Jharkhand News: सरकारी स्कूल से हटा उर्दू शब्द, शुक्रवार को खुले झारखंड में स्कूल, बदल गए प्रार्थना के बोल
Jharkhand School Controversy झारखंड में सरकारी स्कूलों में उर्दू शब्द जोड़ने को लेकर जारी विवाद के बीच एक बड़ी पहल हुई है। पलामू जिले के स्कूलों के नामों से उर्दू शब्द हटा दिया गया है। यही नहीं अब इन स्कूलों में रविवार को ही अवकाश रहेगा।
पलामू, जागरण संवाददाता। Jharkhand School Controversy झारखंड के पलामू जिले में मुस्लिम बहुल इलाकों में स्थित इस्लामी पद्धति से अनधिकृत रूप से चल रहे विद्यालय शुक्रवार को पटरी पर लौट गए। विद्यालयों के नाम से साथ लगे उर्दू को मिटा दिया गया। इसके साथ ही शुक्रवार को ज्यादातर विद्यालय खुल गए। छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी अच्छी रही। प्रार्थना के बोल भी बदल गए। अब ये विद्यालय शुक्रवार के बजाय रविवार को बंद रहेंगे। हालांकि कुछ स्थानों पर लोगों ने विद्यालय खोलने का विरोध भी किया। स्कूल खुले लेकिन बच्चे नहीं पहुंचे। विरोध करने वालों का तर्क था कि ये विद्यालय अल्पसंख्यक बहुल इलाके में हैं। यहां पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे अल्पसंख्यक हैं। विद्यालयों को उर्दू विद्यालय का दर्जा दे देना चाहिए।
49 स्कूलों में चुपके से कर दिया गया था बदलाव
पलामू जिले में अधिकृत रूप से 20 उर्दू विद्यालय हैं। ये विद्यालय 1991 में एजी को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार अधिकृत हैं। इनके अलावे 49 विद्यालयों को चुपके-चुपके उर्दू विद्यालय बना दिया गया था। उर्दू विद्यालय बनाने का काम शिक्षकों ने बगैर सरकारी आदेश के यूृ-डैस में उर्दू विद्यालय लिखकर किया था। धीरे-धीरे विद्यालयों के बोर्ड पर भी उर्दू लिखा गया। फिर शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को स्कूल खुलने लगे। इसका खुलासा दैनिक जागरण ने किया था। इसे लेकर जागरण में लगातार खबरें छपती रहीं। इसके बाद पलामू के जिला शिक्षा पदाधिकारी उपेंद्र नारायण ने अनधिकृत रूप से चल रहे 49 विद्यालयों की सूची जारी कर नाम मिटाने और शुक्रवार को खोलने को आदेश जारी किया। इस आदेश विद्यालयों तक गुरुवार की देर शाम पहुंचा। आदेश का अनुपालन न करने वाले प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी।
शुक्रवार को भी खुले सरकारी स्कूल, प्रशासन अलर्ट
जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश का शुक्रवार सुबह असर दिखा। अनधिकृत रूप से चल रहे सभी 49 विद्यालय खुल गए। अफरातफरी के माहौल में विद्यालयों के आगे से उर्दूू नाम मिटका दिया गया। राजकीय प्राथमिक विद्यालय, बाना, नावा बाजार को खोलने का कुछ लोगों ने विरोध किया। इसके बाद मुखिया विनोद विश्वकर्मा पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार के नियमों का विरोध करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होगी। इसके विरोध करने वाले शांत हो गए।