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खिलाड़‍ियों ने झारखंड सरकार को दिया अल्‍टीमेटम, सीधी नियुक्ति नहीं हुई तो लौटाएंगे पदक Ranchi News

खिलाड़‍ियों ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हमलोग लंबे समय से मिलने का प्रयास कर रहे हैं पर हमें समय नहीं दिया गया है। अब अगर ठोस कार्रवाई नहीं होती है तो 14 अक्टूबर को सभी खिलाड़ी अपना मेडल सरकार को वापस कर देंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 01:03 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 01:06 PM (IST)
खिलाड़‍ियों ने झारखंड सरकार को दिया अल्‍टीमेटम, सीधी नियुक्ति नहीं हुई तो लौटाएंगे पदक Ranchi News
रांची में पदक के साथ प्रदर्शन करतीं खिलाड़ी।

रांची, जासं। सीधी नियुक्ति की मांग को लेकर झारखंड के खिलाड़ी अब आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। खिलाडिय़ों ने राज्य सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि एक सप्ताह के अंदर इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो वे अपना पदक सरकार को वापस दे देंगे। मंगलवार को मोरहाबादी मैदान में इस मामले को लेकर खिलाडिय़ों ने बैठक कर सहमति जताई। लॉनबॉल खिलाड़ी नूतन मिंज, फरजाना खान सहित अन्य खिलाडिय़ों ने कहा कि वे सरकार से अंतिम बार सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरा करने का आग्रह कर रहे हैं।

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अगर इस पर बात नहीं बनी तो मेडल सरकार को वापस करेंगे। उन्‍होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हमलोग लंबे समय से मिलने का प्रयास कर रहे हैं पर हमें समय नहीं दिया गया है। अब अगर अगले एक सप्ताह में इस विषय पर ठोस कार्रवाई नहीं होती है तो 14 अक्टूबर को सभी खिलाड़ी अपना मेडल सरकार को वापस कर देंगे। साइक्लिस्ट राम भट्ट ने बताया कि 2019 में विभाग ने सीधी नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाला था।

246  खिलाडिय़ों ने इसके लिए आवेदन भरा। इसके बाद विभाग ने 33 खिलाडिय़ों का नाम शॉर्ट लिस्ट किया। सारे खिलाडिय़ों के प्रमाणपत्र जांच कर लेने के बावजूद सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। इस प्रक्रिया को 8 महीने हो गए पर राज्य सरकार एक भी खिलाड़ी को फोर्थ ग्रेड की भी नौकरी नहीं दे सकी है। इससे पहले भी झारखंड के खिलाडिय़ों ने 2012 व 2014 में आवेदन दिया था। लेकिन एक भी खिलाड़ी को नौकरी नहीं मिली। खिलाडिय़ों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है।

ऐसे में राज्य सरकार को सीधी नियुक्ति मामले में गंभीरता से पहल करनी चाहिए। खिलाडिय़ों ने बताया कि राज्य में सहायक पुलिसकर्मियों, नर्सों की नियुक्ति तथा शिक्षकों की समस्या को लेकर राज्य सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई है। लेकिन खिलाडिय़ों के मामले में रवैया उदासीन है। जब पदक हमें नौकरी नहीं दिला सकता तो इसे अपने पास रखने से बेहतर है सरकार को वापस कर देना चाहिए।


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