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झारखंड वाली IAS पूजा मैडम के बारे में तरह-तरह की चर्चा... रिम्स में राजयोग... कब तक बीमार रहेंगी पता नहीं...

Jharkhand IAS Pooja Singhal मैडम बीमार हो गई हैं। कबतक बीमार रहेंगी यह पता नहीं। कोई बता भी नहीं सकता। ऐसे मामलों में तो राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल ऐतिहासिक ही रहा है। अलग अंदाज वाले बड़े नेताजी ने तो बीमारी के बहाने यहां अपना आशियाना ही बना लिया था।

By Jagran NewsEdited By: Alok ShahiPublished: Sun, 02 Oct 2022 11:55 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 03:55 AM (IST)
झारखंड वाली IAS पूजा मैडम के बारे में तरह-तरह की चर्चा... रिम्स में राजयोग... कब तक बीमार रहेंगी पता नहीं...
Jharkhand IAS Pooja Singhal: झारखंड की निलंबित आइएएस पूजा सिंघल बीमार हो गई हैं।

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। Jharkhand IAS Pooja Singhal झारखंड अक्‍सर तरह-तरह की खुराफातों के चलते देश-दुनिया में चर्चा में रहता है। कुछ महीने पहले ही यहां की चर्चित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल मनी लांड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय के हत्‍थे चढ़ गई। वे अभी जेल में थीं। हालांकि कुछ दिन पहले मैडम अचानक बीमार हो गईं। उन्‍हें बेहतर इलाज के लिए रिम्‍स अस्‍पताल में भर्ती कराया गया है। इस बीच सता के गलियारे में मैडम की बीमारी को लेकर कई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यहां पढ़ें हमारा साप्‍ताहिक कॉलम खरी-खरी...

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नाम बड़े और दर्शन छोटे

एक जिले के सिविल सर्जन साहब मिठाई के डिब्बे में ही निपट गए। ऐसे धरे गए कि निलंबन से लेकर लाल घर जाने की नौबत आ गई। नाम तो बड़ा रखा था, काम छोटा कर गए। नाम बड़े और दर्शन छोटे। दवा-दारू वाले महकमे से लेकर पूरे सचिवालय के गलियारे में इनकी चर्चा है। लोग-बाग कह रहे हैं कि बेचारे क्या करते? ले-देकर आए होंगे तो भरपाई करनी ही थी। इसी में निपट गए। सिविल सर्जन थोड़े ही ऐसे बन गए थे। पर्व-त्योहार का भी मौसम था। लाल-पीला इधर-उधर सरकाना पड़ता है। अब कहने वालों का क्या? लेकिन जो भी हो। करनी का फल तो भुगतना ही पड़ेगा। उनके नाम को लेकर भी लोगों में जिज्ञासाएं कम नहीं हैं।

उनकी बीमारी या...

मैडम बीमार हो गई हैं। कबतक बीमार रहेंगी यह पता नहीं। कोई बता भी नहीं सकता। ऐसे मामलों में तो राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल ऐतिहासिक ही रहा है। अपने अलग अंदाज वाले बड़े नेताजी ने तो बीमारी के बहाने यहां अपना आशियाना ही बना लिया था। राजनीतिक महफिल ही सजाने लग जाते थे। कभी गावों के विकास की जिम्मेदारी संभाल चुके नेताजी भी यदाकदा लाभ उठाते रहे। भले ही अपने बालों के लिए चर्चित रहनेवाले नेताजी इससे चूक जा रहे हैं। लेकिन गढ़वा वाले नेताजी इस मामले में काफी 'प्रतापी' रहे। हट्टे-कट्ठे होने के बाद भी बीमारी के नाम पर अधिसंख्य समय इसी अस्पताल में गुजारी। वहां से निकले तो कभी अस्पताल जाने की जरूरत ही नही पड़ी।

स्कूल जब बन जाए दफ्तर

सरकारी स्कूलों में पढ़ानेवाले मास्टर साहब पढ़ाई-लिखाई को छोड़कर और भी कार्यों में लगाने पर अक्सर उखड़े रहते हैं। इनका उखड़ना भी सही है। कभी मास्टर साहब को राशन बांटने का फरमान जारी हो जाता है तो कभी कुछ और। कुछ अफसरों की शनि दृष्टि पड़ी तो चेक पोस्ट पर भी बैठने की काठ की कुर्सी थमा दी जाती है। अब मास्टर साहब जाति प्रमाणपत्र बनाने में परेशान हैं। कहते हैं, गांव वाले स्कूल में आ धमक कर पूछते हैं कि उनका बना, उनका नहीं। मानों उनका स्कूल न रहकर प्रमाणपत्र बनानेवाला दफ्तर हो गया हो। कोई न कोई कुछ न कुछ केस लेकर आ ही जाता है। किसी का खाता नहीं खुला तो किसी का जाति प्रमाण पत्र नहीं बना। किसी की छात्रवृत्ति नहीं आ रही है तो किसी के खाते में पोषक तत्व की राशि नहीं आ रही। किसी का आधार नहीं बना तो किसी का कुछ और नहीं बना। कोई न कोई दिनभर केस आता रहता है। सिर्फ एक ही केस नहीं आता कि स्कूल में पढाई नहीं हो रही है। अब मास्टर साहब को वेतन नहीं रोकवाना है तो यह सब करना ही होगा।

बंगला बने न्यारा...

आजकल बंगला बनानेवाले विभागों का कामकाज ज्यादा ही बढ़ गया है। रांची से लेकर मुख्यालय तक धड़ाधड़ काम हो रहा है। बस "रिक्विजीशन" भर की देर है। यह किसी माननीय या बड़े साहब की हो तो समझिए उनकी फाइल दौड़ने लग जाती है। साथ ही बाबू से लेकर इंजीनियर साहब की आंखों की चमक ही बढ़ जाती है। बंगला में सभी कुछ ठीक-ठाक भी है तो भी उसमें मीन-मेख निकाले जाते हैं। भले ही नेताजी और साहब की मर्जी न हो, इंजीनियर साहबों की वह खटकने लगता है। अब खटकने के पीछे क्या राज है, इसे तो वे ही बता सकते हैं। किचेन में टाइल्स मटमैला हो गया है हुजूर, कहिए तो बाथरूम में नया गीजर लगवा दें। साक्षात दंडवत के साथ ऐसे अनुरोध खूब किए जा रहे हैं। दिवाली भी आ रहा है तो दिन-रात काम कराए जा रहे हैं। बस बंगला न्यारा बनना चाहिए।


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