Fake Passport News: फर्जी पासपोर्ट के लिए सेफ जोन बनता जा रहा झारखंड
Fake Passport फर्जी पासपोर्ट और झारखंड की राजधानी रांची का गहरा कनेक्शन रहा है। यहां आए दिन शातिर लोग अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक कर फर्जी पासपोर्ट बनवा लेने में कामयाब हो जाते हैं। समय समय पर ऐसे शातिर लोग पुलिस के हत्थे भी चढ़ते रहे हैं।
रांची (एम. अखलाक) । फर्जी पासपोर्ट और झारखंड की राजधानी रांची का गहरा कनेक्शन रहा है। यहां आए दिन शातिर लोग अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक कर फर्जी पासपोर्ट बनवा लेने में कामयाब हो जाते हैं। समय समय पर ऐसे शातिर लोग पुलिस के हत्थे भी चढ़ते रहे हैं। कई बार तो ये पुलिस की नजर से ओझल भी हो जाते हैं।
झारखंड के दो बड़े शहर जमशेदपुर और रांची से हर साल बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा नौकरी की तलाश में विदेश जाते हैं। विशेषकर खाड़ी देशों मेें ज्यादा जाना पसंद करते हैं। अभी पिछले दिनों ही रांची में एक हजार पासपोर्ट बरामद हुआ था। पहले तो रांची पुलिस को लगा कि ये फर्जी पासपोर्ट है। इसकी छानबीन शुरू की गई। पता चला कि जमशेदपुर के बेरोजगारों ने नौकरी वास्ते विदेश जाने के लिए इसे एजेंसी के माध्यम से बनवाया है। पुलिस ने कई लोगों से जब पूछताछ की तो बातें परत दर परत खुलती गईं। स्थिति स्पष्ट होती चली गई।
यह इस बात का प्रमाण है कि यहां बड़ी संख्या में पासपोर्ट बनवाए जाते हैं। लेकिन कई बार इन्हीं एजेंसियों के जरिए कुछ शातिर लोग फर्जी दस्तावेजों के सहारे फर्जी पासपोर्ट भी बनवा लेते हैं। पकड़ लिए गए तो जेल गए, वरना बच गए तो बल्ले-बल्ले। हालांकि, झारखंड में पासपोर्ट बनवाते समय पहले की तुलना में अब छानबीन ज्यादा हो रही है। इसलिए मामले भी कम सामने आ रहे हैं।
एक समय ऐसा रहा है कि यहां आतंकी और कुख्यात अपराधी भी पासपोर्ट बनवा चुके हैं। इतना ही नहीं विदेश सैर कर चुके हैं। बाद में जब पकड़े गए तो छानबीन शुरू हुई। जेल भेजे गए। पासपोर्ट विभाग और पुलिस दोनों की खूब किरकिरी हुई। वर्ष 2012 की बात है। जमशेदपुर के कपाली ओपी पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनके नाम थे मोहम्मद जमालुद्दीन, मोहम्मद एहतेशाम और मोहम्मद शाबीर। तीनों ने फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवा लिया था। इसके लिए इन्होंने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।
शक होने पर पुलिस ने जांच शुरू की तो तीनों पकड़े गए। इसके बाद गिरफ्तार कर जेल भजे दिए गए। इसी तरह मई के महीने में 2014 में आठ बांग्लादेशी पकड़े गए थे। पासपोर्ट आफिस रांची से इन्होंने फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवा लिया था। ये सभी साहेबगंज के रहने वाले थे। तब यह मामला खूब सुर्खियों में रहा। विभाग और पुलिस की कार्यशैली पर खूब सवाल उठे थे। दोनों की खूब किरकिरी हुई थी।
झारखंड के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। इनके पासपोर्ट रद तो किए ही गए, ऐसे मामले दोबारा नहीं हो इसके लिए विभाग और पुलिस को सतर्क रहने का भी निर्देश दिया गया। पर अप्रैल, 2015 में तब हद हो गई जब दस्यु सुंदरी के नाम से मशहूर सांसद फूलन देवी की हत्या के आरोपित शेर सिंह राणा भी यहां से फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने में सफल हो गया। पासपोर्ट रांची कार्यालय से ही जारी हुआ था। शेर सिंह राणा ने नाम बदल कर पासपोर्ट बनवा लिया था।
भेद खुलने के बाद मामले की आननफानन में जांच हुई। पासपोर्ट बनाने के लिए अनुशंसा करने वाले तत्कालीन एसडीओ पर कार्रवाई हुई। देश भर की मीडिया में कई दिनों तक यह मामला छाया रहा। झारखंड और यहां के प्रशासन की कार्यशैली की खूब निंदा हुई थी। शेर सिंह राणा ने दिल्ली के तिहाड़ जेल से भागने के बाद नाम बदल कर यहां से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। उसने तब अपना नाम संजय गुप्ता रख लिया था। इस घटना के बावजूद झारखंड प्रशासन ने फिर भी सबक नहीं लिया। लापरवाही बदस्तूर जारी रहा। इसलिए सिलसिला थमता नजर नहीं आया। वर्ष 2016 के जनवरी महीने में फिर फर्जी पासपोर्ट का नया मामला सामने आया।
यहां से पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले में हुए बम विस्फोट मामले के एक संदिग्ध आतंकी रजाउल का भी पासपोर्ट बन गया। इस राज से पर्दा तक हटा जब वह पकड़ा गया। पूछताछ हुई। उसने कहा था कि रजरप्पा थाने के चितरपुर क्षेत्र स्थित इस्लामनगर के पते पर फर्जी पासपोर्ट बनाया है। उसने अपना नाम फरीदुल रख लिया था। इसी साल दो फरवरी को फ्रांस में जसविंदर कौर नामक एक महिला पकड़ी गई। उसके पास भारतीय पासपोर्ट था। उसी के सहारे वह फ्रांस पहुंच गई थी। चूंकि वह पंजाबी और ङ्क्षहदी भाषा नहीं बोल पा रही थी, इसलिए फ्रांस की पुलिस को उस पर शक हुआ। जब पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गई।
उसने स्वीकार किया कि फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाया है। दरअसल, जसविंदर कौर अफगानिस्तान की रहने वाली सिख महिला थी। भारत से उसका कोई नाता नहीं था। पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में उसने रहकर कुछ लोगों की मदद से स्थानीय दस्तावेज बना लिए थे। इसी के सहारे उसने फर्जी तरीके से पासपोर्ट भी बनवा लिया था। पुलिस ने जब जांच शुरू की तो यह बात सामने आई कि 12 अक्टूबर, 2015 को राजधानी रांची स्थित पासपोर्ट कार्यालय से उसका पासपोर्ट जारी हुआ है। महिला अंतत: जेल भेजी गई।
ठीक चार महीने बाद यानी वर्ष 2016 के 17 मई को भी रांची जिले के अनगड़ा थाने की पुलिस ने पुन: एक फर्जी पासपोर्ट का मामला पकड़ा। दरअसल, तीन शातिर लोग फर्जी दस्तावेजों के सहारे पासपोर्ट बनाने की कवायद में जुटे थे। ये शातिर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रहने वाले थे। इनका नाम था- लुकमान खान, दिलू खान और अली खान। सत्यापन के लिए जब मामला थाने पहुंचा तो पुलिस को शक हुआ। जांच शुरू हुई तो पाया गया कि सभी के दस्तावेज फर्जी हैं।