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Politics Update: केजरीवाल की नई चाल से फिर उठा सियासी तूफान... विधायकाें की खरीद-बिक्री पर बरपा हंगामा

Politics Update राज्‍य में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। अपने संपर्क का फायदा उठाकर विधायकों के सामने चारा फेंक रहे रवि केजरीवाल की गतिविधियां संदेह के घेरे में है। माना जा रहा है कि कुछ और विधायक उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को सामने आ सकते हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 11:36 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 11:39 PM (IST)
Politics Update: केजरीवाल की नई चाल से फिर उठा सियासी तूफान... विधायकाें की खरीद-बिक्री पर बरपा हंगामा
Politics Update: राज्‍य में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Politics News in Hindi संगठन विरोधी गतिविधियों के कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा से निकाले गए पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल के खिलाफ कुछ और विधायक भी खुलकर सामने आ सकते हैं। केजरीवाल ने हेमंत सरकार को अस्थिर करने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई विधायकों से संपर्क किया था। दरअसल मोर्चा में वह अपने पुराने संपर्क का फायदा उठाकर विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहा था। उसने विधानसभा चुनाव-2019 के पूर्व भी ऐसा ही प्रयास किया था, जिसमें उसे कामयाबी नहीं मिली थी। उसकी मंशा संगठन में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ कर प्रतिद्वंद्वी दलों को फायदा पहुंचाने की थी। वह लगातार एक दल का नाम लेकर विधायकों को लुभा रहा था।

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उस वक्त उसकी बातचीत की रिकार्डिंग भी कई नेताओं ने की थी। बाद में इन शिकायतों की पुष्टि हुई तो उसे तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया गया। झामुमो के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक रवि केजरीवाल पैसे और पद का प्रलोभन देकर विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में उसने घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन से संपर्क किया था। रामदास सोरेन ने इससे तत्काल शीर्ष नेताओं को अवगत कराया और उसकी चाल का पर्दाफाश हुआ। झारखंड मुक्ति मोर्चा के रणनीतिकार अब उसकी संदिग्ध गतिविधियों को लेकर सतर्क हैं। संगठन से निष्कासन के बाद उसने अपना ठिकाना बदल लिया है। वह रायपुर शिफ्ट हो चुका है, जहां उसका अपना कारोबार है।

कांग्रेस भी है सतर्क

राज्य मेंं सत्तारूढ़ गठबंधन का अहम सहयोगी कांग्रेस भी हालिया सियासी गतिविधियों के मद्देनजर सतर्क है। पार्टी के विधायकों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। फिलहाल ज्यादातर विधायक अपने क्षेत्र में हैं। उधर आलाकमान ने भी सतर्कता बरतने का निर्देश प्रदेश नेतृत्व को दिया है। तीन माह पूर्व बेरमो से पार्टी के विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने सरकार को अस्थिर करने की साजिश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस प्रकरण में तीन लोग गिरफ्तार किए गए थे।

...इधर भाजपा के करीब आ रहे बरकट्ठा के विधायक

बरकट्ठा के निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव भाजपा के करीब आ रहे हैं। पूर्व में भाजपा से चुनाव जीत चुके अमित को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। इसके कारण उन्होंने बतौर निर्दलीय किस्मत आजमाया और सफल रहे। हाल ही में अपने विधानसभा क्षेत्र में एक समारोह में उन्होंने स्वीकार किया कि वे भाजपा के साथ हैं। तकनीकी कारणों से वे तुरंत भाजपा में शामिल नहीं हो सकते। गौरतलब है कि अमित कुमार यादव पर आरोप लगा था कि वे जुलाई महीने में कांग्रेस के दो विधायकों को लेकर दिल्ली गए थे।

भाजपा एसटी मोर्चा राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी बैठक शनिवार से

झारखंड में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक शनिवार से शुरू हो रही है। वर्ष 2013 के बाद झारखंड में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी माध्यम से भाजपा देश भर के जनजातीय समाज से जुड़े लोगों को संदेश देने की कोशिश करेगी। प्रत्यक्ष में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में जनजातीय समाज के प्रति पार्टी अपनी प्रतिबद्धताओं को साझा करेगी तो अप्रत्यक्ष रूप से इस समाज विशेष में पैठ बढ़ाते हुए इसका भावी राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जाएगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के आठ सांसद लेंगे भाग, 46 जनजातीय सांसद भी दर्ज कराएंगे उपस्थिति

दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक 23 अक्टूबर को रांची में शुरू होगी। इससे एक दिन पूर्व तैयारियों को लेकर पदाधिकारियों की बैठक होगी, जिसमें राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर के पदाधिकारी भाग लेंगे। 23 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कार्यसमिति के उद्घाटन सत्र में शामिल होंगे। हालांकि इसकी अधिकृत पुष्टि अभी केंद्रीय नेतृत्व ने नहीं की है। बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल जनजातीय समाज के सभी आठ मंत्री भाग लेंगे। इसके अलावा जनजातीय समाज के 46 सांसद और विभिन्न भाजपा शासित राज्यों के मंत्री भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक 23-24 को

झारखंड में भाजपा एसटी मोर्चा की कार्यकारिणी बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि तमाम आदिवासी बहुल राज्यों की सीमाएं या तो झारखंड से सटी हुई हैं या करीब हैं। हालांकि, कार्यकारिणी में पेश होने वाले राजनीतिक प्रस्ताव के माध्यम से इस बैठक का संदेश असम, मणिपुर, अरुणाचल, आंध्र प्रदेश, तेलांगाना, गुजरात और महाराष्ट्र तक पहुंचाया जाएगा। राष्ट्रीय के साथ-साथ राज्यों के क्षेत्रीय मसलों पर भी मंथन होगा। बैठक चूंकि रांची में है, इसलिए झारखंड विशेष फोकस पर रहेगा। आदिवासी हितों को लेकर झामुमो और कांग्रेस पर निशाना भी साधा जाएगा।

2013 में झारखंड में हुई थी बैठक

झारखंड में वर्ष 2013 में झारखंड में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति बैठक हुई थी। इसके अगले ही वर्ष झारखंड में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। झारखंड विधानसभा की 28 आदिवासी बहुल सीटों में से भाजपा ने 13 पर जीत हासिल की थी। पहली बार पूर्व बहुमत की सरकार बनीं और पांच साल चली। वहीं पिछले चुनाव में भाजपा को 28 में से महज दो सीटें हासिल हुई। सत्ता जाने की मूल वजह एसटी सीटों पर पार्टी का लचर प्रदर्शन रहा। झारखंड में जिस पार्टी के खाते में सबसे अधिक एसटी सीटें आती हैं, सरकार उसी की बनती रही है। अब एक बार फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के माध्यम से भाजपा राज्य में अपना खोया जनाधार पाने की कोशिश करेगी।


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