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Coronavirus Jharkhand: कोरोना केस बढ़ते ही मची खलबली, अस्‍पतालों में बढ़ाए जाने लगे बेड ALERT

Jharkhand Corona Update सरकार ने राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं। सभी जिलों को बेड की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य सचिव केके साेन ने सभी उपायुक्तों को मरीजों का आकलन करते हुए बेड बढ़ाने को कहा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 05:34 AM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 06:38 PM (IST)
Coronavirus Jharkhand: कोरोना केस बढ़ते ही मची खलबली, अस्‍पतालों में बढ़ाए जाने लगे बेड ALERT
Jharkhand Corona Update: झारखंड में कोरोना संक्रमण एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Corona Update राज्य सरकार राज्य में कोरोना के एक बार फिर लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आगे की आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके तहत सभी जिलों को बेड की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य सचिव केके साेन ने सभी उपायुक्तों को पत्र भेजकर आनेवाले दिनों में मरीजों का आकलन करते हुए बेड की संख्या बढ़ाने को कहा है। उन्होंने इसकी समीक्षा करने को कहा है कि उनके जिले में पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध हैं या नहीं। यदि उपलब्ध नहीं हैं तो निजी अस्पतालों से सहयोग लेकर बेड की संख्या बढ़ाने को कहा है।

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उन्होंने पूर्व के अनुभव के आधार पर आवश्यक बेड की संख्या निर्धारित करते हुए भी 30 अप्रैल तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है। स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में पीपीई किट, दवा, मास्क, सैनिटाइजर आदि की भी उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है। इधर, स्वास्थ्य सचिव ने दूसरे देशों से पिछले 15 दिनों में झारखंड लाैटे लोगों की कोरोना जांच 24 घंटे की भीतर कराने का आदेश उपायुक्तों को दिया है। बकायदा जिलों को ऐसे लोगों की सूची भी भी भेजी गई है। जांच के क्रम में इनके सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग भी कराई जाएगी।

किस जिले में कितने बेड की होगी आवश्यकता

  • रांची : 1500
  • पूर्वी सिंहभूम : 1200
  • बोकारो, धनबाद : 700
  • हजारीबाग, पश्चिमी सिंहभूम : 500
  • गढ़वा : 450
  • गिरिडीह, कोडरमा, पलामू, रामगढ़ : 400
  • चतरा, देवघर, दुमका, गोड्डा, गुमला, जामताड़ा, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, साहिबगंज, सरायकेला, सिमडेगा : 300

राज्य में वर्तमान में प्रतिदिन 20 से 30 हजार जांच की क्षमता

कोरोना काल की शुरुआत में झारखंड में इस वायरस से निपटने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य संसाधनों का काफी अभाव था। न तो यहां जांच के कोई इंतजाम था और न ही आवश्यक संख्या में वेंटिलेटर या आइसीयू बेड। लेकिन आज स्थिति बेहतर है। झारखंड में शुरू में कोरोना की आरटी-पीसीआर से जांच के लिए कोई भी लैब नहीं थी। शुरू में जांच के लिए सैंपल कोलकाता तथा भुवनेश्वर भेजे जा रहे थे। अब स्थिति यह है कि राज्य के सभी जिलों में ही कोरोना की जांच हो रही है।

राज्य में सबसे पहले जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में आरटी-पीसीआर मशीन लगाई गई, जहां 14 मार्च से काेराेना की जांच शुरू हुई। अब राज्य के सभी पुराने व नए मेडिकल कॉलेजों, इटकी यक्ष्मा अस्पताल में आरटी-पीसीआर से कोरोना की जांच हो रही है। राज्य के लगभग डेढ़ दर्जन प्राइवेट लैब में भी कोरोना जांच की अनुमति दी गई है। वहीं, सभी सदर अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ट्रूनेट मशीन से भी कोरोना की जांच हो रही है। राज्य में वर्तमान में सरकारी लैब में ही प्रत्येक दिन आरटी-पीसीआर से छह से 13 हजार जांच की क्षमता है।

वहीं ट्रूनेट मशीनों से जांच की क्षमता प्रतिदिन सात हजार से अधिक है। बता दें कि पूर्व में रैपिड एंटीजन टेस्ट से भी जांच होती थी। लगभग 26 लाख जांच इस माध्यम से हुई है। इसमें निगेटिव रिपोर्ट आने तथा कोरोना के लक्षण होने पर आरटी-पीसीआर से पुष्टि की जाती थी। राज्य में कई अभियान चलाकर रैपिड एंटीजन टेस्ट के माध्यम से कोरोना संक्रमितों की पहचान की गई।

बनाए गए थे 3,863 क्वारेंटाइन सेंटरकोरोना के संभावित मरीजों को अलग रखने के लिए झारखंड में कुल 3,863 क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए थे, जिनमें 44,203 बेड की व्यवस्था की गई थी। राज्य में कुल 283 आइसोलेशन सेंटर भी बनाए गए थे, जिनमें 8386 बेड की उपलब्धता सुनिश्चित की गई थी। 3 मई, 2020 से दूसरे राज्यों से आए हुए श्रमिकों को जिला तथा पंचायत स्तर पर बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में रखा गया। 23 जून 2020 तक 5,46,598 प्रवासी मजदूर को दूसरे राज्यों से लाया गया एवं 2,24,048 प्रवासी मजदूरों को होम क्वारंटाइन में रखा गया था।

टेलीमेडिसिन पर बढ़ा विश्वासलॉकडाउन में जहां निजी अस्पतालों ने मरीजों के इलाज से इंकार कर दिया था, वैसे में टेलीमेडिसिन मरीजों का बड़ा सहारा बना। लाॅकडाउन अवधि में भी राज्य के 100 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टेलीमेडिसिन के माध्यम से अपोलो चेन्नई के चिकित्सकों द्वारा समान्य ओपीडी सेवाएं उपलब्ध कराई गई थीं। एक मई 2020 को भारत सरकार द्वारा ई-संजीवनी सेवा भी शुरू की गई। इसका भी लाभ बड़ी संख्या में मरीजों को मिला। रिनपास तथा सीआइपी के माध्यम से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं भी दी गईं। 


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