मदरसों ने जांच का किया बहिष्कार, इंतजार में बैठे रहे पदाधिकारी Ranchi News
Jharkhand. एसोसिएशन ने कहा कि बार-बार जांच नहीं कराएंगे। पहले वेतन दें। रविवार को सभी 186 मदरसों के सत्यापन का अंतिम दिन है।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के 186 गैर सरकारी मदरसों की एक बार फिर जांच कराने के आदेश का बहिष्कार हो रहा है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के आदेश पर गठित तीनों कमेटियों ने शनिवार को जांच शुरू की, लेकिन एक भी मदरसा के प्रतिनिधि जांच के लिए नहीं पहुंच सके। रांची में भी विभागीय पदाधिकारी मदरसा प्रतिनिधियों के इंतजार में दिनभर बैठे रहे। रविवार को जांच का अंतिम दिन दिन है। राज्य के 186 गैर सरकारी मदरसों की फिर से जांच के लिए तीन अलग-अलग कमेटियां गठित की गई हैं।
इनमें से एक कमेटी द्वारा मदरसों की जांच स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सभागार में शनिवार से शुरू होनी थी। लेकिन, कमेटी के अध्यक्ष सह विभाग के संयुक्त सचिव मनोज जायसवाल, सदस्य सह अवर सचिव ब्रह्मदेव मोदी मदरसों के इंतजार में दिन भर बैठे रहे। जांच के लिए एक भी मदरसा के प्रतिनिधि नहीं पहुंचे। अधिकारियों के अनुसार, रविवार को भी वे मदरसों का इंतजार करेंगे।
इस कमेटी को रांची, गुमला, पलामू, गढ़वा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, दुमका, देवघर एवं जामताड़ा जिले के कुल 49 मदरसों के सत्यापन की जिम्मेदारी दी गई है। इधर, विभाग के विशेष सचिव भीष्म कुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी भी गोड्डा जिले के 67 मदरसों की जांच के लिए शाम में गोड्डा पहुंची। यहां भी मदरसा प्रतिनिधि जांच के लिए नहीं पहुंचे।
हालांकि, कमेटी के साथ ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन की बैठक हुई, जिसमें एसोसिएशन ने बार-बार जांच पर सवाल उठाया तथा जांच से पहले शिक्षकों के बकाया वेतन भुगतान की मांग की। वहीं, कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा है कि रविवार को मदरसों का स्थल निरीक्षण किया जाएगा। तीसरी कमेटी को साहिबगंज एवं पाकुड़ के 70 मदरसों के सत्यापन की जिम्मेदारी दी गई थी।
कमेटी शनिवार को साहिबगंज पहुंची भी, लेकिन एक भी मदरसा के प्रतिनिधि जांच के लिए कमेटी के समक्ष नहीं पहुंचे। हालांकि, रविवार को भी उनका इंतजार किया जाएगा। बता दें कि ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन ने सरकार की ओर से मदरसों की जांच कराने के निर्णय का विरोध किया है। एसोसिएशन कहा कहना है कि जांच के नाम पर बीते 11 माह से शिक्षकों को वेतन से वंचित किया गया। सरकार पहले इसकी भरपाई करे।
वर्ष 2017 में उपायुक्तों से कराई गई थी जांच
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने वर्ष 2017 में भी इन गैर सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों की जांच कराई थी। इसमें यह बात सामने आई थी कि कई मदरसे आवश्यक अर्हता पूरी नहीं करते थे। कुछ मदरसे एक-दो कमरों में चल रहे थे। विभाग के एक पदाधिकारी के अनुसार, इन मदरसों को आवश्यक अर्हता पूरी करने के लिए दो साल का समय दिया गया। ऐसे में मदरसों का सत्यापन किया जाना उनके हित में ही है। इससे उन्हें अनुदान मिलने का रास्ता साफ होगा।