सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा अफसरों ने शिकायत वापस लेने का भेजा आवेदन
रांची : लोकायुक्त कार्यालय में सोमवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें अफसरो ने शिकायतक
रांची : लोकायुक्त कार्यालय में सोमवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें अफसरो ने शिकायतकर्ता से जबरन सादे कागजात पर हस्ताक्षर करवा उस पर शिकायत वापस लेने की बात लिख दी और लोकायुक्त कार्यालय को भेज दिया। शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी तब मिली, जब लोकायुक्त कार्यालय से उसे दूरभाष पर सूचना मिली कि उसने अपनी शिकायत वापस ले ली है। यह जानकारी मिलने के बाद वह सोमवार केा लोकायुक्त कार्यालय पहुंचा और अपनी शिकायत पर अडिग रहने की बात दोहराई। उसने कहा कि वह केस लड़ना चाहता है। लोकायुक्त के अवर सचिव ने उसका बयान दर्ज कर लिया है।
शिकायतकर्ता हजारीबाग जिले के बरही का पूर्व 20 सूत्री सदस्य संजय रजक है। उसने वर्ष 2014 में प्रखंड सह अंचल भवन मरम्मत व जीर्णोद्धार में गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। बयान में उसने बताया कि ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल हजारीबाग के कनीय अभियंता विश्वनाथ प्रसाद व सहायक अभियंता शमसुद्दीन अली ने उससे जबरन दो सादे कागजात पर हस्ताक्षर करवा लिए। हस्ताक्षर करने से मना करने पर आरोपियों ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी। चार अगस्त 2017 को आरोपियों ने उपायुक्त हजारीबाग को उक्त हस्ताक्षरयुक्त आवेदन की कॉपी दे दी, जिसपर लिखा हुआ था कि संजय रजक ने लोकायुक्त के कार्यालय में पूर्व में की गई शिकायत को वापस ले लिया है और इससे संबंधित अनुरोध भी किया है। हजारीबाग के उपायुक्त ने लोकायुक्त कार्यालय को 24 अगस्त को अवगत करा दिया था कि शिकायतकर्ता संजय रजक ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। इसके बाद लोकायुक्त कार्यालय ने जब शिकायतकर्ता से पूछा तो पूरा भेद ही खुल गया कि उसने शिकायत वापस नहीं ली थी, बल्कि उसके सादे कागजात पर किए गए हस्ताक्षर का गलत उपयोग किया गया।
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यह है मामला :
- लोकायुक्त कार्यालय में बरही के पूर्व 20 सूत्री सदस्य बसरिया निवासी संजय रजक ने 02 जुलाई 2014 को अपनी लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में प्रखंड सह अंचल कार्यालय भवन की मरम्मत व जीर्णोद्वार सुंदरीकरण योजना में गड़बड़ी हुई है। अनियमितता का आरोप उन्होंने बरही के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी अतुल कुमार, ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल हजारीबाग के कनीय अभियंता विश्वनाथ प्रसाद व सहायक अभियंता शमसुद्दीन अली के अलावा संवेदक पर लगाया था। उन्होंने उक्त कार्य में घोटाला का आरोप लगाते हुए बताया था कि रंग भी सही नहीं हुआ, पार्टिको से पानी टपकता है, प्लास्टर भी उखड़ने लगा है, बीडीओ ने बिना गुणवत्ता की जांच किए नो-आब्जेक्शन प्रमाण पत्र भी दे दिया।
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