर्टल और सॉफ्टवेयर के अपडेट नहीं होने से पिछले वर्ष काफी परेशानी हुई, किंतु समय-समय पर इनमें भी आवश्यक सुधार किये गये। कुल मिलाकर इस एक वर्ष में हुए उतार-चढ़ाव के माहौल से अब राहत मिली है।

वर्तमान में बिल जेनरेट होते ही टैक्स भुगतान करने की बाध्यता से परेशानी हो रही है। उम्मीद है जीएसटी काउंसिल इस पर भी उचित विचार करेगा। इसी प्रकार जीएसटी मिसमैच के केस भी प्रत्यक्ष हो रहे हैं, जिसका समाधान भी आवश्यक है।

जीएसटी के तहत एक प्रमुख प्रक्रिया इनपुट टैक्स क्रेडिट की है, जो जीएसटी से पूर्व मुमकिन नहीं था। आज एसएमई को दुरूस्त रखने का इंसेंटिव मिलता है। शुरुआती परेशानियों के बाद दूसरी पारी में ई-वे बिल सिस्टम लागू करने का काम सफल रहा है। सभी राज्यों से भौतिक जांच नाका हटा दिये गये, जिसके परिणाम स्वरूप यातायात में कम समय लगता है और प्रति वाहन आमदनी बढ़ गई है।

हालांकि इससे कुछ व्यापारियों को परेशानी जरूर हो रही है, किंतु देश में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ई-वे बिल लागू करना साहसिक प्रयास है।

रंजीत कुमार गाडोदिया युवा कारोबारी हैं। अपनी क्षमता और प्रतिभा से उन्होंने बड़े अनुभवी और विकसित व्यवसायियों के बीच पैठ बनाई है। यही कारण है कि वे कम उम्र में ही झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बने।

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