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Jharkhand Tourism: सुकून के पल बिताने हों तो यहां आएं, बुला रहीं नेतरहाट की हसीन वादियां; जानिए कब-कैसे पहुंचें

सनसेट-सनराइज के लिए विश्व विख्यात नेतरहाट में बिखरी प्राकृतिक सुंदरता के कारण इसे पहाड़ों की मल्लिका कहा जाता है। सौंदर्य ऐसा है कि लोगों को नेतरहाट की वादियां धरती पर स्‍वर्ग लगतीहैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 08:17 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 08:22 AM (IST)
Jharkhand Tourism: सुकून के पल बिताने हों तो यहां आएं, बुला रहीं नेतरहाट की हसीन वादियां; जानिए कब-कैसे पहुंचें

लातेहार, [उत्कर्ष पांडेय]। पहाड़ी पर्यटन स्थलों का नाम लेते ही शिमला और मनाली का नाम जेहन में आ जाता है। लेकिन लातेहार जिले के नेतरहाट में बिखरी प्राकृतिक सुंदरता के कारण इसे पहाड़ों की मल्लिका कहा जाता है। जिले में दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर स्थित नेतरहाट को प्रकृति ने फुरसत से संवारा है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा है कि लोगों को नेतरहाट की वादियां धरती पर स्वर्ग होने का एहसास दिलाती हैं। एक बार जो नेतरहाट चला गया, इसे जिदंगी भर नहीं भूल पाता है।

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ऐसा है नेतरहाट गांव 

यहां आदिवासियों की संख्या ज्यादा है और इसके अधिकतर हिस्से में घने जंगलों का फैलाव है। इस घने जंगल में आपको साल, सागवान, सखुआ और बांस के पेड़ ज्यादा मिलेंगे। स्थानीय भाषा में नेतरहाट का मतलब होता है बांस का बाजार। ग्रामीण बुजुर्ग बताते हैं कि बांस की अधिकता के कारण इस स्थान का नाम नेतरहाट पड़ा।

सनसेट व सनराइज के लिए है विश्व विख्यात

नेतरहाट का सनसेट व सनराइज देखने के लिए देश भर से पर्यटक आते हैं। फिलवक्त राज्य समेत विभिन्न देशों से आए पर्यटकों की भीड़ यहां दिन भर देखने को मिल रही है।

सनसेट प्वाइंट करता है आकर्षित

नेतरहाट से सनसेट प्वाइंट की दूरी लगभग 10 किमी है। यहां सनसेट का बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। डूबते सूरज के अद्भुत नजारे और उसकी मद्धिम रोशनी से सुनहरा होता असमान के सुंदर नजारे को देखने के लिए पर्यटक सनसेट प्वाइंट पर समय से पहले ही जमा होने लगते हैं।

ये हैं यहां के खास स्थान

नेतरहाट आवासीय विद्यालय, मैग्नोलिया प्वाइंट, नासपाती बागान, अपर घघरी, लोदफॉल, शैले हाउस, पलामू बंगला आदि स्थानों की सुंदरता नेतरहाट की खुबसूरती में चार चांद लगा देती है। पहाड़ों की ऊंची-ऊंची चोटियों व खाईयों से यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। यहां की वादियां में चलने वाली ठंडी हवा मन के तार को बरबस ही छेडऩे लगती है। समुद्रतल से 3761 फीट की ऊंचाई पर बसे नेतरहाट की वादियों में बस जाने का मन करता है। इसके समीप स्थित महुआडांड़ के जंगल में सुग्गा फॉल जलप्रपात के  पानी की झंकार जंगलों की चुप्पी को तोड़ मन मोह लेती है।

ऐसे पहुंचें नेतरहाट

रांची से 147 किमी की दूरी पर नेतरहाट स्थित है। रांची से सड़क मार्ग के द्वारा छोटे वाहन से कुडू लोहरदगा होते हुए आसानी से पहुंचा जा सकता है।

झारखंड की शान है नेतरहाट आवासीय विद्यालय

नेतरहाट आवासीय विद्यालय को झारखंड की शान माना जाता है। अपने स्थापना काल से ही, पहले बिहार राज्य में और अब झारखंड राज्य में बोर्ड की परीक्षा में प्रथम दस स्थान पाने वाले अधिकांश विद्यार्थी इसी विद्यालय से आते रहे हैं। बोर्ड की परीक्षा के अलावा इस विद्यालय के विद्यार्थी क्षेत्रीय गणित ओलंपियाड, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा आदि में भी सदा अग्रणी रहते हैं। इस विद्यालय की स्थापना नवंबर 1954 में हुई थी। राज्य सरकार द्वारा स्थापित और गुरुकुल की तर्ज पर बने इस स्कूल में अभी भी प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर प्रवेश मिलता है। यहां 10 -12 आयु वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है और लड़कों को उच्चतर माध्यमिक परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है। अभी भी छात्र के आय के हिसाब से ही इस विद्यालय में फीस ली जाती है। विद्यालय में शिक्षा का माध्यम ङ्क्षहदी है। यहां के छात्रों ने कई क्षेत्रों में इस विद्यालय का कीर्ति-पताका लहराया है। कई शीर्ष के नौकरशाह और टेक्नक्रेट इसी विद्यालय से पढ़ कर निकले हैं।

अंग्रेज ऑफिसर की बेटी व चरवाहे की अधूरी प्रेम कहानी

इन खूबसूरत नजारों के अलावा यहां एक अंग्रेज ऑफिसर की बेटी व नेतरहाट के चरवाहे की अधूरी प्रेम कहानी भी सुनने को मिलती है। लोग बताते हैं कि नेतरहाट में एक अंग्रेज अधिकारी की बेटी व चरवाहे की प्रतिमा स्थापित है, जो दोनों की प्रेम कहानी की गवाही देती है। लोग बताते हैं कि एक अंग्रेज ऑफिसर को नेतरहाट बहुत पसंद था। वह सपरिवार नेतरहाट घूमने आए और वहीं रहने लगे। उनकी एक बेटी थी, उसका नाम मैग्नोलिया था। नेतरहाट गांव में ही एक चरवाहा था, जो सनसेट प्वाइंट के पास प्रतिदिन मवेशियों को चराता था। मवेशी चराने के दौरान वह सनसेट प्वाइंट पर बैठ जाता था। इसके बाद वह मधुर स्वर में बांसुरी बजाता था, इसकी चर्चा आसपास के कई गांवों में होती थी। चरवाहे की बांसुरी की मधुर आवाज ने मैग्नोलिया के दिल को छू लिया। मन ही मन वह बांसुरी बजाने वाले से प्रेम करने लगी। वह उससे मिलने के लिए बेकरार हो गई। मैग्नोलिया भी सनसेट प्वाइंट के पास आने लगी। मैग्नोलिया घर से भाग कर हर दिन सनसेट प्वाइंट के पास चली जाती। यहां चरवाहा उसे बांसुरी बजा कर सुनाता था। कुछ दिनों बाद इसकी जानकारी मैग्नोलिया के पिता अंग्रेज ऑफिसर को मिली। उन्होंने चरवाहे को अपनी बेटी से दूर जाने को कहा। लेकिन प्यार में डूबे चरवाहे ने दूर जाने से मना कर दिया। गुस्से में आकर अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा की हत्या करवा दी। इसकी जानकारी मैग्नोलिया को हुई।  वह अपने घोड़े के साथ सनसेट प्वाइंट के पास पहुंची और घोड़ा सहित पहाड़ से कूद कर जान दे दी। नेतरहाट में वह पत्थर आज भी मौजूद है, जहां बैठकर चरवाहा बांसुरी बजाता था। जिला प्रशासन ने इस स्थल को बेहद खूबसूरती से सजाया है।

सालों भर आते हैं सैलानी

यहां पर यूं तो सालों भर सैलानियों का आना-जाना होता है, लेकिन नवंबर से मार्च तक देश-विदेश के सैलानी यहां की मनोरम छटा देखने के लिए इंतजार करते हैं। यहां सबसे अधिक सनसेट प्वांट सैलानियों को भाता है। इसके अलावा जल प्रपात, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, रंग बिरंगे पक्षियों का संगम और कहीं भी देखने को नहीं मिलता है।

होटल एवं रेस्टोरेंट वालों की चांदी

सीजन में यहां के होटल और रेस्टोरंट में काफी भीड़ बढ़ जाती है। देश-विदेश के सैलानी यहां की मनोरम वादियों का आंनद लेने के लिए कई दिनों तक यहां समय बिताते हैं। इसके कारण यहां के होटल एवं रेस्टोरंट मालिकों की चांदी रहती है। इसके अलावा छोटे दुकानदारों की भी बिक्री बढ़ जाती है। होटल संचालक मनोज कुमार ने कहा कि हमलोगों की जीविका सैलानियों पर ही टिकी है। खूबसूरत जगह होने के कारण यहां  सैलानी दूर-दूर से आते हैं। कई सैलानी एडवांस बुकिंग कर देते हैं।

यहां से आते हैं सैलानी

पर्यटक के रूप में देश विदेश में चर्चित नेतरहाट में सबसे अधिक कोलकता और मुंबई से लोग आते हैं। इसके अलावा थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान समेत कई देशों के सैलानी यहां पहुंचते हैं।


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