IG सुमन गुप्ता की रिपोर्ट में खुलासा, चार निर्दोष को भेजा जेल-अफसरों पर गिरेगी गाज
Jharkhand Police. आइजी रेल सुमन गुप्ता ने रेल थाना रांची के एक कांड की समीक्षा के बाद मानव तस्करी के मामले में पर्यवेक्षण में चूक का खुलासा करते हुए अफसरों पर कार्रवाई की अनुशंसा की है।
रांची, राज्य ब्यूरो। पुलिस के गलत अनुसंधान के चलते मानव तस्करी के आरोप में निर्दोष जेल भेजे गए। इंस्पेक्टर से लेकर एसपी तक ने अनुसंधान से लेकर पर्यवेक्षण तक में लापरवाही बरती। आरोपों का सत्यापन तक नहीं किया। इसका खुलासा रेल की आइजी सुमन गुप्ता की अंतिम समीक्षा रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें उन्होंने दोषी अफसरों पर कार्रवाई के लिए पुलिस मुख्यालय से अनुशंसा की है।
मानव तस्करी के आरोप में जिस जिलानी लुगून को पुलिस ने जेल भेज दिया था, उसपर आइजी के पर्यवेक्षण में दोष साबित नहीं हुआ। जिलानी लुगून पिछले 12 साल से दिल्ली में अमिता कपूर व विपिन कपूर के यहां काम करती कर अपना जीवन यापन करती थी। यहां तक कि रेस्क्यू कराई गई लड़कियों ने भी छानबीन में तस्करी से इन्कार किया था। आइजी रेल सुमन गुप्ता ने हर स्तर पर पुलिस की लापरवाही पकड़ी और संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की है।
डीएसपी व एसपी ने नहीं दिया स्पष्टीकरण
आइजी सुमन गुप्ता के अनुसार रेल थाना रांची में दर्ज कांड के पर्यवेक्षी पदाधिकारी तत्कालीन रेल डीएसपी मुख्यालय जमशेदपुर ख्रीस्तोफर केरकेट्टा व तत्कालीन एसपी रेल जमशेदपुर अंशुमन कुमार ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। उक्त कांड में भौतिक व तकनीकी साक्ष्य की समीक्षा किए बिना ही निर्दोष व्यक्तियों को कई महीने तक न्यायिक हिरासत में रहने को विवश किया। तब आइजी रेल ने इन दोनों पदाधिकारियों को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद दोनों पदाधिकारियों ने करीब सवा साल के बाद भी स्थिति स्पष्ट नहीं की। आइजी ने पुलिस मुख्यालय से दोनों ही पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है।
पहले ही निलंबित हो चुके हैं तत्कालीन थानेदार
आइजी रेल सुमन गुप्ता ने अपने अंतिम आदेश में यह भी लिखा है कि कांड के प्राथमिकी अभियुक्त जिलानी लुगून, लाल सिंह मुंडा व नारायण भुइया के विरुद्ध कांड असत्य पाया गया। इस मामले में कांड के अनुसंधानकर्ता सह तत्कालीन रेल थानेदार अनिल कुमार सिंह को कांड दर्ज करने से लेकर अनुसंधान में बरती गई लापरवाही के लिए निलंबित किया जा चुका है। उनपर विभागीय कार्रवाई भी चल रही है।
दो वर्ष पुराना है यह मामला, जिसमें आइजी ने जारी किया है अंतिम आदेश
मानव तस्करी का यह मामला दो साल पुराना है। प्राथमिकी के अनुसार एडीजी सीआइडी को गुप्त सूचना मिली थी कि रांची रेलवे स्टेशन पर मानव तस्करी की सूचना है। इस पर 22 जून 2017 की रात सीआइडी के तत्कालीन क्षेत्रीय डीएसपी केके राय, इंस्पेक्टर मोहम्मद नेहाल, इंस्पेक्टर उमेश ठाकुर की एक टीम बनी। सीआइडी के इन तीनों पदाधिकारियों ने रांची रेल थाना पहुंचकर रेल थाना प्रभारी रांची को इसकी सूचना दी। उनके साथ इस कार्य में चुटिया के तत्कालीन थानेदार ब्रजकिशोर भारती व आरपीएफ पोस्ट प्रभारी रांची को भी रेल थाना बुलाया।
22 जून 2017 की रात करीब 11.50 बजे छापेमारी दल रेस्क्यू की गई कथित पीडि़ताओं की मेडिकल जांच कराए बगैर कुल 12 लड़के-लड़कियों को स्वयं बालिग होने का निर्णय लेकर मुक्त कर दिया। पांच लड़कियों को नाबालिग बताकर कांड दर्ज कराया। छापेमारी टीम ने किसी भी अभियुक्त या पीडि़ता को दिल्ली जाने वाली ट्रेन से नहीं पकड़ा था। ये सभी रेलवे स्टेशन में टिकट काउंटर के समीप हॉल में बैठे थे। इनके पास दिल्ली जाने का कोई टिकट भी नहीं था।
सीता स्वांसी के माध्यम से दर्ज प्राथमिकी पर भी जताई आपत्ति
आइजी रेल सुमन गुप्ता ने रेल थाना रांची में 23 जून 2017 को दर्ज कांड की शिकायतकर्ता सीता स्वांसी के माध्यम से प्राथमिकी दर्ज कराए जाने पर भी आपत्ति जताई हैं। उन्होंने कांड की समीक्षा के बाद पाया है कि रेस्क्यू के दौरान सीआइडी के डीएसपी व इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी सहित चुटिया थानेदार व रेल थानेदार के रहने के बावजूद इस कांड का शिकायतकर्ता कोई नहीं बना। गैर सरकारी संस्था दीया सेवा संस्थान की सह सचिव सीता स्वांसी वहां मौजूद नहीं थी। उसे अगले दिन बुलाकर उसके बयान पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई।