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जानिए, झारखंड में सीनियर पदों पर अभियंताओं का क्यों है टोटा

जल संसाधन विभाग में 56 के विरुद्ध महज तीन अधीक्षण अभियंता कार्यरत हैं, स्थितियां नहीं सुधरीं तो मुख्य अभियंता व अभियंता प्रमुख का टोटा रहेगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 11:58 AM (IST)Updated: Mon, 28 May 2018 12:58 PM (IST)
जानिए, झारखंड में सीनियर पदों पर अभियंताओं का क्यों है टोटा
जानिए, झारखंड में सीनियर पदों पर अभियंताओं का क्यों है टोटा

आशीष झा, रांची। अभियंत्रण सेवा में सीनियर पदों पर अभियंताओं का टोटा है और वर्तमान में प्रभार के भरोसे पूरी व्यवस्था चल रही है। हालात ऐसे हैं कि जल संसाधन विभाग में 56 के विरुद्ध महज तीन अधीक्षण अभियंता कार्यरत हैं और स्थितियां नहीं सुधरीं तो आने वाले दिनों में मुख्य अभियंता और अभियंता प्रमुख का टोटा रहेगा। इसके पीछे का बड़ा कारण है अभियंताओं का नियमित प्रमोशन नहीं होना। वर्षों से यही व्यवस्था है। इस कारण सिस्टम में हो रही दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार प्रयासरत है और अब झारखंड अभियंत्रण सेवा नियुक्ति नियमावली में कुछ संशोधन को भी स्वीकृति प्रदान की जा सकती है। बीते मंगलवार को मुख्य सचिव ने इस संदर्भ में कार्मिक विभाग और अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों से बैठकर चर्चा भी की।

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समझा जा रहा है कि विभाग नए फॉर्मूले तय कर इसकी बाधाएं दूर करेगा। अभियंत्रण सेवा के अधिकारियों को समय पर प्रोन्नति देने के लिए सरकार तमाम कील-कांटों को दुरुस्त करने में लगी है। जल संसाधन, पेयजल एवं स्वच्छता, ग्रामीण अभियंत्रण आदि तमाम विभागों में वरीय पदों पर अभियंताओं की प्रोन्नति वर्षो से नहीं हो सकी है। वर्तमान में नियमावली के अनुसार सहायक अभियंता पद पर पांच साल रहने के बाद कार्यपालक अभियंता और इस पद पर अलग-अलग वेतनमान में पांच-पांच वर्षो का दो कार्यकाल है। इसके बाद अधीक्षण अभियंता बन सकते हैं और फिर इस पद पर पांच वर्ष रहने के बाद मुख्य अभियंता। मुख्य अभियंता बनने के बाद अभियंता प्रमुख बनने के लिए दो वर्ष का अनुभव चाहिए। वर्तमान हालात में इसी दो वर्ष में तमाम गड़बड़ियों और कमियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है।

विभाग का पक्ष है कि वर्षों के अनुभव के आधार पर कुछ अभियंताओं को सीधे अधीक्षण अभियंता का प्रभार दिया जाए। कार्यपालक अभियंता ग्रेड-टू से सीधे अधीक्षण अभियंता। इससे अगले दो वर्ष में मुख्य अभियंता के पद तक अभियंताओं की कमी दूर हो जाएगी। जल संसाधन विभाग का एक तर्क यह भी है कि कई सहायक अभियंता 28 वर्षो से सहायक अभियंता के पद कार्यरत हैं और कई योग्य कार्यपालक अभियंताओं के तीस वर्ष हो गए हैं लेकिन उन्हें प्रोन्नति नहीं मिल रही है। नगर विकास विभाग में प्रोन्नति तो हुई है लेकिन वहां भी यही हाल है।

कई अभियंताओं को 20 साल के बाद प्रोन्नति मिली लेकिन अधिसूचित नहीं हुए। सबसे बुरा हाल सिंचाई विभाग का है। फिलहाल सभी प्रकार की प्रोन्नति पर रोक है लेकिन यह रोक हटी भी अभियंत्रण सेवा के अधिकारियों को अभी फायदा नहीं होनेवाला। अपर मुख्य सचिव डीके तिवारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस समस्या के समाधान का आग्रह किया था। समझा जा रहा है कि शीघ्र ही इस व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया जाएगा और अभियंताओं को नियमित प्रोन्नति मिलेगी।  


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