महेंद्र सिंह धौनी के झारखंड क्रिकेट को लगी बुरी नजर, जानिए वजह
Mahendra Singh Dhoni. धौनी के स्कूल जवाहर विद्या मंदिर श्यामली व प्रायोजक सरला बिरला स्कूल ने बीके बिड़ला अंतर स्कूल अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट से खुद को अलग कर लिया है।
रांची, जासं। महेंद्र सिंह धौनी क्रिकेट के क्षेत्र में ऐसा नाम जो रांची में अंतर स्कूल क्रिकेट से निकलकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर छा गया। धौनी ने भी जेएससीए स्टेडियम में चार साल पहले आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर बेहतर खिलाड़ी निकालना है तो स्कूल स्तर से खिलाड़ी को तैयार करो। लेकिन रांची जिला क्रिकेट संघ (आरडीसीए) ने इसे दूसरे रूप में ही लिया है।
बीके बिड़ला अंतर स्कूल अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट में स्कूलो की तो सिर्फ दस ही टीमें भाग ले रही हैं जबकि क्रिकेट अकादमी चालीस टीमें खेल रही हैं। स्थिति यह है कि इस टूर्नामेंट में स्कूलों की रूचि धीरे-धीरे कम होती जा रही है।स्कूल स्तर से खिलाड़ी निकलना बंद हो गए हैं। धौनी का पदार्पण के बाद राजधानी में बच्चों में क्रिकेटर बनने का जुनून तो देखने को मिलने लगा है। उनके इस जुनून को माता-पिता का भी साथ मिला। इसी का परिणाम हुआ कि क्रिकेट एकेडमी चलाने वाले की चांदी हो गई और शहर में कई अकादमी की स्थापना हो गई।
पहले खेलतीं थी 30 से अधिक स्कूलों की टीमें : पहले अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट में 30 से अधिक स्कूलों की टीमें भाग लेती थीं। उनके बीच बेहतरीन मुकाबला देखने को मिलता था। आज अंडर-14 बीके बिड़ला टूर्नामेंट में मात्र दो ग्र्रुप में 10 स्कूलों की टीमें हैं। वहीं आठ ग्र्रुपों में 40 अकादमी की टीमें हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि दोनों को एक साथ मिलाकर टूर्नामेंट कराने का क्या औचित्य है जिसका जवाब स्कूल क्रिकेट खेलने वाले हर बच्चे के माता-पिता पूछ रहे हैं।
आरडीसीए के संविधान में सिर्फ स्कूली टीमों को है शामिल करने का प्रावधान : आरडीसीए के संविधान के अनुसार स्कूल टूर्नामेंट में सीबीएसई, आइसीएसई व झारखंड बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल की टीमें ही भाग ले सकती हैं। प्रश्न यह उठता है की जिस अंतर स्कूल टूर्नामेंट की खोज धौनी जैसे खिलाड़ी रहे हों, जिन्होंने आरडीसीए अंतर स्कूल टूर्नामेंट के मैच में जोरदार प्रदर्शन करते हुए लिम्का बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया हो। उस टूर्नामेंट का फारमेट कब और कैसे बदल गया और ऐसी क्या मजबूरी हो गई कि अंतर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट में अकादमी की टीमों को शामिल किया जाने लगा।
इस व्यवस्था से दुखी हो कर धौनी के स्कूल जवाहर विद्या मंदिर श्यामली व टूर्नामेंट की प्रायोजक स्कूल सरला बिरला स्कूल टीम ने इससे खुद को अलग कर लिया। अकादमी की टीमों को टूर्नामेंट में शामिल करने से स्कूल की प्रतिभाएं सामने नहीं आ पा रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि स्कूल के विद्यार्थी ही टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी उम्र के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होती है ।
स्कूल के खिलाडिय़ों के उम्र प्रमाण पत्र की जांच खेल शिक्षक और प्रधानाचार्य करते हैं और मान्यता प्राप्त स्कूल अपनी गरिमा का ख्याल रखते हैं। वहीं क्रिकेट अकादमी में जांचने वाले मुख्यत: क्रिकेट संघ से जुड़े होते हैं ऐसे में बाहरी खिलाडिय़ों को ज्यादा सुविधा मिल जाती है। अकादमी में ज्यादा खिलाड़ी बाहर के होते हैं। वे किसी तरह स्कूल से अपनी इच्छानुसार जन्म तिथि में परिवर्तन कर भाग लेते हैं।
आरडीसीए के कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया निर्णय : सूत्रों ने बताया कि रांची जिला क्रिकेट संघ (आरडीसीए) के कार्यकारिणी की पिछले सत्र में हुई बैठक में अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट में अकादमी की टीमों को भाग लेने देने का निर्णय लिया गया था। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि इस वर्ग में स्कूल की टीमें कम भाग ले रही हैं। बैठक में इस बात पर चर्चा नहीं हुई कि आखिर क्यों स्कूली टीमें इस टूर्नामेंट से दूर जा रही हैं। सूत्रों ने बताया कि आरडीसीए के इस निर्णय से अकादमी संचालकों की चांदी हो गई और क्रिकेट प्रशिक्षण का बाजार तेज हो गया है।