सुनो साहिबान : हम नहीं सुधरेंगे
कुछ दिन पहले तक लॉकडाउन में कोरोना संक्रमितों की रिकवरी की दर ठीक थी परंतु संख्या भी बढ़ती जा रही है।
विश्वजीत भटट, रांची कुछ दिन पहले तक लॉकडाउन में कोरोना संक्रमितों की रिकवरी के मामले में रांची जिला प्रशासन अन्य जिलों से आगे चल रहा था। अपनी पीठ थपथपा रहा था। अब स्थिति बिल्कुल उलट गई है। रांची में लगातार कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। लोगों की लापरवाही के खिलाफ कड़ा संदेश प्रसारित करने के लिए जिला प्रशासन ने सख्ती भी बढ़ाई। हाल ही में 32 दुकानों को सील भी कराया। दुकानदारों को नोटिस भी दिया गया, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात। लोगों की आदतों में जरा भी बदलाव नहीं आया। लोग अब भी बेखौफ होकर बिना मास्क, बिना शारीरिक दूरी का पालन किए घूम रहे हैं। हर रोज बड़ी संख्या में संक्रमित होने की सूचनाएं आ रही हैं। राजधानी के लोग हैं कि आदतें बदलने को तैयार नहीं हैं। प्रशासनिक सख्ती काफी कम है। ऐसे में एक बार फिर संपूर्ण लॉकडाउन ही उपाय है। गांव-गांव घूम रहे हाकिम
कल तक ऑफिस में बैठने वाले पदाधिकारी अब ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर कार्यों की मॉनीटरिग कर रहे हैं। हाल ही में रांची जिले के विभिन्न प्रखंडों में वरीय पदाधिकारी गए थे और रोजगार दिवस पर मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले काम की मॉनीटरिग की। अधिकारियों के गांवों में जाने से गांव के लोग तो खुश हैं ही, अब इस नई व्यवस्था में गांव के लोगों में उम्मीद की नई किरण भी नजर आ रही है। देखना ये है कि अपनी कुर्सी से ही चिपके रहने वाले हाकिम लोग इस नई व्यवस्था को कितना अंगीकार कर रहे हैं और गांव के लोगों का भला करने का जज्बा उनमें किस हद तक है। यदि वाकई में गांव के लोगों का भला करना है तो गांवों में तो जाना होगा साहब।
एक-दो बार जाकर खानापूर्ति से काम नहीं चलेगा। एसी कमरे का आनंद छोड़ना होगा, तब ही भला है। तौबा बोल गए ठेकेदार
कोरोना का खौफ इस कदर सिर चढ़कर बोल रहा है कि ठेकेदार तौबा बोल गए हैं। राजधानी के जिन पार्क और मुख्य स्थानों पर बने पार्किंग के ठेके पाने के लिए ठेकेदारों में मारकाट मचती थी, आज वहीं ठेका लेने के लिए कोई आगे ही नहीं आ रहा है। नगर निगम अब तक तीन बार टेंडर निकाल चुका है और 28 जुलाई को प्री बिड मीटिग की तारीख भी तय की थी। तीनों बार एक भी टेंडर नहीं आया। प्री बिड मीटिग के लिए भी ठेकेदार तैयार नहीं हुए। अब आम लोगों को इसका सीधा फायदा मिल रहा है और लोग बिना पार्किंग शुल्क दिए ही अपनी गाड़ी पार्किंग स्थलों पर खड़ी कर रहे हैं। इससे नगर निगम को तो चूना लग ही रहा है, कहीं न कहीं ठेकेदारों को भी काफी नुकसान हो रहा है। ठेकेदार चुपचाप हैं, क्योंकि पहले जान है तो जहान है। झारखंडी पर भरोसा
जल, जंगल जमीन की झंडाबरदार सरकार ने रांची के लिए झारखंड माटी पर भरोसा जताया है। रांची जिले के लिए पदास्थापित नए उपायुक्त का झारखंड से गहरा जुड़ाव है। नये डीसी साहब सरायकेला-खरसावां जिले में ही पले-बढ़े हैं। इसके पहले उनका पदस्थापन सरायकेला उपायुक्त के रूप में हुआ था, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। इस बार सरकार ने एक बार सूबे की राजधानी के लिए भरोसा जताया है। वे सरकार के इस भरोसे पर कितना खरा उतरते हैं। जाहिर है, दिनोंदिन विकराल रूप ले रहा कोरोना संक्रमण के खतरे से राजधानी को महफूज रखना उनके लिए सबसे बड़ी मौजूदा समय में चुनौती होगी। यदि आते ही धुआंधार स्टाइल में चौके-छक्के वाले अंदाज में कुछ कर पाए तो ठीक, नहीं तो संक्रमण राजधानी को बड़ी परेशानी में डाल देगा। और, जाहिर है ठीकरा तो जिला के मालिक पर ही फूटना है। आखिर राजधानी है।