Jharkhand News: मधुकान ग्रुप की 96.21 करोड़ की संपत्ति जब्त.... 1030 करोड़ बैंक धोखाधड़ी में ईडी की कार्रवाई... पढ़िए, मनी लांड्रिंग का पूरा मामला
Jharkhand Money Laundering मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड पर 1030 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच चल रही है। सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में 12 मार्च 2019 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने लिया था केस।
रांची, {दिलीप कुमार}। Jharkhand Money Laundering Case ईडी ने मधुकान ग्रुप कंपनी व उसके निदेशकों व सहयोगियों की 96.21 करोड़ रुपये की 105 चल-अचल संपत्तियों को एक जुलाई को अस्थाई रूप से जब्त किया है। इनमें हैदराबाद, पश्चिम बंगाला, विशाखापतनम, प्रकाशम व कृष्णा जिले में 88.85 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति व 7.36 करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल हैं। ईडी की एडजुकेटिंग अथारिटी की मुहर के बाद इसकी स्थाई जब्ती होगी। पूरा मामला मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के माध्यम से बैंक से जालसाजी का मामला है, जिसमें ईडी ने मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया है। मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड मधुकान समूह की कंपनी है। इस कंपनी खिलाफ सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में 12 मार्च 2019 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सीबीआइ ने 30 दिसंबर 2020 को इस कंपनी व इसके सहयोगियों पर सीबीआइ ने चार्जशीट किया था। सीबीआइ मे दर्ज प्राथमिकी व चार्जशीट के आधार पर ही ईडी ने केस दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया है। मनी लांड्रिंग के तहत अनुसंधान के दौरान ईडी को मधुकान ग्रुप के माध्यम से अवैध तरीके से बनाए गई 361.29 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का पता चला है, जिसपर आगे का अनुसंधान जारी है।
रांची-टाटा मार्ग पर 163 किलोमीटर के फोर लेन का मिला था काम
मधुकान ग्रुप की कंपनी मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर 114 से 277.50 किलोमीटर यानी कुल 163.50 किलोमीटर के फोर लेन का प्रोजेक्ट दिया था। यह रांची-जमशेदपुर रोड पर रांची से रड़गांव तक के लिए था, जिसे 18 मार्च 2011 को कंपनी को मिला था। कंपनी के संस्थापक निदेशक कम्मा श्रीनिवास राव, नामा सीतैया व नामा पृथ्वी तेजा थे। आरोप है कि कंपनी ने पूरी ऋण राशि प्राप्त करने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं किया, जिसके चलते बाद में उसका अनुबंध समाप्त कर दिया गया। इसके बाद गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआइओ) व एनएचएआइ की रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।
केनरा बैंक से ले लिया था 1030 करोड़ रुपये का ऋण
ईडी जांच में पता चला कि मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड ने अपने निदेशकों व प्रोमोटरों के सहयोग केनरा बैंक से 1030 करोड़ रुपये का ऋण ले लिया था। उक्त ऋण जिस उद्देश्य के लिए लिया था, उसका उपयोग नहीं कर, उस राशि को दूसरी जगह स्थानांतरित किया। मुखौटा कंपनियों में उक्त राशि का हस्तांतरण किया। पूरी राशि निकालने के बावजूद काम पूरा नहीं कर सके। फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की। राष्ट्रीय राजमार्ग अथारिटी को भी धोखा दिया। बाद में कंपनी का खाता एनपीए हो गया। मधुकान ग्रुप ने केवल 50.24 प्रतिशत ही काम किया और ऋण की राशि 90 प्रतिशत निकाल लिया। ईडी जांच में यह बात सामने आई है कि मधुकान समूह ने इस परियोजना के कर्ज के पैसे की हेराफेरी कर ली।
पूर्व में ईडी ने छापा मारकर जब्त की थी 34 लाख की संपत्ति
ईडी ने केस दर्ज करने के बाद जून 2021 में मधुकान ग्रुप के ठेकेदारों, अधिकारियों व इससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस छापेमारी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज के अलावा मधुकान ग्रुप के अध्यक्ष नामा नागेश्वर राव के आवासीय परिसर से 34 लाख रुपये नकदी मिले थे।
इन शेल कंपनियों से मधुकान ग्रुप ने की रुपयों की हेराफेरी
ईडी के अनुसंधान में यह खुलासा हुआ है कि मधुकान ग्रुप ने छह शेल कंपनियों के माध्यम से 75.50 करोड़ रुपये रुपये की हेराफेरी की। इन कंपनियों में मेसर्स उषा प्रोजेक्ट्स, मेसर्स बीआर विजन्स, मेसर्स धर्मास्था कंस्ट्रक्शंस, मेसर्स नागेंद्र कंस्ट्रक्शन्स, मेसर्स रागिनी इंफ्रास्ट्रक्चर व मेसर्स वरलक्ष्मी कंस्ट्रक्शन्स शामिल हैं। इन सभी कंपनियों के अध्यक्ष नामा नागेश्वर राव और नामा सेतैया हैं।