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झारखंड में सरकार गिराने के नाम पर सियासत गर्म, विधायकों को प्रलोभन देने के मामले में JMM के कान खड़े

Jharkhand Political Updates रामेश्वर के बयान को लेकर कई चर्चाएं भी हैैं। कुछ इसे गंभीर मामला बता रहे हैैं तो कुछ इसे कांग्रेस अध्यक्ष का मौका देखकर छोड़ा गया शिगूफा बता रहे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 09:49 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 10:00 AM (IST)
झारखंड में सरकार गिराने के नाम पर सियासत गर्म, विधायकों को प्रलोभन देने के मामले में JMM के कान खड़े
झारखंड में सरकार गिराने के नाम पर सियासत गर्म, विधायकों को प्रलोभन देने के मामले में JMM के कान खड़े

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में हेमंत सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा द्वारा कांग्रेस विधायकों को प्रलोभन देने का आरोप लगाए जाने के बाद सूबे का राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है। उधर, कांग्रेस के आरोपों को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के भी कान खड़े हो गए हैं। मोर्चा ने इन आरोपों पर भले ही ज्यादा हाय-तौबा नहीं मचाई, लेकिन पार्टी स्तर पर मोर्चाबंदी तेज कर दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्वस्त साथियों संग इस मुद्दे पर मंत्रणा कर सतर्कता की बात कही है, ताकि भाजपा को ऐसा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाए।

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ज्ञात हो कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव कई दिनों से लगातार आरोप लगा रहे हैैं कि झारखंड की मौजूदा सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा कांग्रेस के कई विधायकों को प्रलोभन दे रही है। पार्टी के कुछ विधायकों ने उरांव के सुर में सुर मिलाते हुए यह संकेत दिया है कि कुछ न कुछ ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश, मणिपुर, कर्नाटक और राजस्थान की तरह झारखंड में भी भाजपा सत्ता पर काबिज होने के लिए साजिश रच रही है।

उधर, कांग्रेस के सहयोग से राज्य में सरकार चला रही झामुमो की ङ्क्षचता साथी दलों के विधायकों को साधने के साथ-साथ अपने दल के महत्वाकांक्षी नेताओं को भी नियंत्रित रखने की है। फिलहाल कांग्रेस के भितरखाने आपाधापी ज्यादा है। लिहाजा ज्यादा जोखिम लेने की बजाय समन्वय पर जोर है।

कांग्रेस के एक वरीय नेता के मुताबिक सत्तारूढ़ दलों में आपसी समन्वय के लिए स्टीयङ्क्षरग कमेटी गठित करने की योजना है। इससे कामकाज में आसानी होगी और फीडबैक भी बेहतर मिलेगा। वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसकी आवश्यकता प्रतीत होती है। विधायकों को तोडऩे की भाजपा की मंशा सफल नहीं होगी। कुछ विधायकों को बोर्ड और निगमों में भी एडजस्ट कर खुश करने की रणनीति पर विचार हो रहा है।

कहीं पद पर आया संकट तो नहीं टाल रहे उरांव

रामेश्वर के बयान को लेकर कई तरह की चर्चाएं भी हो रही हैैं। कुछ इसे गंभीर मामला बता रहे हैैं तो कुछ इसे कांग्रेस अध्यक्ष का मौका देखकर छोड़ा गया शिगूफा भी बता रहे हैैं। कांग्रेस के भितरखाने यह चर्चा है कि एक व्यक्ति, एक पद की नीति के तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव पद से हटाए जा सकते हैं। आलाकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष की खोजबीन भी तेज की है। ऐसी स्थिति में अध्यक्ष बदलने की कवायद को रोकने के लिए रामेश्वर उरांव ने कांग्रेस के विधायकों को प्रलोभन देने का शिगूफा छोड़ा है, ताकि उन्हें हटाने की बजाय विधायकों को रोके रखने की कवायद पर आलाकमान का ध्यान केंद्रित हो जाए। खैर, हकीकत चाहे जो हो, लेकिन झारखंड में भी सरकार गिराने की कवायद का मामला उठाकर रामेश्वर उरांव ने एकसाथ कई सवाल उठा दिए हैं।


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