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उग्रवादी हिंसा में शहीद सैप जवान के आश्रित को भी सरकारी नौकरी Ranchi News

गृह विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है। अब कैबिनेट की मुहर का इंतजार है। कार्मिक विभाग विधि विभाग व योजना सह वित्त विभाग की सहमति पहले ही मिल चुकी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 07:00 AM (IST)
उग्रवादी हिंसा में शहीद सैप जवान के आश्रित को भी सरकारी नौकरी Ranchi News
उग्रवादी हिंसा में शहीद सैप जवान के आश्रित को भी सरकारी नौकरी Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand - अब उग्रवादी हिंसा में शहीद स्पेशल ऑक्जिलियरी पुलिस (सैप) के जवान के एक आश्रित को अनुकंपा के आधार पर सिपाही या चतुर्थवर्गीय पद पर सरकारी नौकरी मिलेगी। गृह कारा एवं आपदा प्रबंध विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार किया था। इस पर कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग, विधि विभाग व योजना सह वित्त विभाग ने सहमति दे दी है। अब यह फाइल कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजी गई है। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद यह प्रस्ताव लागू हो जाएगा।

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राज्य में सैप की दो बटालियन हैं। सैप में भारतीय सेना के सेवानिवृत्त सिपाही, जेसीओ, पदाधिकारी को अनुबंध पर बहाल करने का प्रावधान है। इस बटालियन के जवानों के लिए अब तक जो प्रावधान है, उसके अनुसार इन्हें कर्तव्य पालन के क्रम में उग्रवादी हिंसा में शहीद होने पर राज्य के पुलिसकर्मियों की तरह अनुग्रह अनुदान तो मिलता है, लेकिन आश्रित को नौकरी नहीं मिलती है।

गृह विभाग ने अपने प्रस्ताव में लिखा है कि उग्रवादी हिंसा में मृत अनुबंध कर्मियों के आश्रित को अनुकंपा पर सिपाही या चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति का प्रावधान तो है, लेकिन सैप कर्मी की मृत्यु होने पर उनके आश्रित इससे वंचित हो जाते हैं। सैप कर्मियों के लिए भी इसकी आवश्यकता महसूस की गई है।

शहीद के इन आश्रित को मिलेगा अनुग्रह अनुदान व अनुकंपा पर नौकरी का लाभ

शहीद की पत्नी या पति या शहीद का पुत्र या शहीद की अविवाहित बेटी या विधवा बेटी या शहीद के बेटे की विधवा पत्नी या शहीद के माता-पिता या शहीद के भाई अथवा अविवाहित बहन।

अब तक नौ जवान-पदाधिकारी हो चुके हैं शहीद

सैप के अब तक नौ जवान व पदाधिकारी शहीद हो चुके हैं। इनके उग्रवादी हिंसा में अनुग्रह अनुदान तो मिला, लेकिन एक आश्रित को नौकरी नहीं मिलने के चलते घर की माली हालत खराब हो गई। इसे देखते हुए ही विभाग ने इस पर मंथन करना शुरू कर दिया था।


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