महालया आज, पितृ पक्ष होगा समाप्त
हिदू शास्त्रों के अनुसार महालया और पितृ पक्ष अमावस्या एक ही दिन मनाया जाता है।
जासं, रांची: हिदू शास्त्रों के अनुसार महालया और पितृ पक्ष अमावस्या एक ही दिन मनाया जाता है। महालया पितृ पक्ष के समापन का प्रतीक है। बंगाली समुदाय में इसकी खासी मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन पितरों को विदा कर दुर्गा मां धरती पर 10 दिनों तक वास करती हैं। बंगाली पद्धति के अनुसार महालया से ही दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है। महालया के दिन ही मूर्तिकार मां की आंखों को तैयार करते हैं। शिक्षिका पंपा सेन कहती हैं ऐसी मान्यता है कि महालया के दिन ही त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने राक्षस महिसासुर का वध करने हेतु मां दुर्गा का आवाहन किया था। संसार को राक्षस महिषासुर के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए मां दुर्गा ने उसका वध किया था। इसलिए मां दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी भी कहा गया है। महालया के दिन चंडी पाठ होता है।
रांची विवि के ज्योतिष विभाग के लेक्चरर डा. एसके घोषाल का कहना है कि महालया से ही दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू होती है। सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार अमावस्या श्राद्ध को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। बंगाली पद्धति के अनुसार महालया से ही दुर्गा पूजा की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। महालया के दिन श्राद्ध परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि तथा चतुर्दशी तिथि को हुई है। यदि कोई संपूर्ण तिथियों पर श्राद्ध करने में सक्षम न हो तो वह मात्र इसी तिथि पर सभी के लिए कर सकता है। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिए महालया श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है। इन श्राद्धों को संपन्न करने के कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने गए हैं। पितरों को घी, तिल, कुश, पुष्प और गंध मिश्रित जल से तृप्त किया जाता है। इसी जल के तर्पण से सारे पितृ संतुष्ट होते हैं। दुर्गा बाटी में ऑनलाइन महिषासुर मर्दिनी का लोकार्पण
: महालया के दिन शाम सात बजे महिषासुर मर्दिनी का लोकार्पण आनलाइन किया जाएगा। पिछले साल की भांति इस साल भी दुर्गा पूजा का आनलाइन दर्शन करने की व्यवस्था कराई जा रही है। श्रद्धालु दुर्गाबाटीरांचीडाटइन पर घर बैठे मां के दर्शन कर पाएंगे।
पितृ पक्ष मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त सुबह 11:13 से 12:00 बजे तक
रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:00 से 12:48 बजे तक
अपराह्न 12: 48 से 3.09 बजे तक