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12 सालों से योग एवं आयुर्वेद को घर-घर पहुंचा रहे सुमन दंपति, तैयार किए 5 हजार योग प्रशिक्षक

पूरे कोडरमा एवं आसपास के जिले में सुमन दंपति के कार्यों से शायद ही कोई अनजान होगा। समाज को निरोग बनाने के प्रति इस दंपति जैसा जुनून बहुत कम देखने को मिलता है। अपना समय व खुद के संसाधनों का उपयोग कर 12 वर्षों से इसी कार्य में लगे हैं।

By Vikram GiriEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 04:10 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 04:10 PM (IST)
12 सालों से योग एवं आयुर्वेद को घर-घर पहुंचा रहे सुमन दंपति, तैयार किए 5 हजार योग प्रशिक्षक
12 सालों से योग एवं आयुर्वेद को घर-घर पहुंचा रहे सुमन दंपति। जागरण

कोडरमा [अनूप कुमार]। पूरे कोडरमा एवं आसपास के जिले में सुमन दंपति के कार्यों से शायद ही कोई अनजान होगा। समाज को निरोग बनाने के प्रति इस दंपति जैसा जुनून बहुत कम देखने को मिलता है। अपना समय व खुद के सारे संसाधनों का उपयोग कर पिछले 12 वर्षों से इसी कार्य में लगे हैं कोडरमा जिले झुमरीतिलैया निवासी प्रदीप कुमार सुमन एवं इनकी पत्नी सुषमा सुमन। योग एवं आयुर्वेद के माध्यम से आमजनों को स्वस्थ जीवन देने के प्रयास में कई अड़चनें भी आती है, लेकिन सुमन दंपति को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

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सुबह 4 बजे से उठना इसके बाद 5 से 6 बजे तक प्रतिदिन या तो किसी गांव, मुहल्ले के योग शिविर में या किसी स्कूल कॉलेज या अन्य संस्थान में योग कराना इनकी दिनचर्या का हिस्सा है। इसके बाद इनका कार्यक्रम लोगों घरों, सरकारी कार्यालयों व विभिन्न संस्थानों में जाकर वहां लोगों को औषधीय पौधों के बारे में बताना और इन पौधों को लगाने का कार्यक्रम होता है।

पेशे से जेनरल स्टोर व्यवसायी प्रदीप सुमन और सुषमा सुमन अबतक कोडरमा एवं आसपास के जिलों में 13 सौ से ज्यादा योग शिविर लगा चुके हैं। विभिन्न इलाकों में करीब 5 हजार लोगों को योग का प्रशिक्षण देकर योग प्रशिक्षक बना चुके हैं। सैकड़ों सरकारी एवं निजी स्कूलों में जाकर बच्चों के लिए योग की कक्षा लगा चुके हैं। पतंजलि योग समिति से जुड़ी सुषमा सुमन योग के प्रचार-प्रयार में पूरे भारत में दो बार प्रथम स्थान प्राप्त की, दोनों बार योगगुरू स्वामी रामदेव ने इसके लिए इन्हें सम्मानित किया।

इन पौधों का करते हैं रोपण

प्रदीप सुमन और सुषम सुमन बताती है, पूर्व में केवल योग का प्रशिक्षण व प्रचार प्रसार करती थी। लेकिन स्वामी जी (स्वामी रामदेव) के निर्देश के अनुसार पिछले तीन-चार वर्षों से हमारे आसपास मौजूद औषधीय पौधों के गुणों के बारे में लोगों की बता रही हूं। इनमें हरसिंगार, पारिजात, नागदोन, पत्थरचट्टा, गिलोय, एलोवेरा, अश्वगंधा, तुलसी, नीम, मीठी नीम, मंडूकापरनी, पुनर्नवा, आंवला आदि के पौधे हैं। दोनों लोग इन पौधों के जिनके यहां अधिकता होती है, उनके यहां से लेकर दूसरे लोगों के यहां लगाते हैं। साथ ही इसके औषधीय गुणों के बारे में लोगों के बताते हैं। सुषमा सुमन बताती हैं कि औषधीय पौधों के बारे में हरिद्वार में जाकर बाबा रामदेव के आश्रम में 15-15 दिनों का प्रशिक्षण दो-तीन बार लीं।

कोविड काल में संक्रमितों के बीच जाकर कराई योग

कोरोना के पहली व दूसरी लहर में जब लोग घरों से निकलने में डरते थे, जब सुमन दंपति जिला के कोविड अस्पताल में जाकर संक्रमितों को योग का प्रशिक्षण देते थे। साथ ही उन्हें आयुर्वेद की औषधियां भी दी। इस कार्य से लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ् विभाग ने इनके कार्यों की सराहना की।

बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेजा

दस वर्ष पूर्व सामाजिक कार्य में लगे रहने के कारण ऐसा वक्त आया जब बच्चों के देखभाल में मुश्किल होनी लगी। तब इस दंपति ने अपने दोनों बेटों को बाबा रामदेव के गुरुकुल हरिद्वार और हरियाणा में भेजकर वहां इन्हें स्कूली शिक्षा दिलाई। अब दोनों बच्चे बड़े होकर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

अपनी तकलीफ दूर हुई तो जगा विश्वास

सुषमा सुमन बताती हैं कि वर्ष 2005 में उन्हें साइनस काफी परेशान कर रहा था। डाक्टरों ने आपरेशन के बात कही थी। लेकिन तब आस्था चैनल में स्वामी रामदेव के बताए प्राणायाम और कुछ देसी औषधियों का इस्तेमाल की तो यह मर्ज हमेशा के लिए खत्म हो गया। इसी से प्रेरित होकर तब से योग एवं आयुर्वेद घर-घर तक पहुंचाने में जुट गईं। इसमें पति प्रदीप सुमन हर कदम में साथ रहे


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