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JSSC News: नियुक्ति में झारखंड से ही दसवीं और 12वीं की अनिवार्यता पर झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

Jharkhand High Court जेएसएससी की संशोधित नियमावली के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि यह नियमावली संविधान की मूल भावना के विपरीत और समानता के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने आज बुधवार को इस मामले में सुनवाई की।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Wed, 06 Apr 2022 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Apr 2022 12:03 PM (IST)
JSSC News: नियुक्ति में झारखंड से ही दसवीं और 12वीं की अनिवार्यता पर झारखंड हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
JSSC News: नियुक्ति में झारखंड से ही दसवीं और 12वीं की अनिवार्यता पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई आज।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Staff Selection Commission जेएसएससी (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) की संशोधित नियमावली के खिलाफ दाखिल याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई हुई।झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रजन और एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने इससे संबंधित पूरे रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद राज्य सरकार से कई सवाल पूछे। अदालत ने कहा कि किस आधार पर राज्य सरकार ने सामान्य वर्ग के लिए 10वीं और 12वीं की परीक्षा राज्य के संस्थानों से ही पास करने की शर्त लगाई है और भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखते हुए कहा कि वह स्वयं इस मामले से संबंधित दस्तावेज को देखना चाहेंगे और अधिकारियों के साथ बैठक कर उचित सलाह देंगे। उनकी ओर से इसके लिए समय की मांग की गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

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सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार अपराजिता भारद्वाज और कुशल कुमार ने अदालत को बताया कि जेएसएससी के संशोधित नियमावली की वजह से अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। वे चयन प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं। उनकी ओर से पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से उक्त याचिका सुनवाई नहीं होने योग्य की बात का उत्तर दिया गया। संविधान की धारा 226 (2) से संबंधित मामले का उद्धरण देते हुए कहा कि हाईकोर्ट के भौगोलिक अधिकार क्षेत्र से संबंध तब रखता है जब कोई केंद्रीय कानून अथवा दूसरे राज्य के कानून के विवाद का विषय हो। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से याचिका को सुनवाई नहीं योग्य होने की बात स्वीकार नहीं की जा सकती। अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि हाई कोर्ट द्वारा नियमावली से संबंधित मूल दस्तावेज मंगाया गया था। हाईकोर्ट ने इसका अवलोकन भी किया होगा।

मालूम हो कि यह मामला हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि उक्त याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि प्रार्थी की ओर से किसी विज्ञापन को चुनौती नहीं दी गई है, जिसमें वह आवेदन करने का इच्छुक है। सरकार के याचिका पर आपत्ति जताए जाने का जवाब देते हुए प्रार्थी के वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, कुमार हर्ष और कुशल कुमार की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी मूलत: संबंधित नियमावली की शर्तों से प्रभावित है। बाद में दाखिल पूरक शपथ पत्र में जेएसएससी की ओर से जारी विज्ञापन के संबंध में जानकारी दी गई है।

बता दें कि प्रार्थी रमेश हांसदा और कुशल कुमार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से जेएसएससी नियुक्ति के लिए नई संशोधन नियमावली बनाई गई है। नियमावली के अनुसार नियुक्ति के लिए वैसे अभ्यर्थी पात्र हैं, जिन्होंने राज्य के संस्थान से दसवीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो। इसके अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हिंदी और अंग्रेजी को हटा दिया गया है। वहीं, अन्य उर्दू, ओडिय़ा और बांग्ला भाषा को शामिल किया गया है। राज्य के संस्थान से पास होने की अर्हता सिर्फ सामान्य वर्ग के लिए है, जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को इससे छूट प्रदान की गई है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि यह नियमावली संविधान की मूल भावना के विपरीत है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है। वैसे अभ्यर्थी जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ें हो, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है, इसलिए नई नियमावली को निरस्त किया जाए।

सहायक प्रोफेसर नियुक्ति में मांगा जवाब

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सहायक प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने जेपीएससी से जवाब मांगा है। हालांकि इस दौरान अदालत ने प्रार्थी को कोई अंतरिम राहत नहीं दी। इस संबंध में दिनेश कुमार मुर्मू ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि साक्षात्कार के लिए बुलाए गए अभ्यर्थी से अधिक अंक होने के बाद भी आयोग ने उन्हें साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया।

इसी अदालत ने एफएसएल सहायक निदेशक नियुक्ति परीक्षा के मांडल आंसर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस मामले में भी अदालत ने जेपीएससी से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल होगी। बता दें कि इसको लेकर कुणाल शिव ने याचिका दाखिल की है। फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) में 49 पदों पर नियुक्ति होनी है।


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