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झारखंड में हो रही संविधान की हत्या: स्वामी अग्निवेश

स्वामी अग्निवेश ने कहा झारखंड में आज संविधान की हत्या हो रही है।

By Edited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 03:45 PM (IST)
झारखंड में हो रही संविधान की हत्या: स्वामी अग्निवेश

जागरण संवाददाता, रांची। लोकतंत्र बचाओ मंच की ओर से शनिवार को एक विशाल जन प्रदर्शन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में स्वामी अग्निवेश, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटेकर सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदि शामिल हुए। मार्च जिला स्कूल से निकल राजभवन तक पहुंचा और यहां सभा में तब्दील हो गया।

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वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने संबोधन में कहा कि चुनी हुई सरकार द्वारा भी लोकतंत्र की हत्या धीरे-धीरे होती है। इसके सारे प्रमाण भारत और खासकर झारखंड में दिख रहे हैं। पिछले पचास साल से इस देश में जो अन्याय हुआ, उसके खिलाफ बोलने वाले को देशद्रोही घोषित किए जा रहे हैं। मुंबई से आई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि हमला सिर्फ सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकारों पर नहीं है। हमला मनुष्य की अस्मिता पर है। अब लड़ने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने केरल में आई विपदा का सवाल भी उठाया और कहा कि केरल की बाढ़ कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है। वह कमजोर बाध मैनेजमेंट का परिणाम है, जिसने केरल में हाहाकार मचाया।

स्वामी अग्निवेश ने कहा झारखंड में आज संविधान की हत्या हो रही है। जब झारखंड राज्य को एक आदिवासी महिला राज्यपाल मिली तो मैंने उन्हें कहा इस राज्य के जल, जंगल, जमीन पर हमला हो तो उनके साथ उन्हें खड़ा होना चाहिए। आदिवासी उठें और अपने अधिकार के लिए लड़ें। इस दौरान उन्होंने जोरदार नारा भी लगाया, न विधानसभा न लोकसभा सबसे बड़ी ग्रामसभा। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सुबोधकांत सहाय ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यहां भूमि अधिग्रहण कानून के नाम पर जमीन लूटी जा रही है। जल, जंगल, जमीन कारपोरेट के हवाले किया जा रहा है। जो इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें देशद्रोही करार दिया जाता है। इस मौके पर राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा गया। इसमें झारखंड में जनता के संवैधानिक अधिकारों पर निरंतर हो रहे हमलों को रोकने के लिए और गरीबों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों एवं महिलाओं को न्याय व सुरक्षा दिलवाने में हस्तक्षेप की अपील की गई है।

मंच ने कुछ लंबित मुद्दों की ओर भी ध्यान दिलाया कि पेसा कानून 1996 में बन जाने के बावजूद आज तक लागू नहीं किया जा सका। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जनता की आवाज उठाने वाले और अनधिकृत भूमि हड़पने के विरूद्ध काम करने वाले कार्यकर्ताओं की मार-पिटाई, झूठे-मुदकमों में फंसाया जा रहा है। 26 जून की खूंटी की घटना से संबंधित फेसबुक पोस्ट को आधार बनाकर फादर स्टेन स्वामी, लेखक, विनोद कुमार सहित बीस बुद्धिजीवी, लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर झूठा, आधारहीन देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया। 19 जुलाई 2018 को पाकुड़ में जाने माने बुद्धिजीवी स्वामी अग्निवेश पर जो पहाड़िया समुदाय द्वारा बुलाए गए थे, जानलेवा हमला किया गया। पुलिस द्वारा अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई।

खनिज संपन्न होने के बावजूद झारखंड के आदिवासी भूखमरी के शिकार हो रहे हैं। भीड़ द्वारा आधे दर्जन घटनाओं में 15 निहत्थे मुसलमानों, आदिवासियों को गो-तस्करी/गोहत्या/गोमास का बहाना बना कर क्रूरतापूर्ण तरीके से मौत के घाट उतार दिया गया। प्रतिवाद मार्च में मंच पीपी वर्मा, नौशाद आलम, कुमार वरुण, भारत भूषण, वशिष्ठ तिवारी, डॉ. सुनीता, विनोद कुमार, फिल्मकार मेघनाथ, सुनील मिंज, सुशांतो मुखर्जी, दयामनी बारला, आलोका, राकेश रोशन किड़ो, ज्योति लकड़ा, जसिंता केरकेट्टा, जेरोम जेराल्ड कुजूर, फादर स्टेन स्वामी सहित भाकपा माले व भीड़ द्वारा हत्या कर दिए गए लोगों के परिजन भी मौजूद थे।


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