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Jharkhand: एक लाख आबादी पर एक कॉलेज तो बढ़ा लेकिन घट गया नामांकन, शिक्षकों की उपलब्धता भी चिंताजनक

झारखंड में 18 से 23 साल की आयु के छात्रों की आबादी पर जहां कॉलेजों की संख्या बढ़ी है वहीं उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात यानी जीईआर घट गया है। एआइएसएचई 2020-21 की रिपोर्ट में ये बातें सामने आयी हैं।

By Neeraj AmbasthaEdited By: Mohit TripathiPublished: Mon, 30 Jan 2023 06:27 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jan 2023 06:27 PM (IST)
राज्य में एक लाख की आबादी पर महज नौ कालेज, देश में इतनी आबादी पर 31 कालेज

रांची, राज्य ब्यूरो: झारखंड में एक लाख की आबादी (18 से 23 वर्ष) पर कॉलेजों की संख्या तो बढ़ी है लेकिन यहां उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात यानी जीईआर घट गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचई)-2020-21 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

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एक लाख की आबादी पर कॉलेज की संख्या आठ से बढ़कर से नौ हुई

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में एक लाख की आबादी पर कॉलेजों की संख्या आठ से बढ़कर नौ हो गई है। पूरे देश में इतनी आबादी पर उपलब्ध कॉलेजों की बात करें तो यहां भी एक लाख की आबादी पर कॉलेजों की संख्या 30 से बढ़कर 31 हो गई है। इस तरह पूरे भारत से तुलना करें तो झारखंड अभी काफी पीछे है।

देश में बढ़ा सकल नामांकन जबकि झारखंड में आई कमी

चिंता की बात यह है भी कि जहां झारखंड में हाल के वर्षों में सकल नामांकन अनुपात बढ़ रहा था, वहीं अब इसमें कमी आ गई है। इसके विपरीत पूरे भारत में नामांकन बढ़ा है। वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में सकल नामांकन अनुपात 20.9 था, जो घटकर 2020-21 में घटकर 17 हो गया। पूरे भारत में यह रेसियो 25.6 से बढ़कर 27.3 हो गया है।

55 शिक्षकों पर महज एक शिक्षक

राहत की बात यह है कि झारखंड में सकल नामांकन अनुपात लड़कों (16.5) से अधिक लड़कियों (17.5) का है। अनुसूचित जाति की श्रेणी में यह अनुपात 13 और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 12.4 है। रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता पर भी चिंता प्रकट करने वाली है। झारखंड के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में 55 छात्रों पर महज एक शिक्षक उपलब्ध है, जबकि देश में 24 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध है।

बिहार, चंडीगढ़ के बाद सबसे अधिक झारखंड के कॉलेजों में छात्रों की भीड़

झारखंड में कॉलेजों की संख्या काफी कम होने से वहां छात्र-छात्राओं की भीड़ अधिक है। इस मामले में झारखंड बिहार और झारखंड के बाद सबसे खराब स्थिति में है। यहां कॉलेजों में औसत नामांकन 1,761 छात्र-छात्राओं का होता है। पूरे देश में प्रत्येक कॉलेज में औसत नामांकन 646 छात्र-छात्राओं का ही होता है जबकि, बिहार और चंडीगढ़ के कॉलेजों में औसत नामांकन क्रमश: 1,881 तथा 1,890 विद्यार्थियों का होता है।


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