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मिशनरीज ऑफ चैरिटी समेत सात संस्थाओं की मान्यता रद करने पर फैसला शीघ्र

रांची के उपायुक्त ने निर्मल हृदय समेत सात संस्थाओं का निबंधन रद करने की अनुशंसा महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को भेजी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 06:31 PM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 06:31 PM (IST)
मिशनरीज ऑफ चैरिटी समेत सात संस्थाओं की मान्यता रद करने पर फैसला शीघ्र
मिशनरीज ऑफ चैरिटी समेत सात संस्थाओं की मान्यता रद करने पर फैसला शीघ्र

राज्य ब्यूरो, रांची। मिशनरीज ऑफ चैरिटी के निर्मल हृदय से बच्चों के बेचे जाने का मामला उजागर होने के बाद सरकार सकते में है। निर्मल हृदय के साथ-साथ अन्य बाल गृहों की कई स्तरों पर जांच शुरू की गई है। इसी मामले में पिछले दिनों रांची जिला प्रशासन की आठ सदस्यीय टीम ने निर्मल हृदय समेत कुल नौ संस्थाओं का भौतिक सत्यापन किया था, जो मानकों पर खरा नहीं उतरा। रिपोर्ट के आधार पर रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे ने निर्मल हृदय समेत सात संस्थाओं का निबंधन रद करने की अनुशंसा महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को भेजी है। इससे इतर विभाग का स्पष्ट कहना है कि मामला जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का है। कार्रवाई के लिए सिर्फ अनुशंसा काफी नहीं है। विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है, इसका इंतजार है। इसके बाद ही विधि सम्मत कार्रवाई की जा सकती है।

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विभागीय सूत्रों के अनुसार बच्चों की देखभाल करने वाली संस्थाओं को उसकी आधारभूत संरचनाओं के आधार पर संस्था के संचालन की अनुमति प्रथम चरण में छह महीने के लिए दी जाती है। संस्थाओं के सही ढंग से संचालन की पुष्टि होने के बाद यह अवधि एक से दो साल और फिर पांच साल तक के लिए दी जाती है। यह सारी कार्रवाई जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 41 के तहत होती है। बाद में अगर किसी भी स्तर पर गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित संस्थाओं को दी गई अनुमति वापस ली जाती है।

इन संस्थाओं का निबंधन रद करने की हुई है अनुशंसा

मिशनरीज ऑफ चैरिटी, लोक विकास, महर्षि वाल्मीकि विकलांग अनाथ सेवाश्रम, आंचल शिशु आश्रम, दीया सेवा संस्थान, इडीआइएसएस, आदिम जाति सेवा मंडल। इनके अलावा आशा संस्थान तथा किशोरी निकेतन प्रेमाश्रय को तीन महीने की मोहलत दी गई है। इस अवधि में संबंधित संस्थाओं को अपनी आधारभूत संरचनाओं को मानकों के समकक्ष लाने का निर्देश दिया गया है।

जांच टीम ने पकड़ी थी गड़बड़ी

जांच टीम को लोक विकास में बाल गृह नहीं मिला। जिसे बाल गृह बताया गया था वह निर्माणाधीन मकान निकला। वहां न तो बच्चों को रखने का उचित प्रबंधन था और न ही पेयजलापूर्ति की सुदृढ़ व्यवस्था थी। आंचल शिशु आश्रम में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग रखने की व्यवस्था नहीं थी। वहां काफी लोगों के आने जाने की बात पुष्टि हुई। महर्षि बाल्मिकी विकलांग अनाथ सेवाश्रम का निबंधन ओरमांझी के पते पर था, जबकि उसका संचालन अनगड़ा में हो रहा था। यहां मानक के विरुद्ध सिर्फ दो कमरे पाए गए, जहां 43 बच्चे थे। जहां तक दीया सेवा संस्थान की बात है, वहां की आधारभूत संरचना दोयम दर्जे की मिली। एक एस्बेस्टस के दो कमरे के मकान को आश्रम बताया गया। इससे इतर इडीआइएसएस का निबंधन जून में ही समाप्त हो गया था। आदिम जाति सेवामंडल का भवन उपयुक्त नहीं मिला।

जानें, किसने-क्या कहा

विभाग को अबतक एक भी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। जब रिपोर्ट मिलेगी, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत विधि सम्मत कार्रवाई होगी।

-डॉ. अमिताभ कौशल सचिव, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग।

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जिला प्रशासन की अनुशंसा जरूर प्राप्त हुई है, परंतु किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए सिर्फ अनुशंसा काफी नहीं है। जबतक विस्तृत जांच रिपोर्ट नहीं मिल जाती, कुछ नहीं कहा जा सकता।

-राजेश कुमार सिंहनिदेशक, झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था (महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग), झारखंड।


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