रांची: नया राज्य बनने के बाद बंधी थी यहां विकास की आस, कई काम अब भी बाकी
रांची को राजधानी की हैसियत वाला शहर बनाने के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के साथ यहां की बसावट को सुधारना होगा।
कालीकिंकर मिश्र, जागरण संवाददाता
प्रकृति और संस्कृति से समृद्ध रांची इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में अभी भी गरीब ही है। गर्मी में पानी और बिजली, बरसात में जलजमाव और सालों भर सफाई के लिए जूझना यहां के बाशिंदों की नियति बनी हुई है। करीब सोलह वर्ष पूर्व राज्य गठन के वक्त लोगों में समस्याओं के समाधान के प्रति उम्मीद बंधी थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस दौरान शहर का लगातार विस्तार हुआ और हो रहा है। आबादी भी बढ़ रही है, जिसके समक्ष निरंतर हो रहा विकास फीका पड़ रहा है।
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बीते तीन महीनों की ही बात करें तो भीषण गर्मी में लोगों को बिजली-पानी के लिए तरसना पड़ा। लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन के लिए मजबूर हुए। नगर निगम को टैंकर से जलापूर्ति के लिए 200 से अधिक स्थलों को चिह्नित करना पड़ा। ऐसे पिछले कई वर्षों से करना पड़ रहा है, फिर भी स्थायी समाधान निकालने में विफल है। यह अलग बात है कि निगम ने रोजाना चिह्नित स्थलों पर पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा था और बेहद कम स्थलों पर रोजाना पानी पहुंचाने में सफल रहा।
शहर की 70 फीसद आबादी को जलापूर्ति कराने वाले रुक्का जलशोधन केंद्र की क्षमता करीब 45 वर्ष पुरानी है। इस दिशा में अभी सोचा भी नहीं जा रहा है। जाहिर है यह समस्या गंभीर ही होगी। जीवन के लिए सबसे जरूरी है पानी। हमें इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा। जल संरक्षण की दिशा में मजबूत कदम उठाना पड़ेगा। हमें सोचना होगा कैसे हमारा तालाब लबालब रहे? कैसे डैमों का जलस्तर बरकरार रहे? ..और कैसे हम घर-घर तक पानी पहुंचाएं।
अंडर ग्राउंड केबलिंग के नाम पर बिजली आपूर्ति का बुरा हाल है। घोषित और अघोषित कट बड़ी समस्या बनकर उभर गई है। हालात इतनी विकट हो गए हैं कि मुख्यमंत्री को आगे आकर जनता को आश्वस्त करना पड़ा कि समुचित बिजली आपूर्ति के लिए कुछ माह और चाहिए। बिजली नहीं होने से आम शहरी ही नहीं उद्योग-व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। मानसून की बारिश ने गड्ढों से शहर की मुख्य सड़कें बदरंग है। गली-मोहल्ले की सड़कों का और भी बुरा हाल है।
सड़क जाम अभी भी बड़ी समस्या बनी हुई है। इसी सप्ताह की बात है राजभवन के समक्ष विपक्ष के प्रदर्शन से तकरीबन सारा शहर पांच घंटे के लिए अस्त-व्यस्त हो गया। स्कूली बच्चे भूखे-प्यासे बस में बिलखने को मजबूर हुए। ट्रैफिक को सुचारू करने के लिए कांटाटोली, हरमू में फ्लाईओवर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। मगर इन दो फ्लाईओवर से शहर को जाम की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। यह संभव नहीं है।
जाम से मुक्ति के लिए ठोस और सख्त प्रयास की आवश्यकता है। इसी तरह पार्किंग के लिए बनी अब तक की तमाम योजनाएं नाकाफी साबित हो रही है। सड़क जाम का एक बड़ा कारण सड़क के किनारे अनियोजित पार्किंग भी है। पार्क, सफाई के मामले में भी हम पिछड़े हुए हैं।
रांची को राजधानी की हैसियत वाला शहर बनाने के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के साथ यहां की बसावट और व्यवस्था को सुधारना होगा। फिलहाल जहां-तहां अपार्टमेंट बन रहे हैं, कॉलोनियां बस रही है। कहीं पानी की समस्या रह रही है तो कहीं सड़क की। कहीं जलनिकासी का साधन नहीं रहता। घर और भवन निर्माण के लिए कुछ ठोस और सख्त नियम बनाने होंगे। ... ताकि किसी भी स्थिति में भविष्य के लिए समस्या न बनें। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि शहर कैसे खूबसूरत दिखे? सड़क के किनारे कुछ चारदिवारी को तो सोहराय पेंटिंग से सजाया गया है, मगर बाकी का बुरा हाल है। नीति नियंता को समग्रता से सोचने की आवश्यकता है।
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