JPSC AE Exam 2021: सहायक अभियंता नियुक्ति परीक्षा रांची में आज से... देखें Details
JPSC AE Exam 2021 झारखंड लोक सेवा आयोग नगर विकास विभाग में नियुक्ति के लिए सहायक अभियंता नियुक्ति परीक्षा ले रहा है। यह परीक्षा 11 अप्रैल तक चलेगी। इसमें सफल अभ्यर्थी का चयन सहायक अभियंता (सिविल मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल) के पदों पर होगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। JPSC AE Exam 2021 झारखंड लोक सेवा आयोग की सहायक अभियंता (सिविल, मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल) नियुक्ति परीक्षा शुक्रवार से रांची के विभिन्न केंद्रों पर शुरू होगी। पहले दिन एक पाली में एक पत्र की परीक्षा होगी जिसमें सामान्य अंग्रेजी तथा सामान्य अध्ययन के प्रश्न पूछे जाएंगे। यह परीक्षा 11 अप्रैल तक चलेगी। दूसरे व तीसरे दिन दो-दो पालियों में परीक्षाएं होंगी। बता दें कि नगर विकास विभाग में इन पदों पर होनेवाली नियुक्ति हेतु हो रही इस परीक्षा में शामिल होने के लिए भरे गए ऑनलाइन आवेदन में 16,856 आवेदन विभिन्न कारणों से रद कर दिए गए हैं। वहीं, इस परीक्षा में शामिल होने के लिए 7,785 अभ्यर्थियों के आवेदन सही पाए गए हैं।
सहायक अभियंता नियुक्ति परीक्षा शुरू
झारखंड लोक सेवा आयोग की सहायक अभियंता (सिविल, मैकेनिकल एवं इलेक्ट्रिकल) नियुक्ति परीक्षा शुक्रवार से रांची के विभिन्न केंद्रों पर शुरू हो गई। पहले दिन एक पाली में एक पत्र की परीक्षा थी जिसमें सामान्य अंग्रेजी तथा सामान्य अध्ययन के प्रश्न पूछे गए। अब यह परीक्षा 11 अप्रैल तक दो-दो पालियों में होगी।
मुख्यमंत्री से मिला इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराने वाला मास्टर विराट माकन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से गुरुवार को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने वाले सात वर्षीय मास्टर विराट माकन ने मुलाकात की। पंजाबी मोहल्ला नामकुम रेलवे स्टेशन निवासी विराट ने 75 से दो तक का पहाड़ा 11 मिनट छह सेकंड में उल्टा सुनाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। विराट देश का ऐसा पहला बच्चा है, जिसने यह कारनामा कर दिखाया है। मुख्यमंत्री ने विराट को बधाई देते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर खिजरी के विधायक राजेश कच्छप, विराट की मां शिल्पी माकन और पिता गगन माकन मौजूद थे।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी : हाई कोर्ट
झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं दिए जाने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस का दर्द छलका। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन संस्थान चलते रहेंगे। किसी को यह गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि अदालतों को कुछ भी पता नहीं होता है। हमें सभी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी रहती है। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है और इसे पूरा ही करना होगा।
अदालत ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के नए भवन के अधूरे काम को सरकार को ही पूरा करना होगा और ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता है। इस दौरान अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के नए भवन, पटना हाई कोर्ट के नए भवन, लखनऊ की बेंच के नए भवन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकारों ने भवन बनाने में पैसे की कमी नहीं होने दी है, लेकिन यहां सरकार जिद पर अड़ी है। यह विचार करना चाहिए कि राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य की सेवाएं बेहतर होंगी तो आने वाला कल अच्छा होगा। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में यहां के छात्रों को लिए पचास फीसदी सीट आरक्षित है, लेकिन सरकार बुनियादी सुविधाओं के लिए वित्तीय सहयोग नहीं करना चाहती है।
अदालत ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को फंड नहीं देना और हाई कोर्ट के नए भवन को ऐसे ही छोड़ देना या तो राजनीतिक अपरिपक्वता है या फिर नौकरशाहों की मनमानी है। किसी संस्थान को बेहतर सुविधा देने से कोई रोक नहीं सकता है। सीजे ने कहा कि हम नया हाई कोर्ट जाना ही नहीं चाहते हैं, क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि हाई कोर्ट का अधूरा भवन हमें चिढ़ा रहा है। सरकार नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को एकमुश्त सिर्फ 25 करोड़ रुपये देकर पल्ला नहीं झाड़ सकती है।
अदालत ने मुख्य सचिव से कहा कि वे सरकार को समझाएं कि वह ऐसा नहीं करे। लोकतंत्र में कोई राजा नहीं होता है। सभी को अलग- अलग अधिकार दिया गया है। इस दौरान महाधिवक्ता की ओर से विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इस दौरान मुख्य सचिव, भवन सचिव, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वीसी ऑनलाइन कोर्ट में हाजिर हुए थे।