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झारखंड से सीखें सबक, घायल हुए गजराज तो गुस्सा भूल सेवा में जुटे गांववाले

Kerala Elephant incident रांची से लगभग 70 किलोमीटर दूर सिल्ली के महिलौंग वन्य क्षेत्र में यह जंगली हाथी कुछ दिनों पहले घायल अवस्था में गांव के पास पहुंचकर निढाल हो गया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 12:13 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 06:56 AM (IST)
झारखंड से सीखें सबक, घायल हुए गजराज तो गुस्सा भूल सेवा में जुटे गांववाले
झारखंड से सीखें सबक, घायल हुए गजराज तो गुस्सा भूल सेवा में जुटे गांववाले

रांची, [प्रदीप सिंह]। एक ओर जहां केरल के पलक्कड़ में एक गर्भवती हथिनी को निर्ममतापूर्वक अनानास संग पटाखे खिलाकर मार डालने की अमानवीय और लोमहर्षक घटना ने सबके मन को व्यथित किया, वहीं रांची के एक गांव के लोग जान जोखिम में डाल एक घायल हाथी की देखरेख में जुटे हैैं। झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 70 किलोमीटर दूर सिल्ली के महिलौंग वन्य क्षेत्र में यह जंगली हाथी कुछ दिनों पहले घायल अवस्था में गांव के पास पहुंचकर निढाल हो गया।

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यहां हेसाडीह और रिगड़ीग्राम के लोगों की इसपर नजर पड़ी तो वे हाथी की सेवा में जुट गए। लगभग 12 वर्ष के इस हाथी का अगला बायां पांव बुरी तरह घायल है और वह काफी पीड़ा में है। उधर अपने झुंड के एक सदस्य की जान मुश्किल में देख चार अन्य जंगली हाथी भी वहां पहुंचकर डेरा डाल चुके हैैं। ये हाथी लगातार अपने साथी की पहरेदारी भी कर रहे हैं। हालांकि जंगली हाथियों से डरे बगैर ग्रामीण घायल हाथी की देखरेख कर रहे हैैं।

ग्रामीण वन विभाग के सहयोग से कोहड़ा और कद्दू में एंटीबायोटिक दवा डालकर हाथी तक पहुंचाने का जोखिम उठा रहे हैं। इधर वन विभाग भी सूचना पाने के बाद लगातार गजराज की निगरानी कर रहा है। झारखंड में मानव-हाथी टकराव में बीते 10 साल में लगभग 600 लोगों की जान जा चुकी हैं। हाथी फसलों और घरों को भी खासा नुकसान पहुंचाते हैैं। जानमाल की क्षति के बावजूद ग्रामीणों का जंगली हाथी के प्रति मानवीय व्यवहार उन्हेंं नुकसान पहुंचाने वाले समूहों के लिए एक सबक की तरह है।

हाथी मेरा साथी

  • सिल्ली के महिलौंग जंगल में घायल जंगली हाथी की देखभाल कर रहे ग्रामीण
  • गुस्सैल हाथी पहले ले चुका है दो लोगों की जान, अन्य हाथी भी गांव पहुंच दे रहे पहरा
  • कोहड़ा -कद्दू में डालकर हाथी तक पहुंचा रहे एंटीबायोटिक और जरूरी दवाइयां
  • जंगली हाथी का बायां पांव है बुरी तरह घायल, उसके पास झुंड ने डाल रखा है डेरा

घायल हाथी है काफी गुस्सैल, ले चुका है दो की जान

जिस जंगली हाथी की जान बचाने के लिए ग्रामीण अपनी जान पर खेल रहे हैैं, वह काफी गुस्सैल है। पिछले महीने इसने राहे, सिल्ली और अनगड़ा प्रखंड में काफी तबाही मचाई थी। वह दो लोगों की जान भी ले चुका है। इसके अलावा खड़ी फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा चुका है। गांव से भगाए जाने के क्रम में ही उसका पांव पत्थरों से टकराकर घायल हो गया था। राहे, सिल्ली और अनगड़ा हाथियों का प्राकृतिक गलियारा है और यह पूरा क्षेत्र सघन जंगलों से घिरा है। यह क्षेत्र  बंगाल की सीमा से सटा है।

झुंड से अलग होने पर बेहतर इलाज

महिलौंग वन्य क्षेत्र के रेंज आफिसर आरके सिंह के मुताबिक ग्रामीणों ने घायल जंगली हाथी के बारे में सूचित किया तो तत्काल महकमे के सारे पदाधिकारी हरकत में आ गए। भगवान बिरसा बायोलाजिकल पार्क के चिकित्सक डॉ. अजय कुमार की सलाह पर उसे दवाइयां दी जा रही हैं। इसमें मुुश्किलें भी आ रही है लेकिन ग्रामीण हर हाल में उसकी मदद करने को आतुर हैैं। कोशिश यह की जा रही है कि उसके झुंड के अन्य जंगली हाथियों से उसे जल्द से जल्द अलग किया जाए। ऐसा होने के बाद उसकी चिकित्सा बेहतर तरीके से हो पाएगी। इलाज के लिए हाथी के ज्यादा करीब जाना भी बहुत जोखिम भरा है, क्योंकि वह कभी भी आक्रमण कर सकता है। वहीं पहरा दे रहे उसके साथी भी हमला कर सकते हैैं। फिलहाल वह काफी शांत है और ज्यादा हरकत नहीं कर रहा है।


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