Move to Jagran APP

बाल विवाह मामले में झारखंड तीसरे स्थान पर

बाल विवाह मामले में झारखंड तीसरे स्थान पर है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 02:12 AM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 06:15 AM (IST)
बाल विवाह मामले में झारखंड तीसरे स्थान पर

जागरण संवाददाता, रांची : बाल विवाह मामले में झारखंड तीसरे स्थान पर है। इसपर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। फिलहाल राज्य में तीन हजार से अधिक चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी व 40 चाइल्ड प्रोटेक्शन ब्लॉक लेवल कमेटी निबंधित हैं। ये बातें यूनिसेफ के कम्युनिकेशन ऑफिसर मो. सलमान ने कही। वे गुरुवार को करमटोली स्थित प्रेस क्लब में आयोजित मीडिया वर्कशॉप में बातचीत कर रहे थे। विषय था, झारखंड में बाल विवाह कैसे खत्म हो। उन्होंने कहा कि फिलहाल गोड्डा, पलामू, लातेहार व गिरिडीह में यूनीसेफ की ओर से कंसल्टेशन प्रोगाम चलाया रहा है। करियर काउंसिलिंग के तहत चार लाख बच्चे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। गिरिडीह जिला बाल विवाह मामले में पहले दूसरे नंबर पर था। हालांकि करियर काउंसिलिंग के बाद अब यह जिला चौथे नंबर है। पूर्वी सिंहभूम के छह प्रखंडों में भी यूनीसेफ की ओर से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जल्द ही राज्य के 12 जिलों में कार्यक्रम चलाए जाएंगे। यूनीसेफ की चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशियलिस्ट प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि बाल विवाह के रोकथाम के लिए सेकेंड्री एजुकेशन को बढ़ावा देना होगा। बाल विवाह के कारण नवजात बच्चों के मृत्यु दर की संख्या काफी ज्यादा है। प्रसव के दौरान ही मातृ मृत्यु दर 90 फीसद से अधिक बढ़ जाता है। बाल विवाह के कारण देश व राज्य का आर्थिक विकास नौ फीसद तक घट जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि पोक्सो एक्ट के तहत 18 वर्ष से कम आयु में आयु किया गया यौन हिसा अपराध की श्रेणी में आता है। गोड्डा, गिरिडीह, कोडरमा व चतरा में बाल विवाह से संबंधित मामले सबसे अधिक है। जबकि सिमडेगा में बाल विवाह के मामले सबसे कम हैं। बाल विवाह पर रोकथाम से टीनएज प्रिग्नेंसी से संबंधित मामले कम होंगे। उन्होंने कहा कि टीनएज प्रिग्नेंसी को रोकने के लिए अधिक से अधिक बच्चियों को स्कूल से जोड़ने की आवश्यकता है। कोडरमा, गढ़वा, देवघर व गिरिडीह में टीनएज प्रिग्नेंसी की संख्या सबसे अधिक है। बाल विवाह के रोकथाम पर उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि लड़कों व लड़कियों को सशक्त बनाना होगा। बाल संसद व बाल संरक्षण समिति गठित करनी होगी। चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट के माध्यम से नॉलेज को बढ़ावा देना होगा, ताकि कम्युनिटी की मानसिकता परिवर्तित हो। इस प्रकार के मामले में जिला स्तर पर उपायुक्त की जवाबदेही तय करनी होगी। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकार व पुलिस की भी अहम भूमिका होगी।

loksabha election banner

------

झारखंड में बाल विवाह की स्थिति

गोड्डा 63.5 फीसद, गढ़वा 58.8 फीसद, देवघर 52.7 फीसद, गिरिडीह 52.6 फीसद, कोडरमा 50.8 फीसद, चतरा 49 फीसद, दुमका 47.4 फीसद, जामताड़ा 44.7 फीसद, पाकुड़ 41.9 फीसद, हजारीबाग 40.8 फीसद, पलामू 40.5 फीसद, साहेबगंज 38.4 फीसद, लातेहार 37.1 फीसद, सरायकेला 33.2 फीसद, बोकारो 30.6 फीसद, धनबाद 29.9 फीसद, लोहरदगा 28.5 फीसद, रांची 28.1 फीसद , खूंटी 27.8 फीसद, रामगढ 27.1 फीसद, पूर्वी सिंहभूम 26.1 फीसद, गुमला 24 फीसद, पश्चिमी सिंहभूम 21.3 फीसद, सिमडेगा 14.7 फीसद ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.