अपडेट : सीता सोरेन का हेमंत पर तंज, रघुवर दास की तरह तानाशाही रवैया नहीं अपनाएं
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने विधायक सीता सोरेन के तल्ख तेवर से सकते में है। पहले संगठन और अब प्रशासनिक नाकामियों को सार्वजनिक कर उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को धर्मसंकट में डाल रखा है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब वह सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं करतीं।
रांची : सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने विधायक सीता सोरेन के तल्ख तेवर से सकते में है। पहले संगठन और अब प्रशासनिक नाकामियों को सार्वजनिक कर उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को धर्मसंकट में डाल रखा है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता, जब वह सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं करतीं। रविवार को सीता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए उन्हें नसीहत दे डाली कि आप पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की तरह तानाशाही रवैया नहीं अपनाएं।
दरअसल, उनका सुझाव बीते आठ अक्टूबर से राजधानी के मोरहाबादी मैदान में अनशन कर रहे जेटेट अभ्यर्थियों की तबीयत से संबंधित था। शिक्षक नियुक्ति परीक्षा को लेकर अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई है। हजारों अभ्यर्थियों ने चार वर्ष पूर्व जेटेट की परीक्षा पास की है, लेकिन शिक्षक नियुक्ति परीक्षा न होने से इन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है। कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनकी उम्र सीमा खत्म हो रही है।
इससे पहले एक दिन पहले सीता सोरेन ने दुमका जिला प्रशासन पर अवैध खनन माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। उन्होंने खुलकर कहा है कि दुमका उपायुक्त, डीआइजी, डीएसपी और डीएमओ खनन माफिया के संरक्षक हैं। दुमका और शिकारीपाड़ा में 400 अवैध माइंस और 300 अवैध क्रशर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है कि आपने दुमका दौरे के दौरान अवैध खनन बंद कराने की बात कही थी, लेकिन अभी तक कुछ भी बंद नहीं हुआ है।
सीता सोरेन ने कुछ दिनों पूर्व झारखंड मुक्ति मोर्चा में अपने खिलाफ हो रही साजिश का दावा किया था। उन्होंने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को पत्र लिखकर महासचिव विनोद पांडेय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा को अपने स्वर्गीय पति दुर्गा सोरेन की विरासत बताया था। हालांकि बाद में मामला तूल पकड़ने के बाद उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनका किसी के साथ मतभेद या मनभेद नहीं है। वह संगठन की खामियों को उजागर कर रहीं थीं। बहरहाल, सीता सोरेन के तेवर का असर दुमका विधानसभा उपचुनाव में पड़ सकता है। इनके बयान को आधार बनाकर भाजपा घेराबंदी कर सकती है।
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-यह संवादहीनता की पराकाष्ठा है। यह इंगित करता है कि सत्तारूढ़ दल को राज्य के लोगों की बेहतरी से कुछ भी लेना-देना नहीं है। सरकार सिर्फ ट्रांसफर-पोस्टिग में व्यस्त है। उपचुनाव में जनता इन्हें सबक सिखाएगी। राज्य में संपूर्ण अराजकता का माहौल है। इसे सत्तारूढ़ दल की विधायक भी प्रमाणित कर रहीं हैं।
कुणाल षाडंगी
प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा।