इस चेले ने मंत्री जी को खूब फंसाया, अब कुर्सी खतरे में... पढ़ें झारखंड की सियासी हलचल
Jharkhand Politics मंत्रीजी के आसपास भटकनेवालों में से एक ने इन्हें वाकई आफत में डाल दिया है। मंत्रीजी अब सफाई देते घूम रहे हैं लेकिन बात अगर ऐतिहासिक पार्टी के युवराज के कान तक चली गई तो बहुत भद्द पिटेगी। कुर्सी पर भी खतरा पैदा कर दिया है बगलबच्चे ने।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह के साथ पढ़ें सत्ता के गलियारे से...
फंसा दिया चेले ने
मंत्री जी को अपने पद और कद का जरा भी गुमान नहीं है। सहज और सरल ऐसे हैं कि पूछो मत। बाबा के भक्त हैं और रहते हैं पूरे मौज में। जहां जो मिला खाया और आसमान को चादर समझ तानकर सो लिए। लेकिन, इनके आसपास भटकने वालों में से एक ने इन्हें वाकई आफत में डाल दिया है। मंत्री जी अब सफाई देते घूम रहे हैं, लेकिन बात अगर ऐतिहासिक पार्टी के युवराज के कान तक चली गई तो बहुत भद्द पिटेगी। कुर्सी पर भी खतरा पैदा कर दिया है बगलबच्चे ने। वैसे उसकी ज्यादा गलती थी नहीं, शेखी बघारने के चक्कर में मंत्री जी की शान में कुछ ज्यादा ही बोल गया सरेआम। बात जब वायरल हुआ, तो आभास हुआ कि तारीफ के फेर में भारी गलती कर दी चेले ने। अब मंत्री जी डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं।
टंग गए कारिंदे
अब जुबान फिसल जाए, तो बात लौटकर तो वापस आती नहीं। हुजूर भी कुछ ऐसे मूड-मिजाज के हैं कि जहां रहते हैं, वहीं भिड़ जाते हैं। जिला से लेकर मुख्यालय तक इनका यही रिकार्ड है। बात-बात पर ऐसे तुनक जाते हैं, जैसे झारखंड का सारा बोझ इनके ही मत्थे है। इनकी कलाकारी भी एक से बढ़कर एक है। जानते हैं कि कौन ठीक रहेगा भिडऩे के लिए। किसी की नजर में चढऩे के लिए ये कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन एक जगह जुबान ऐसी फिसली कि अब सफाई देते-देते बेचारे कारिंदों की जान पर बन आई है। हाकिम भारी गुस्से में हैं। वैसे राज की बात यह भी है कि इनका गुस्सा वर्दी के आगे टिकता नहीं, लेकिन सरेआम ये खूब माहौल बनाते हैं। इनके गुस्से की आंच में बेचारे कुछ कारिंदे झुलस गए, तो नरभसाइएगा नहीं। बिगड़ी बात को संभालने के लिए हुजूर ने सबको शो-कॉज कर दिया है।
पद की चाहत
कलियुग में भला कौन लोभ-लालच से विरक्त है। ज्ञानी लोग कहते हैं कि जिसे मौका नहीं मिला चौका मारने का, वही पवेलियन में बैठकर कमेंट्री करता है। चालाकी इसी में है कि चाहे जिस तरीके से हो, कुर्सी पर कब्जा करने के लिए कुछ भी करेगा। ऐसे ही जेल की शोभा बढ़ा रहे एक पूर्व माननीय आजकल खास मुहिम जुटे हैं। इनकी कारस्तानी की लंबी फेहरिश्त है। किसी के सगे नहीं हैं और ऐसा कोई कोई सगा नहीं है, जिसको इन्होंने ठगा नहीं है। इनकी देखा-देखी घर वाले भी इसी चाल में चल रहे हैं, इनके पद चिह्न पर। इन्हें करीब से समझने वाले इशारा भी करते हैं कि इनसे दो गज की सुरक्षित दूरी बनाकर चलने में ही भलाई है। अभी इन्होंने मिशन कुर्सी चला रखी है। सरेआम अपना रेट भी बोलते-खोलते चल रहे हैं। शर्त यही है कि कोई एक बार कुर्सी दिला दे।
समय का फेर
अब मुंह दिखाने का इससे बेहतर मौका था नहीं। समय से पहले पहुंच भी गए थे हाजिरी बजाने के लिए, लेकिन आगे की कतार में एंट्री नहीं मिली। थक-हारकर पीछे आकर बैठ गए बेचारे। वैसे कभी जलवा था इनका झारखंड में। ऐसा कोई नहीं सूबे में, जिसे खादी की बंडी पहनाकर काबू में नहीं किया होगा इन्होंने। शासन के मौसम बदलने का पहले से ही अनुमान लगाने में ये माहिर जो थे। बगल में कपड़े की थान और दर्जी साथ लेकर घूमते थे हर वक्त। दरबार भी कभी फीका नहीं पड़ा। इधर कुछ सालों से दुश्मनों की ऐसी नजर लगी है कि हुजूर का जलवा मंद पड़ रहा है। खादी की कलफ भी अब उतनी कड़क नहीं रही। अच्छे वक्त में जो इनकी कृपा पाने को बेकरार रहते थे, अब इन्हें देखकर मुंह फिराने लगे हैं। सब समय का फेर है।