मतांतरण रोक रहीं आदिवासी बेटियां... अयोध्या से लौटकर सुना रहीं रामकथा... झारखंड में विहिप का अनूठा प्रयोग
VHP Unique Experiment अयोध्या से प्रशिक्षण लेकर गांव-गांव रामकथा सुना रहीं सिमडेगा की दर्जनभर से अधिक युवतियां। विहिप और एकल अभियान की पहल पर चल रहा सांस्कृतिक जागरण का अभियान। राम का चरित्र जीवन में उतारने की कर रहीं लोगों से अपील।
सिमडेगा {वाचस्पति मिश्र}। जनजातीय बहुल सिमडेगा जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एकल अभियान के तहत आदिवासी बेटियां गांव-गांव में घूम कर राम-कथा का वाचन कर रही हैं। अयोध्या से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी आदिवासी बेटियां जिले भर में श्रीराम कथा के माध्यम से जनजातीय एवं पिछड़े समाज को एक डोर में पिरो रही हैं। सुदूरवर्ती गांवों में जाकर आस्था की अलख जगाते हुए ये युवतियां ग्रामीण वनवासियों को न केवल उनकी पुरातन धर्म-संस्कृति से जोड़ रही हैं, बल्कि लोगों को जागरूक कर मतांतरण पर भी रोक लगा रही हैं। विहिप की पहल से हाल ही में यहां की 15 लड़कियां अयोध्या में धार्मिक प्रशिक्षण लेकर लौटी हैं। धर्म की बारीकियों से सहज-सरल तरीके से ग्रामीणों को अवगत कराने का इनका रोचक अंदाज भा रहा है। ये बेटियां राम-सीता समेत रामायण के सभी चरित्रों की कथा रोचक ढंग से सुनाती हैं। साथ ही मतांतरण के खिलाफ भी लोगों को जागरूक करती हैं। लड़कियों और महिलाओं को विशेष तौर पर सजग किया जा रहा है। बता दें कि विहिप औऱ एकल अभियान की हरिकथा योजना के तहत झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ व बिहार के सुदूर गांवों की लड़कियों को रामकथा का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि बेटियां घूम-घूम कर धर्म प्रचार में भूमिका निभा सकें।
भगवान राम के आगमन का साक्षी रहा है सिमडेगा
सिमडेगा आदिकाल से ही भगवान राम के आगमन का साक्षी रहा है। रामरेखा धाम यहां का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र हैं। उधर, पिछले कुछ दशकों से सिमडेगा जिले में ईसाई मिशनरियों ने बड़े पैमाने पर मतांतरण कराया है। भोले-भाले और गरीब आदिवासियों को कभी प्रलोभन देकर तो कभी बरगलाकर मतांतरण कराया जाता रहा है। धर्मध्वजा थामे ये बेटियां लोगों को धर्म की गहराई और महत्व के बारे में बताती हैं।
अयोध्या जाकर श्रीरामकथा वाचन का प्रशिक्षण लिया
रामकथा कहने वालीं यशोदा, निर्मला, कौशल्या, द्रौपदी और शिवानी बताती हैं कि उन्होंने विहिप के सहयोग से अयोध्या जाकर श्रीरामकथा वाचन का प्रशिक्षण लिया है। इस क्रम में वहां छह महीने रुककर अध्ययन किया। वह लोगों को भगवान राम की मर्यादा से सीख लेने और उनके जैसा आचरण अपनाने पर जोर देती हैं। नि:स्वार्थ भाव से ये बेटियां सामाजिक बदलाव के बड़े अभियान में जुटी हैं। वह कहती हैं कि धर्म धारण करने की चीज है, बदलने की नहीं। इसके प्रति प्रतिबद्धता और निष्ठा को जगाने के अभियान में हम सभी लगी हैं।
वनवासियों के बीच रहे थे भगवान श्री राम
श्रीराम कथा वाचक यशोदा ने बताया कि वह गांव-गांव में रामकथा कहती हैं। इससे गांव के लोग अपनी धर्म-संस्कृति से अवगत होते हैं। भगवान राम वनवासियों के बीच रहे थे। इस क्रम में उन्होंने शोषितों एवं कमजोर लोगों को संगठित किया। आज पुन: लोगों को संगठित करने की जरूरत हैं। साथ ही समाज में फैल रही बुराइयों को रोकने की जरूरत है। रामकथा के माध्यम से जागृति फैलाने का यही मकसद है कि समाज में बदलाव आए।
रामकथा से आ रहा बदलाव
सिमडेगा के विहिप जिलाध्यक्ष बीरू गढ़ के युवराज कौशल राज सिंह देव कहते हैं भगवान राम की कथा से जन-जन को जोडऩे का कार्य किया जा रहा है। इनमें इन आदिवासी बेटियों का भी अहम योगदान है। वह गांव- गांव जाकर सनातन संस्कृति की ध्वजा स्थापित कर रही हैं। इससे मतांतरण जैसे प्रयासों पर भी अंकुश लग रहा है। यही कारण है कि कुछ परिवारों ने पुन: घरवापसी भी की है।